नई दिल्ली : जब डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होगा, तो टैक्स से राहत देने वाले कई लोकप्रिय वित्तीय उत्पादों की हवा निकाल देगा। इसके प्रभावी होने के बाद यूनिट आधारित बीमा योजनाओं (यूलिप), इक्विटी में निवेश को प्रमुखता देने वाली म्यूचुअल फंड स्कीम और अन्य कई लोकप्रिय योजनाओं और निवेश उत्पादों की टैक्स छूट मुहैया कराने की काबिलियत खत्म हो जाएगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन एस एस एन मूर्ति ने कहा कि बोर्ड की योजना ऐसे उत्पादों की संख्या घटाने की है, जो टैक्स छूट के योग्य हों। सरकार प्रत्यक्ष कर नियमों को आसान बनाने की कोशिशों में जुटी है ताकि राजस्व बढ़ाया जा सके और लंबी अवधि की बचत को प्रोत्साहन दिया जा सके। टैक्स कोड के मसौदे में प्रस्तावित 3 लाख रुपए की कर छूट सीमा भी घटाई जाएगी। तकरीबन 50 साल पुराने आयकर अधिनियम की जगह लेने के लिए तैयार किए जा रहे नए टैक्स कोड के संशोधित प्रस्तावों से मंगलवार को परदा हटाया गया था। सरकार ने उम्मीद जताई है कि यह कोड अप्रैल 2011 से लागू हो जाएगा। निवेश और बीमा कवर को समाहित करने वाले हाइब्रिड उत्पाद यूलिप काफी लोकप्रिय माने जाते हैं। कारोबारी साल 2009-10 में जुटाए गए लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपए के बीमा प्रीमियम में ऐसे उत्पादों की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा थी। हालांकि ये उत्पाद विवादास्पद भी हैं, क्योंकि इन पर नियंत्रण के अधिकार को लेकर पूंजी बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक इरडा के बीच रस्साकशी चल रही है। वित्तीय उत्पादों पर कर लगाए जा सकने के अलग-अलग चरणों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'यूलिप छूट, छूट, छूट (ईईई) कर दायरे से बाहर हो जाएंगे।' फिलहाल, यूलिप में निवेश करने वालों को निवेश करने, निवेश में बने रहने की अवधि और मेच्योरिटी, तीनों में से किसी भी स्तर पर टैक्स नहीं चुकाना होता है। बैंक डिपॉजिट, इक्विटी केंदित म्यूचुअल फंड, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र डिपॉजिट और होम लोन पर मूल राशि का भुगतान सहित कई अन्य बचत योजनाओं के साथ यूलिप में निवेश पर भी टैक्स छूट मिलती है। करदाता इन उत्पादों पर हर साल 1 लाख रुपए तक की छूट का दावा कर सकते हैं। आईडीबीआई फोर्टिस लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ जी वी नागेश्वर राव ने कहा, 'बीमा की पहुंच बढ़ाने के मामले में टैक्स बेनेफिट अहम किरदार अदा करते हैं और इनमें से किसी भी तरह का फायदा खत्म करने से इसकी पहुंच बनाने की क्षमता प्रभावित होगी।' संशोधित प्रस्ताव में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), पेंशन फंड डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी की ओर से संचालित पेंशन स्कीम, जनरल प्रॉविडेंट फंड, मान्यता प्राप्त प्रॉविडेंट फंड और विशुद्ध जीवन बीमा तथा एन्युइटी स्कीम जैसी छह योजनाओं को ही कर मुक्त रखा जाएगा। इन स्कीमों में किसी भी चरण पर टैक्स नहीं वसूला जाएगा। नई पेंशन स्कीम भी कराधान के ईईई तरीके से कवर होगी और परिपक्वता के समय पैसा निकालने पर भी कर नहीं चुकाना होगा। हालांकि, टैक्स कोड लागू होने से पहले किया गया निवेश संबंधित वित्तीय उत्पाद की पूरी अवधि के लिए टैक्स लगाए जाने के ईईई मानक के योग्य होगा। इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई निवेशक डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होने से पहले यूलिप खरीदता है, तो पूरी अवधि के दौरान उस पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा। यूलिप पर परिपक्वता के वक्त टैक्स लगाया जा सकता है, लेकिन सरकार ने इन उत्पादों के मामले में टैक्स नियमों पर रुख साफ नहीं किया है। इरडा के मेम्बर एक्चुअरी आर कन्नन ने कहा, 'यूलिप से जुड़े मौजूदा टैक्स प्रावधान फायदेमंद हैं, क्योंकि इससे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में फंड का प्रवाह बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, कैपिटल मार्केट में इनकी हिस्सेदारी काफी महत्वपूर्ण रहती है।' कोड का उद्देश्य निवेशकों को लंबी अवधि की बचत योजनाओं में पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
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