इक्विटी में पैसा लगाने वाले निवेशक 2 तरह के रिटर्न पर गौर करते हैं। एक है पूंजी में इजाफा यानी शेयरों के बाजार भाव में बढ़ोतरी। दूसरी आमदनी होती है डिविडेंड या लाभांश से। कंपनियां अपने मुनाफे में से इक्विटी शेयरों पर डिविडेंड की घोषणा करती हैं। सभी खर्चों के निपटारे के बाद जो पैसा बचता है, उसका इस्तेमाल बचत बढ़ाने और डिविडेंड में किया जाता है। डिविडेंड की घोषणा शेयरों के फेस वैल्यू के आधार पर की जाती है। मसलन, 10 रुपए के फेस वैल्यू वाले शेयर पर 10 फीसदी डिविडेंड का मतलब है 1 रुपए प्रति शेयर का लाभांश। अगर आपने शेयर को खरीदने के लिए 20 रुपए चुकाए हैं तो डिविडेंड के तौर पर 10 रुपए मिलेंगे। यहां डिविडेंड यील्ड 5 फीसदी होगी। डिविडेंड यील्ड का पता लगाना बेहद जरूरी है। इससे मालूम होता है कि निवेश पर वास्तविक मुनाफा कितना मिला। डिविडेंड यील्ड से विश्लेषकों को निवेश की वैल्यू का पता लगाने में भी मदद मिलती है। इस आधार पर यह फैसला किया जाता है कि क्या किसी शेयर में पैसा लगाया जाना चाहिए या नहीं। जरूरी नहीं कि ज्यादा डिविडेंड यील्ड हर सूरत में बढि़या निवेश का संकेत दे। मुमकिन है कि किसी शेयर की डिविडेंड यील्ड ज्यादा हो, लेकिन उसकी कीमत में बढ़ोतरी उतनी अच्छी न हो। ऐसे में ज्यादा डिविडेंड यील्ड के हिसाब से किया गया निवेश बेकार साबित हो सकता है। निवेश के लिहाज से डिविडेंड यील्ड और शेयर के दाम में इजाफा, दोनों ही जरूरी हैं। शेयर की मौजूदा डिविडेंड यील्ड की एक वक्त के बाद तुलना करने से आप यह पता लगा सकते हैं कि क्या डिविडेंड में इजाफा शेयर का बाजार भाव बढ़ने के अनुपात में हुआ है या नहीं? कंपनी के डिविडेंड भुगतान के चलन के आधार पर आप उसके इतिहास और ग्रोथ के लिहाज से एक उम्मीद बांधते हैं कि एक कंपनी कितना डिविडेंड देगी। निवेशक विश्लेषण के लिए एक वक्त के बाद इस इसकी तुलना कर सकते हैं। डिविडेंड यील्ड यह भी बताती है कि निवेशक के शेयर का खरीद मूल्य का कितना फीसदी हिस्सा उसे डिविडेंड के रूप में लौटाया गया। इस तुलना के लिए सटीक रकम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कई निवेशक ऐसे हैं जो डिविडेंड के जरिए नियमित आमदनी को तरजीह देते हैं। ऐसे निवेशक उन शेयरों पर गौर करते हैं, जिस पर डिविडेंड भी बढ़ता है। आम तौर पर ऐसा होता है कि कम बाजार भाव और ज्यादा डिविडेंड भुगतान के आधार पर डिविडेंड यील्ड ज्यादा बैठती है। डिविडेंड यील्ड एक ऐसा आसान जरिया है, जिससे कोई भी निवेशक शेयरों में अपने निवेश की गणना कर सकता है।
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