नई    दिल्ली         :             अगर आप आय कर    रिटर्न    ऑनलाइन दाखिल    करने वालों    में शामिल हैं    तो आपके लिए एक   
   खुशखबरी है।    आपको रिफंड एक    महीने के भीतर    मिल जाएगा।    रिफंड की    प्रक्रिया    तेज बनाने और    टैक्स रिटर्न    की    इलेक्ट्रॉनिक    फाइलिंग को    बढ़ावा देने    के लिए केंदीय    प्रत्यक्ष कर    बोर्ड    (सीबीडीटी) ने    यह फैसला किया    है। इससे    करदाताओं को    जल्द रिफंड    मिलेगा। साथ    ही, आय कर    रिटर्न की    समीक्षा में    भी पहले से कम    वक्त    लगेगा।   
    अगर    आप सेंटर पर    जाकर आय कर    रिटर्न फॉर्म    जमा कराते हैं    तो आम तौर पर    रिफंड पांच से    दस महीने में    मिलता है।    सीबीडीटी के    चेयरमैन    सुधीर चंद्रा    ने    संवाददाताओं    से कहा, 'हम    चाहते हैं कि    करदाता    इलेक्ट्रॉनिक    माध्यम से    रिटर्न जमा    कराएं,    क्योंकि इससे    हमें रिफंड की    तेज    प्रोसेसिंग    में मदद मिलती    है।' 31 दिसंबर 2010    को कर विभाग के    पास करीब 40 लाख    रिफंड के    मामले लंबित    थे। इसके    अलावा    भ्रष्टाचार    और    फर्जीवाड़े    की खबरों की    वजह से भी    रिफंड    प्रणाली को    दुरुस्त    बनाने की    कोशिश हो रही    है।   
    हालांकि,    हर साल टैक्स    रिटर्न की    ई-फाइलिंग    करने वालों की    संख्या बढ़    रही है लेकिन    यह कुल रिटर्न    के एक-चौथाई पर    आकर रुक गया    है। फिजिकल    टैक्स रिटर्न    की    जांच-पड़ताल    में काफी वक्त    लगता है। इससे    रिफंड में    देरी होती है।    लगातार बढ़ता    रिफंड का स्तर    इसे और बड़ा    मुद्दा बना    रहा है। 2010-11 में    सरकार ने 78,000    करोड़ रुपए का    अतिरिक्त    टैक्स रिफंड    किया था।       
    केपीएमजी    के    एग्जिक्यूटिव    डायरेक्टर    विकास वसल ने    कहा,    'ई-फाइलिंग से    यह सुनिश्चित    होता है कि    आमदनी, टैक्स    और रिफंड से    जुड़ी    करदाताओं की    जानकारी    टैक्स सिस्टम    में तुरंत    दर्ज हो जाए और    साथ ही साथ    टैक्स का आकलन    भी किया जा    सकता है।' आय    कर विभाग    टेकनेलॉजी    इंटरफेस के    जरिए रिफंड    प्रक्रिया को    तेज और असरदार    बनाने की    कोशिश कर रहा    है। विभाग के    एक अधिकारी ने    कहा, 'पूरे देश    में रिफंड    बैंकर स्कीम    पहले से वजूद    में है, जिससे    यह सुनिश्चित    होता है कि    करदाताओं को    जल्द से जल्द    रिफंड मिले।'       
    आय कर विभाग    भारतीय स्टेट    बैंक को डाटा    भेजता है, जो    आगे चलकर    रिफंड बैंकर    स्कीम के तहत    सीधे तौर पर    करदाताओं को    रिफंड करता    है। चंद्रा ने    कहा, 'हमने 2010-11    में अब तक का    सबसे ज्यादा    रिफंड किया    था।' उन्होंने    अपने    अधिकारियों    को सभी लंबित    रिफंड 31 मार्च    से पहले    निपटाने के    निर्देश दिए    हैं।   
    यह    सुनिश्चित    करने के लिए इन    दिशा-निर्देशों    पर गंभीरता से    अमल किया जाए,    किसी भी मामले    का लटकना उनके    एसीआर में नजर    आएगा। इससे    विभाग को अपना    खाता साफ रखने    में भी मदद    होगी, क्योंकि    अगले    कारोबारी साल    से डायरेक्ट    टैक्स कोड    प्रभाव में आ    रहा है।    चंद्रा ने कहा    कि सीबीडीटी    जून तक उन    दिशा-निर्देशों    के मामले में    अधिसूचना    जारी कर देगा,    जिनके    मुताबिक पांच    लाख रुपए से कम    सालाना आमदनी    वाले छोटे    वेतनभोगियों    को रिफंड    क्लेम न होने    की सूरत में आय    कर रिटर्न जमा    कराने की    जरूरत नहीं    होगी। अगर ऐसे    करदाताओं को    ब्याज से छोटी    आमदनी हो रही    है तो भी    रिटर्न जमा    कराने की    आवश्यकता    नहीं रह    जाएगी।    
  
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