नई दिल्ली : अगर आप नौकरी करते हैं और टैक्सेबल इनकम पांच लाख रुपये
से कम है तो असेसमेंट ईयर 2011-12 यानी इस साल रिटर्न भरने की जरूरत नहीं है। सीबीडीटी की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार,ऐसे व्यक्ति जिनकी वित्त वर्ष 2010-11 में हर तरह के डिडक्शन के बाद वेतन के जरिए कुल टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम है, उन्हें इस साल टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, यह छूट उन लोगों को नहीं मिलेगी जिनकी सेविंग डिपॉजिट के ब्याज से होने वाली आय 10,000 रुपये से ज्यादा है।
कैसे है फायदे का सौदा
इस स्कीम के तहत 6.5 से 8 लाख रुपये सालाम इनकम वालों को फायदा मिलेगा। मसलन, आपकी आमदनी 6.5 लाख रुपये है। इसके बाद आप धारा 80 सी के तहत पीएफ, पीपीएफ, इंश्योरेंस आदि के जरिये एक लाख रुपये का निवेश दिखाते हैं, धारा 80 सीसीएफ के तहत इन्फ्रा बॉन्ड में 20,000 रुपये लगाते हैं और धारा 80 डी के तहत 35,000 रुपये मेडिकल इंश्योंरेस का प्रीमियम देते हैं। ऐसे में डिडेक्शन के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम 4.95 लाख रुपये ही रह जाएगी। इसके अलावा होम लोन पर 1.5 लाख रुपये सालाना ब्याज भी देते हैं, तो 8 लाख रुपये सालाना आमदनी पर भी आप इस स्कीम में शामिल हो जाएंगे।
किन्हें नहीं मिलेगी छूट
1.अगर आप दो जगह काम करते हैं तो आपकी इनकम कितनी भी क्यों न हो, आपको रिटर्न भरना होगा।
2. भले ही किसी व्यक्ति की वेतन से टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम हो, लेकिन अगर उसने साल 2010-11 में ही किसी समय अपनी नौकरी बदली हो तो उसे टैक्स रिटर्न भरना होगा
3. सेविंग अकाउंट से मिलने वाली ब्याज की राशि 10 हजार रुपये से ज्यादा है तो आपको रिटर्न भरना होगा।
4. ऐसे लोग, जो वेतन के अलावा किसी अन्य सोर्स से कमाई करते हैं या जिन्होंने रिफंड क्लेम किया है, वे भी इस स्कीम के दायरे से बाहर रहेंगे। यानी फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर या म्युचुअल फंड में निवेश के जरिये आमदनी होने पर रिटर्न दाखिल करना ही होगा।
5.अगर आपको इनकम टैक्स विभाग सेक्शन 142 (1) या 148 के तहत रिटर्न भरने के लिए नोटिस भेजता है या फिर सेक्शन 153 ए और 153 सी के तहत रिव्यू के लिए आपसे रिटर्न भरने को कहा जाता है तो ऐसा करना होगा। विभाग ऐसा तब करने को कहता है, जब उसे पुराने भरे गए रिटर्न में आमदनी, इनवेस्टमेंट और अन्य आंकड़ों को लेकर संदेह पैदा हो।
कंपनी को बताना होगा
रिटर्न न भरने के लिए भी आपको कुछ कदम उठाने होंगे। अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) और बैंक ब्याज से होने वाली पूरी कमाई की जानकारी अपने नियोक्ता को देनी होगी। टैक्स रिटर्न दाखिल करने से राहत पाने के लिए सेविंग अकाउंट के ब्याज से होने वाली आय (10,000 रुपये से ज्यादा न हो) पर कंपनी के जरि टैक्स अदा करना होगा। इसके बाद फॉर्म 16 में टैक्स डिडक्शन का सर्टिफिकेट लेना होगा, जो आपके लिए रिटर्न का काम करेगा।
कैसे है फायदे का सौदा
इस स्कीम के तहत 6.5 से 8 लाख रुपये सालाम इनकम वालों को फायदा मिलेगा। मसलन, आपकी आमदनी 6.5 लाख रुपये है। इसके बाद आप धारा 80 सी के तहत पीएफ, पीपीएफ, इंश्योरेंस आदि के जरिये एक लाख रुपये का निवेश दिखाते हैं, धारा 80 सीसीएफ के तहत इन्फ्रा बॉन्ड में 20,000 रुपये लगाते हैं और धारा 80 डी के तहत 35,000 रुपये मेडिकल इंश्योंरेस का प्रीमियम देते हैं। ऐसे में डिडेक्शन के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम 4.95 लाख रुपये ही रह जाएगी। इसके अलावा होम लोन पर 1.5 लाख रुपये सालाना ब्याज भी देते हैं, तो 8 लाख रुपये सालाना आमदनी पर भी आप इस स्कीम में शामिल हो जाएंगे।
किन्हें नहीं मिलेगी छूट
1.अगर आप दो जगह काम करते हैं तो आपकी इनकम कितनी भी क्यों न हो, आपको रिटर्न भरना होगा।
2. भले ही किसी व्यक्ति की वेतन से टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से कम हो, लेकिन अगर उसने साल 2010-11 में ही किसी समय अपनी नौकरी बदली हो तो उसे टैक्स रिटर्न भरना होगा
3. सेविंग अकाउंट से मिलने वाली ब्याज की राशि 10 हजार रुपये से ज्यादा है तो आपको रिटर्न भरना होगा।
4. ऐसे लोग, जो वेतन के अलावा किसी अन्य सोर्स से कमाई करते हैं या जिन्होंने रिफंड क्लेम किया है, वे भी इस स्कीम के दायरे से बाहर रहेंगे। यानी फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर या म्युचुअल फंड में निवेश के जरिये आमदनी होने पर रिटर्न दाखिल करना ही होगा।
5.अगर आपको इनकम टैक्स विभाग सेक्शन 142 (1) या 148 के तहत रिटर्न भरने के लिए नोटिस भेजता है या फिर सेक्शन 153 ए और 153 सी के तहत रिव्यू के लिए आपसे रिटर्न भरने को कहा जाता है तो ऐसा करना होगा। विभाग ऐसा तब करने को कहता है, जब उसे पुराने भरे गए रिटर्न में आमदनी, इनवेस्टमेंट और अन्य आंकड़ों को लेकर संदेह पैदा हो।
कंपनी को बताना होगा
रिटर्न न भरने के लिए भी आपको कुछ कदम उठाने होंगे। अपनी स्थायी खाता संख्या (पैन) और बैंक ब्याज से होने वाली पूरी कमाई की जानकारी अपने नियोक्ता को देनी होगी। टैक्स रिटर्न दाखिल करने से राहत पाने के लिए सेविंग अकाउंट के ब्याज से होने वाली आय (10,000 रुपये से ज्यादा न हो) पर कंपनी के जरि टैक्स अदा करना होगा। इसके बाद फॉर्म 16 में टैक्स डिडक्शन का सर्टिफिकेट लेना होगा, जो आपके लिए रिटर्न का काम करेगा।
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