सस्ता खरीदो, महंगा बेचो
शेयर बाजार में निवेश का सबसे लोकप्रिय सिद्धांत है। लेकिन आप कैसे जानेंगे कि कोई शेयर कब सस्ता होता है?सूत्र : किसी शेयर भाव की तुलना उसके वास्तविक मूल्य से करो।शेयर भाव और उसके वास्तविक मूल्य में क्या अंतर है?
-- किसी समय शेयर के बदले बाजार जो कीमत चुकाने को तैयार होता है वह शेयर भाव होता है। यह बार-बार बदलता है। -- किसी शेयर के मूल्य का अर्थ है उसमे निहित व्यवसाय। यह स्थिर होता है और कंपनी के कामकाज व भाग्य से जुड़ा होता है। जब मूल्य से भाव कम हो तब खरीदो
किसी शेयर का वास्तविक मूल्य मानाकि 150 रुपए है और बाजार भाव 125 रुपए है तो यह शेयर आपको 25 रुपए कम में मिल रहा है। यह कोई गारंटी नहीं है कि शेयर भाव 125 से नीचे नहीं जाएगा। शेयर का मूल्य कैसे पता लगाएं?सबसे पहले वित्तीय स्टेटमेंट पढ़ें और शेयर की बारीकियां समझ लें। वारेन बफे की आजमाई पद्धति का इस्तेमाल भी कर सकते हैं: पद्धति 1:प्रति शेयर नेट लिक्विड असेट पर गौर करें . नेट लिक्विड असेट प्रति शेयर = करेंट असेट (नकदी, डेटर्स, लिक्विड निवेश) –देनदारियां शेयरों की संख्या नियम: ऐसे किसी भी शेयर के लिए वारेन बफे दो तिहाई से ज्यादा कीमत नहीं चुकाते
पद्धति 2: अब पीई (मूल्यार्जन) ग्रोथ रेशियो देखते हैंपीई व ग्रोथ रेशियो = बाजार मूल्य/ ईपीएस सालाना ईपीएस ग्रोथ सालाना ईपीएस ग्रोथ = चालू वर्ष की ईपीएस-पिछले साल की ईपीएस x 100 पिछले साल का ईपीएसनियम: पीई ग्रोथ रेशियो एक है तो बताता है कि शेयर का सही मूल्य है। अगर यह एक से कम है तो शेयर अंडरवैल्यू है। एक से ज्यादा है तो ओवरवैल्यू है। पीई: मार्जिन आफ सेफ्टी का संकेत मान लेते हैं कि आप एक शेयर 550 रुपए में खरीदते हैं, जिसका ईपीएस 50 रुपए है। एक साल में आप 550 रुपए के निवेश पर 50 रुपए कमाते हैं। यह करीब 9 फीसदी का रिटर्न होता है।
अब आप बैंक डिपाजिट पर भी 8-9 फीसदी का जोखिम मुक्त प्रतिफल कमा सकते हैं। इस मामले में मार्जिन आफ सेफ्टी शून्य है। अगर हमें जोखिम कम रखना है तो अंतर ज्यादा रखना चाहिए।
नियम: वारेन बफे की सिफारिश है कि यह अंतर 1.25-1.5 फीसदी होना चाहिए। अंतिम शब्द: तेजी में निवेशक हर शेयर के लिए ज्यादा कीमत चुकाते हैं। उस समय मार्जिन आफ सेफ्टी पूरा नहीं मिलता। मंदी में यह अच्छा मिलता है।
शेयर बाजार में निवेश का सबसे लोकप्रिय सिद्धांत है। लेकिन आप कैसे जानेंगे कि कोई शेयर कब सस्ता होता है?सूत्र : किसी शेयर भाव की तुलना उसके वास्तविक मूल्य से करो।शेयर भाव और उसके वास्तविक मूल्य में क्या अंतर है?
-- किसी समय शेयर के बदले बाजार जो कीमत चुकाने को तैयार होता है वह शेयर भाव होता है। यह बार-बार बदलता है। -- किसी शेयर के मूल्य का अर्थ है उसमे निहित व्यवसाय। यह स्थिर होता है और कंपनी के कामकाज व भाग्य से जुड़ा होता है। जब मूल्य से भाव कम हो तब खरीदो
किसी शेयर का वास्तविक मूल्य मानाकि 150 रुपए है और बाजार भाव 125 रुपए है तो यह शेयर आपको 25 रुपए कम में मिल रहा है। यह कोई गारंटी नहीं है कि शेयर भाव 125 से नीचे नहीं जाएगा। शेयर का मूल्य कैसे पता लगाएं?सबसे पहले वित्तीय स्टेटमेंट पढ़ें और शेयर की बारीकियां समझ लें। वारेन बफे की आजमाई पद्धति का इस्तेमाल भी कर सकते हैं: पद्धति 1:प्रति शेयर नेट लिक्विड असेट पर गौर करें . नेट लिक्विड असेट प्रति शेयर = करेंट असेट (नकदी, डेटर्स, लिक्विड निवेश) –देनदारियां शेयरों की संख्या नियम: ऐसे किसी भी शेयर के लिए वारेन बफे दो तिहाई से ज्यादा कीमत नहीं चुकाते
पद्धति 2: अब पीई (मूल्यार्जन) ग्रोथ रेशियो देखते हैंपीई व ग्रोथ रेशियो = बाजार मूल्य/ ईपीएस सालाना ईपीएस ग्रोथ सालाना ईपीएस ग्रोथ = चालू वर्ष की ईपीएस-पिछले साल की ईपीएस x 100 पिछले साल का ईपीएसनियम: पीई ग्रोथ रेशियो एक है तो बताता है कि शेयर का सही मूल्य है। अगर यह एक से कम है तो शेयर अंडरवैल्यू है। एक से ज्यादा है तो ओवरवैल्यू है। पीई: मार्जिन आफ सेफ्टी का संकेत मान लेते हैं कि आप एक शेयर 550 रुपए में खरीदते हैं, जिसका ईपीएस 50 रुपए है। एक साल में आप 550 रुपए के निवेश पर 50 रुपए कमाते हैं। यह करीब 9 फीसदी का रिटर्न होता है।
अब आप बैंक डिपाजिट पर भी 8-9 फीसदी का जोखिम मुक्त प्रतिफल कमा सकते हैं। इस मामले में मार्जिन आफ सेफ्टी शून्य है। अगर हमें जोखिम कम रखना है तो अंतर ज्यादा रखना चाहिए।
नियम: वारेन बफे की सिफारिश है कि यह अंतर 1.25-1.5 फीसदी होना चाहिए। अंतिम शब्द: तेजी में निवेशक हर शेयर के लिए ज्यादा कीमत चुकाते हैं। उस समय मार्जिन आफ सेफ्टी पूरा नहीं मिलता। मंदी में यह अच्छा मिलता है।
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