Monday, February 1, 2010

ELSS में निवेश से टैक्स बचत और रिटर्न दोनों

आप इस उधेड़बुन में होंगे कि टैक्स बचाने के लिए कहां पैसा लगाएं। इसके लिए आखिरी तारीख 31 मार्च है। बाजार में कई ऐसे जरिए हैं, जो सुरक्षा के वादे के साथ टैक्स बचत का दावा कर रहे हैं। अगर आपने अभी तक टैक्स बचत के लिए निवेश नहीं किया है तो किसी जानकार को सैलरी स्टेटमेंट दिखाकर टैक्स योग्य आमदनी का पता लगा सकते हैं। ध्यान रहे कि आप आयकर कानून की धारा 80सी के तहत एक लाख रुपए तक की आमदनी पर टैक्स बचा सकते हैं। इस धारा के तहत कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी), पांच वर्ष तक के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश कर टैक्स छूट हासिल की जा सकती है। फाइनेंशियल प्लानर गौरव मशरूवाला का कहना है, 'अगर आप इक्विटी में निवेश के साथ कर राहत भी चाहते हैं तो ईएलएसएस आपके लिए बेहतर जरिया हो सकता है।' यह स्कीम डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड की तरह है, लेकिन इसमें तीन वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है। कई जानकार धारा 80सी में शामिल बहुत से इंस्ट्रूमेंट की तुलना में बेहतर रिटर्न के लिए इक्विटी को तरजीह देते हैं। मनी केयर फाइनेंशियल प्लानिंग के प्रमुख जनखाना शाह के अनुसार, 'शेयर बाजार में इस समय कम कीमत में आकर्षक शेयर खरीदे जा सकते हैं। इन हालात में ईएलएसएस में निवेश करना ठीक रहेगा। इसमें तीन वर्ष के लिए निवेश लॉक रहेगा और इसके बाद ये स्कीम आपको अच्छा रिटर्न दे सकती हैं।' इसके साथ ही कर बचाने वाली पांच वर्ष की जमा योजना और एनएससी की तरह इस पर मैच्योरिटी पर मिलने पर ब्याज पर कर नहीं देना होता। ईएलएसएस में तीन वर्ष की लॉक इन अवधि के बाद मिलने वाला भुगतान कर मुक्त होता है। पीपीएफ भी इस लिहाज से अच्छा निवेश है। इसमें 8 फीसदी का रिटर्न मिलता है और मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम कर मुक्त होती है। इसमें 15 वर्ष की लॉक इन अवधि बड़ी बाधा है। यूलिप की बात की जाए तो आज के समय में निवेश के साथ ही बीमा की सुविधा को देखते हुए करदाता इसे पसंद करते हैं, लेकिन इसमें शुरुआती शुल्क और बाद के भुगतान की वजह से यह कुछ महंगी पड़ती है। दूसरी ओर ईएलएसएस में एजेंट को दी जाने वाली कमीशन कम होती है और निवेश के लिए अधिक राशि उपलब्ध रहती है। यूलिप लंबी अवधि का प्रोडक्ट है और इसमें निवेशक को 10-15 वर्ष के समय में ही अच्छा रिटर्न मिल पाता है। इसके उलट ईएलएसएस में आप तीन वर्ष के बाद अपनी यूनिट भुना सकते हैं। अन्य निवेश के मुकाबले ईएलएसएस फंड जहां फायदेमंद हैं, वहीं इनके साथ कुछ सीमाएं भी जुड़ी हैं। किसी भी अन्य इक्विटी आधारित प्रोडक्ट की तरह इनमें भी जोखिम शामिल रहता है। जोखिम न चाहने वाले निवेशकों के लिए इससे दूर रहने में ही समझदारी है। ईएलएसएस फंड को चुनने के मानक किसी इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड के समान ही होते हैं। निवेशकों को फंड चुनने से पहले उसके ट्रैक रिकॉर्ड, फंड मैनेजर, फंड हाउस और जोखिम के बारे में जानकारी जुटानी चाहिए। ऐसा फंड चुनना बेहतर रहता है, जिसने बाजार के सभी दौर में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया हो। उस फंड से बचें, जिसका पिछला रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं है लेकिन इसके बावजूद इसने हाल के महीनों में अच्छा रिटर्न दिया है। ईटी म्यूचुअल फंड ट्रैकर पर नजर डाली जाए तो यह पता चलता है कि एसबीआई मैग्नम टैक्स गेन स्कीम 1993 और सुदंरम टैक्स सेवर को पिछली चार तिमाहियों से लगातार प्लैटिनम या गोल्ड स्कीम की रेटिंग मिलती रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इन दोनों फंडों में बाजार में चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच भी अपनी क्षमता को साबित किया है।
-प्रीति कुलकर्णी

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