अपने बच्चे के जन्मदिन पर आपने उसे कौन सा तोहफा देने की योजना बनाई है ? शायद कोई नया खिलौना , कुछ पुस्तकें या फिर महंगे कपड़े। अब कुछ अलग सोचने का समय आ गया है। आप इन तोहफों की जगह कोई ऐसी वित्तीय सौगात दे सकते हैं , जिसमें समय के साथ वृद्धि हो और आपका बच्चा आने वाले समय में आत्मनिर्भर बन सके। एक अतिरिक्त कोष बनाएं पार्क फाइनेंशियल अडवाइजर्स के निदेशक स्वप्निल पवार का कहना है , ' बच्चों की पढ़ाई और शादी के लिए आपको ज्यादा रकम जुटाने की जरूरत होती है। हो सकता है कि आप इनके लिए पहले से ही बचत कर रहे हों। पढ़ाई पिछले कुछ साल से लगातार महंगी हुई है। विदेश में पढ़ाई का खर्च तो काफी बढ़ गया है। ऐसे में अगर आप इसके लिए अतिरिक्त फंड बनाते हैं तो आपके बच्चे को काफी मदद मिल सकती है। ' आप इसके लिए पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) में सालाना निवेश कर सकते हैं या फिर अलग से फंड बना सकते हैं। यह आपके बच्चे के लिए काफी मददगार साबित होगा। मिसाल के लिए , अगर बच्चा लीक से हटकर किसी प्रोफेशन में जाने का फैसला करता है तो हो सकता है कि पहले 2 साल में उसे वित्तीय परेशानी हो। ऐसी स्थिति में पहले से मौजूद फंड मददगार साबित होता है। अगर बच्चा भारत या विदेश में किसी प्रमुख संस्थान से एमबीए करने की योजना बनाता है तो उसके लिए लोन लिया जा सकता है। हालांकि , अगर आपके पास पहले से फंड है तो बच्चे की पढ़ाई के लिए ज्यादा कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती। ट्रस्ट बनाएं आप परिवार के किसी सदस्य के साथ मिलकर ट्रस्ट भी बना सकते हैं और इसमें खुद ट्रस्टी के तौर पर शामिल हो सकते हैं। आप चाहें तो यह काम पेशेवर लोगों को भी सौंप सकते हैं। ट्रस्ट आपकी रकम को निवेश में लगाएगा और बच्चे के लिए अच्छा फंड तैयार हो जाएगा। धन किस तरह निवेश किया जाना है , इसका फैसला आप स्वयं भी कर सकते हैं।
आप यह भी तय कर सकते हैं कि ट्रस्ट की कुल रकम में से बच्चे के हिस्से कितना पैसा आएगा। मान लीजिए आपने ट्रस्ट में 10 लाख रुपए जमा किए हैं और यह राशि 10 साल में बढ़कर 20 लाख रुपए हो जाती है। अगर आपने यह फैसला किया है कि ट्रस्ट की कमाई का 50 फीसदी हिस्सा प्रतिवर्ष आपके बच्चे को मिलेगा तो अगर ट्रस्ट अपने निवेश से सालाना 1 लाख रुपए अर्जित करता है तो बच्चे को इसमें से 50,000 रुपए की राशि मिलेगी। वसीयत तैयार करें वसीयत का केवल यह अर्थ नहीं होता कि आप अपने पीछे भारी धन संपत्ति छोड़कर जा रहे हैं। यह आपके जीवन का बहीखाता होता है। आप इसमें यह जानकारी भी दे सकते हैं कि संपत्ति जुटाने और बच्चों के लिए कोष बनाने में आपको कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इससे आपके बच्चे को धन के महत्व का पता चलेगा। आप चाहें तो बच्चे के नाम पर कुछ शेयर भी खरीद सकते हैं और वसीयत में इस बात की जानकारी दे सकते हैं कि वह इन्हें कब भुना सकता है। बच्चे के 12 साल की आयू पूरा होने पर आप उसका खाता भी खुलवा सकते हैं। यह खाता पब्लिक प्रोवीडेंट फंड (पीपीएफ) या किसी अन्य इक्विटी निवेश के लिए भी हो सकता है। बच्चे को वित्तीय जगत से रूबरू कराने के लिए आप उससे बैंक के चेक या अन्य जरूरी फॉर्म भरवाने से शुरुआत कर सकते हैं। इससे बच्चा उस समय के लिए तैयार हो सकेगा जब उसे खुद ही अपने वित्तीय मामलों से निपटने की जरूरत होगी।
आप यह भी तय कर सकते हैं कि ट्रस्ट की कुल रकम में से बच्चे के हिस्से कितना पैसा आएगा। मान लीजिए आपने ट्रस्ट में 10 लाख रुपए जमा किए हैं और यह राशि 10 साल में बढ़कर 20 लाख रुपए हो जाती है। अगर आपने यह फैसला किया है कि ट्रस्ट की कमाई का 50 फीसदी हिस्सा प्रतिवर्ष आपके बच्चे को मिलेगा तो अगर ट्रस्ट अपने निवेश से सालाना 1 लाख रुपए अर्जित करता है तो बच्चे को इसमें से 50,000 रुपए की राशि मिलेगी। वसीयत तैयार करें वसीयत का केवल यह अर्थ नहीं होता कि आप अपने पीछे भारी धन संपत्ति छोड़कर जा रहे हैं। यह आपके जीवन का बहीखाता होता है। आप इसमें यह जानकारी भी दे सकते हैं कि संपत्ति जुटाने और बच्चों के लिए कोष बनाने में आपको कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इससे आपके बच्चे को धन के महत्व का पता चलेगा। आप चाहें तो बच्चे के नाम पर कुछ शेयर भी खरीद सकते हैं और वसीयत में इस बात की जानकारी दे सकते हैं कि वह इन्हें कब भुना सकता है। बच्चे के 12 साल की आयू पूरा होने पर आप उसका खाता भी खुलवा सकते हैं। यह खाता पब्लिक प्रोवीडेंट फंड (पीपीएफ) या किसी अन्य इक्विटी निवेश के लिए भी हो सकता है। बच्चे को वित्तीय जगत से रूबरू कराने के लिए आप उससे बैंक के चेक या अन्य जरूरी फॉर्म भरवाने से शुरुआत कर सकते हैं। इससे बच्चा उस समय के लिए तैयार हो सकेगा जब उसे खुद ही अपने वित्तीय मामलों से निपटने की जरूरत होगी।
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