Saturday, March 21, 2009

मंदी में कैसे तैयार करें बेहतर पोर्टफोलियो

ज्यादातर निवेश उत्पाद अनुमानित रिटर्न देने के मामले में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में निवेशक पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए निवेश की सही रणनीति को लेकर उलझन में हैं। उत्पादों का चुनाव निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है। मौजूदा हालात में एक बढ़िया पोर्टफोलियो तैयार करने के लिए अलग-अलग तरह के कई फाइनेंशियल प्रोडक्ट की जरूरत होगी। नई शुरुआत करने वाले शख्स के लिए यह काम ज्यादा आसान है। छोटी अवधि के लिए रणनीति लेकर चलने वाले निवेशक के लिए यह काफी बड़ी चुनौती है। मसलन, अगर कोई निवेशक अपने आप को 2010 तक रकम जोड़ने के लिए तैयार कर रहा है तो उसके पास काफी कम मौके बचते हैं क्योंकि मुनाफा बटोरने के लिए उसके पास आगे अनिश्चितता से भरा एक साल खड़ा है और उसकी संपत्ति 25-30 फीसदी का झटका सहने की जद में खड़ी है। बॉटम आउट होने से पहले साल 2009 निवेशकों को कुछ और दर्द दे सकता है, ऐसे में मौजूदा स्थिति आने वाले वर्षों में रकम जोड़ने के लिए कुछ सबक सिखाती है। अतीत में बाजार की तेजी में हिस्सा न लेने की वजह से अपनी किस्मत को कोसने वाले निवेशक भविष्य के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर सकते हैं।
गिरावट में खरीदें, तेजी पर बेचें
बीते पांच साल की अवधि में निवेश का बुनियादी सिद्धांत लगभग पूरी तरह भुला दिया गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि ज्यादातर निवेश उत्पादों में बढ़िया तेजी देखी गई है। दूसरा अहम कारण घरेलू और विदेशी निवेशकों की ओर से बढ़िया नकद प्रवाह रहा है। लेकिन अब तरलता का तालाब सूख रहा है और आर्थिक वृद्धि के आंकड़े भी चुनौती भरे भविष्य की ओर से इशारा कर रहे हैं, ऐसे में ज्यादातर निवेश उत्पादों के दाम अब निरंतर रूप से घट रहे हैं। हालात भले निराशाजनक स्थिति की ओर इशारा करें या फिर निवेश को लेकर कम उत्साह दिखाने की सलाह दें लेकिन लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने वाले निवेशकों को मौजूदा हालात को खरीदारी के अवसर के तौर पर देखना चाहिए। आखिरकार, जो लोग निम्न स्तरों पर खरीदारी कर ऊंचे स्तर पर बिकवाली करने का काम करते हैं, लंबी मियाद में उन्हें ही चतुर निवेशकों के रूप में जाना जाता है। निचले स्तरों पर शेयर खरीदना जितना आवश्यक है, पैसा बनाने के लिए उन्हें बढ़िया स्तरों पर बेचना भी उतना ही जरूरी है। निवेश से बाहर निकलने की रणनीति आपके उत्पादों के बाजार भाव, हाथ में नकदी की जरूरत या किसी उत्पाद विशेष के लिए आपके आवंटन पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए अगर पोर्टफोलियो का 20 फीसदी अंश इक्विटी से ताल्लुक रखता है तो बाजार में तेजी के वक्त आपकी चांदी हो सकती है जो इसे कुल संपत्ति की 40 फीसदी हिस्सेदारी तक ले जा सकती है। मौजूदा हालात में एक विकल्प पोर्टफोलियो में दोबारा संतुलन कायम करने से जुड़ा है जिसमें आप इक्विटी से मुनाफा वसूली कर उससे मिलने वाला पैसा डेट में डाल सकते हैं या अतिरिक्त फंड के साथ डेट आवंटन का स्तर बढ़ा सकते हैं। ऐसी रणनीति ने आपको वित्तीय लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद देगी बल्कि मुनाफा वसूली भी सुनिश्चित करेगी जो निवेश की योजना से जुड़ा अहम अंश है। दूसरी ओर अगर आपके पास निवेश के लिए लंबी अवधि है तो भी आप संपत्ति बना सकते हैं। ऐसे हालात में निवेश की प्रक्रिया में जोखिम प्रबंधन को शामिल किया जा सकता है, क्योंकि आपका निवेश नियमित रूप से होगा और एकमुश्त रकम नहीं लगाई जाएगी। इस तरह आप अपने निवेश खर्च को एवरेज आउट कर सकते हैं।
निवेश अनुशासन
शेयर खरीदकर एकत्र करने की रणनीति का एक और अहम अंश है नियमित फोकस और अनुशासन का पालन। यह अनिवार्य पक्ष है हालांकि आपको हर वक्त एक ही तरह के उत्पादों से चिपके रहने की जरूरत नहीं है। मसलन, अगर आपने पांच साल की अवधि के लिए स्मॉल कैप फंड का सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान लिया है तो मौजूदा स्थिति में आप उस फंड में आवंटन कम कर सकते हैं और लार्ज कैप फंड का दामन थाम सकते हैं। वास्तव में, लार्ज कैप शेयर या फंड लंबी अवधि के पोर्टफोलियो के लिए सुरक्षित दांव हैं, क्योंकि उनमें बेहतर तरीके से बाजार की उथल-पुथल में बने रहने की क्षमता होती है। दूसरी ओर, मध्यम और छोटी कंपनियां कुछ जोखिम रखने के बावजूद बेंचमार्क इंडेक्स को पीछे छोड़ने का माद्दा रखती हैं। शेयर या म्यूचुअल फंड की पसंद के बावजूद पैसे जोड़ने की कोई भी रणनीति तब तक अधूरी है जब तक कि आप नियमित अंतराल पर निवेश की निगरानी रखने की आदत नहीं रखते। इन दिनों प्रोफेशनल से मदद मिल सकती है, जिससे यह काम काफी हद तक आसान हो जाता है।
-श्रीकला भाष्यम

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