Wednesday, June 16, 2010

किराए का मकान हो तो कर छूट की राह आसान

मकाया किराया भत्ता या एचआरए वेतन का अहम हिस्सा होता है। यह वह रकम होती है जो कंपनी अपने कर्मचारियों को घर के किराए के तौर पर देती है। वेतनभोगी कर्मचारी होने के नाते आप इस राशि पर कर छूट का दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि इस पर कर छूट का दावा करने से पहले आपके लिए कुछ बातें जानना जरूरी हैं। एचआरए पर कर छूट की गणना कैसे करें आगे बताई गई तीन स्थितियों में से जिसमें भी एचआरए की राशि सबसे कम होगी, उसी पर आपको कर छूट का लाभ मिलेगा। 1. पे स्लिप के आधार पर वास्तविक एचआरए। 2. आपके मूल वेतन का 40/50 फीसदी 3. मकान के किराए में वेतन के 10 फीसदी हिस्से को घटाने के बाद की राशि। अगर आप मुंबई, दिल्ली, कोलकाता या चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में रहते हैं तो आपका एचआरए मूल वेतन का 50 फीसदी होगा। वहीं अगर आप मेट्रो के अलावा दूसरे शहरों में रहते हैं तो आपका एचआरए मूल वेतन का 40 फीसदी होगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपका मूल वेतन 40,000 रुपए है और आप मुंबई में रहते हैं तो आपका एचआरए 20,000 रुपए (मूल वेतन का 50 फीसदी) होगा। हम यह मान लेते हैं कि आप मकान के किराए के रूप में 15,000 रुपए देते हैं। तीसरी शर्त के हिसाब से गणना करें तो आप 11,000 रुपए एचआरए के लिए कर छूट का दावा कर सकते हैं (दिए जाने वाला किराए में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर 11,000 रुपए आएगा)। आपको 9,000 रुपए के लिए कर चुकाना होगा। आप एचआरए पर कर छूट का दावा कब कर सकते हैं अगर आप माता-पिता के रहने के लिए किराया देते हैं तो उस पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप माता-पिता के साथ रहते हैं और आप उन्हें मकान का किराया देते हैं। ऐसे में तकनीकी तौर पर माता-पिता आपके मकान मालिक होते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में आपके माता-पिता को अपने व्यक्तिगत इनकम टैक्स रिटर्न में किराए से होने वाली आमदनी का जिक्र करना जरूरी होता है। अगर आप अपने स्पाउज (पति या पत्नी) को किराया देते हैं तो उस पर टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते हैं। टैक्स जानकारों का कहना है कि स्वाभाविक रूप से पति और पत्नी के बीच के रिश्तों को व्यावसायिक नहीं माना जा सकता है। यह माना जाता है कि पति और पत्नी एक साथ रहते होंगे। सहूलियत के लिए आपको कंपनी को मकान किराए से जुड़ी सही जानकारी मुहैया करानी चाहिए ताकि कर कटौती से पहले आपको कर छूट का लाभ मिल सके। दूसरे विकल्प के तहत के जब आप टैक्स रिटर्न भरते हैं तो भी कर छूट का दावा करते हुए रिफंड ले सकते हैं। मान लीजिए कि आपको उस अवधि का एचआरए मिला है, जिसमें आप किराए पर नहीं रह रहे थे तो आप इस राशि पर कर छूट का दावा नहीं कर सकते हैं। सभी मामलों में आपके लिए जरूरी है कि आप अपने पास किराए की रसीद संभाल कर रखें, क्योंकि ये रसीद ही किराया भुगतान के प्रमाण होते हैं। क्या आपके मकान मालिक एनआरआई हैं? सेक्शन 195 के तहत एनआरआई को भारत से होने वाली सभी आमदनी पर टीडीएस देना पड़ता है। यह नियम किराए पर भी लागू होता है। अगर किसी प्रवासी भारतीय को किराए के रूप में सालाना 1.20 लाख रुपए से ज्यादा की आमदनी होती है तो उसे टीडीएस देना होगा। एड्रॉयट के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर वैभव सांकला का कहना है, 'अगर आप किसी एनआरआई मकान मालिक के यहां किराए पर रह रहे हैं तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उस टीडीएस की कटौती करके सरकार के पास जमा कराएं।' होम लोन और एचआरए दोनों पर कब ले सकते हैं कर छूट मान लीजिए कि आपने मुंबई में घर खरीदने के लिए होम लोन लिया और आप फिलहाल किसी दूसरे शहर में रह रहे हैं। ऐसे स्थिति में आप हाउसिंग लोन और एचआरए दोनों पर ही कर छूट का लाभ ले सकते हैं। अगर आपने मुंबई में घर खरीदा है और घर पजेशन के लिए तैयार न होने के कारण अगर आप किराए पर रह रहे हैं तो आपको एचआरए पर ही कर छूट का लाभ मिलेगा। सांकला का कहना है, 'आपने जो घर खरीदा है अगर वह रहने के लिए तैयार है तो आप उस वित्त वर्ष में होम लोन पर कर छूट का लाभ ले सकते हैं।'
-विद्यालक्ष्मी

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