कई निवेशक उलझन में हैं कि मौजूदा समय में शेयर बाजार में निवेश का बेहतर तरीका क्या हो सकता है ? इस साल हुए नुकसान के बाद कई लोग बाजार में पैसा डालने में मुकम्मल एहतियात बरत रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इन हालात में इक्विटी यानी शेयर बाजार में निवेश के लिए सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) बेहतर जरिया हो सकता है। जो लोग लंबे वक्त के लिए बाजार में पैसा लगाते हैं , एसआईपी उनकी पसंद रहा है। कई निवेशकों ने इक्विटी म्युचूअल फंडों के लंबी अवधि के एसआईपी रिटर्न को देखते हुए इस तरीके को चुना है। इस वर्ष जनवरी से शेयर बाजार में मंदी का दौर चल रहा है। इस दौरान म्युचूअल फंड में पैसा लगाने वालों को भी अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि , रिटर्न के लिहाज से 4 बेहतर डायवर्सिफाइड इक्विटी योजनाओं के इस साल के रिटर्न पर नजर डाली जाए तो इक्विटी में निवेश के लिए एसआईपी बेहतर जरिया बनकर उभरता है। इस लिस्ट में 2007 में प्रदर्शन के आधार पर टॉप 4 डायवर्सिफाइड इक्विटी सेक्टर फंडों को शामिल किया गया है। ये फंड सुंदरम कैपेक्स ऑपर्च्युनिटीज , आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी , कोटक ऑपर्च्युनिटीज और जेएम इमर्जिंग लीडर्स हैं। इन फंड के ग्रोथ ऑप्शन का रिटर्न देखा गया है। पहले निवेशक ने 10 जनवरी , 2008 को पूरा धन निवेश कर दिया था। दूसरी समान राशि की इक्विटी एसआईपी जिसका भुगतान प्रत्येक माह की 10 तारीख को किया जाता हो और इसकी शुरुआत 10 जनवरी , 2008 से हुई हो। तीसरी निवेशक सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान के तहत 1 जनवरी , 2008 को लिक्विड फंड में निवेश करता है और इसके छठवें हिस्से के समान यूनिटों को 5 महीने के लिए प्रत्येक माह की तारीख को ट्रांसफर करता है। इसकी शुरुआत 10 जनवरी , 2008 से होती है। निवेशक बाकी की राशि को समान एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की इक्विटी योजना में ट्रांसफर करता है। बाजार में गिरावट के दौर में इक्विटी में सिलसिलेवार तरीके यानी एसआईपी के जरिए किया गया निवेश एकमुश्त निवेश से बेहतर रहा। इसमें एनएवी में गिरावट का लाभ भी निवेशक ने अधिक यूनिट खरीदकर उठाया। तीसरी स्थिति में लिक्विड फंड में निवेश की वजह से गिरावट का असर और कम हुआ।
आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी फंड के मामले में फंड ने उल्लेखित अवधि में 31.09 फीसदी का नुकसान उठाया। लेकिन एसआईपी निवेशक के लिए यह नुकसान केवल 11.84 फीसदी का रहा और आईडीएफसी लिक्विडिटी मैनेजर से आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी के एसआईपी में नुकसान और कम होकर 11.07 फीसदी रह गया। तीनों स्थितियों में प्रदर्शन में अंतर जेएम इमर्जिंग लीडर फंड में आसानी से देखा जा सकता है। फंड के निवेशकों को वर्ष के पहले 3 महीनों में वैल्यू का काफी नुकसान हुआ। निवेशकों को यह बात याद रखनी चाहिए कि एसआईपी ने केवल संपत्ति बनाने के लिए बल्कि लंबी अवधि में कम अस्थिरता के साथ संपत्ति बनाने के लिए भी बेहतर है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान में ऊंची मुद्रास्फीति दर की वजह से भले ही डेट निवेश का अच्छा विकल्प न माना जा रहा हो लेकिन अस्थिरता के दौर में यह मंदी से बचाने में काफी मददगार होता है। एक बात याद रखें कि इक्विटी फंड पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ की गणना करते समय एसआईपी या एसटीपी में प्रत्येक निवेश को एक अलग निवेश माना जाता है। अगर बाजार में तेजी का दौर बरकरार रहता है तो निवेश को भुनाते वक्त दूसरे और तीसरे विकल्प पर आपको अधिक कर चुकाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए निवेशक सिस्टमेटिक विड्रॉअल का विकल्प अपना सकता है।
आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी फंड के मामले में फंड ने उल्लेखित अवधि में 31.09 फीसदी का नुकसान उठाया। लेकिन एसआईपी निवेशक के लिए यह नुकसान केवल 11.84 फीसदी का रहा और आईडीएफसी लिक्विडिटी मैनेजर से आईडीएफसी प्रीमियर इक्विटी के एसआईपी में नुकसान और कम होकर 11.07 फीसदी रह गया। तीनों स्थितियों में प्रदर्शन में अंतर जेएम इमर्जिंग लीडर फंड में आसानी से देखा जा सकता है। फंड के निवेशकों को वर्ष के पहले 3 महीनों में वैल्यू का काफी नुकसान हुआ। निवेशकों को यह बात याद रखनी चाहिए कि एसआईपी ने केवल संपत्ति बनाने के लिए बल्कि लंबी अवधि में कम अस्थिरता के साथ संपत्ति बनाने के लिए भी बेहतर है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान में ऊंची मुद्रास्फीति दर की वजह से भले ही डेट निवेश का अच्छा विकल्प न माना जा रहा हो लेकिन अस्थिरता के दौर में यह मंदी से बचाने में काफी मददगार होता है। एक बात याद रखें कि इक्विटी फंड पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ की गणना करते समय एसआईपी या एसटीपी में प्रत्येक निवेश को एक अलग निवेश माना जाता है। अगर बाजार में तेजी का दौर बरकरार रहता है तो निवेश को भुनाते वक्त दूसरे और तीसरे विकल्प पर आपको अधिक कर चुकाना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए निवेशक सिस्टमेटिक विड्रॉअल का विकल्प अपना सकता है।
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