Thursday, May 7, 2009

मंदी के मारे शेयर ही सबसे ज्यादा उछाल पर

मंदी के मारे शेयर ही सबसे ज्यादा उछाल पर
मुंबई - शेयर बाजार में मार्च 2009 से तेजी बनी हुई है। इससे पहले साल भर तक बाजार मंदी की चपेट में था। बाजार की मौजूदा तेजी का फायदा लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉलकैप सभी स्टॉक्स को हुआ है। सबसे ज्यादा उछाल उन शेयरों में आया है, जिन पर मंदी की सबसे ज्यादा मार पड़ी थी। मिसाल के तौर पर मंदी के दौर में बैंकिंग और रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों के शेयरों की कीमत में भारी गिरावट आई थी लेकिन अब इन सेक्टरों को तेजी का फायदा मिल रहा है।

जानकारों का कहना है कि दुनिया भर में के शेयर बाजारों में तेजी के शुरुआती संकेतों का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा इस तेजी का दिलचस्प पहलू यह भी है कि कुछ महीने पहले तक ज्यादातर निवेशकों का इसका यकीन नहीं था। ऐसे में इन लोगों ने नकदी को अपने पास रखना ही बेहतर समझा। अब यही निवेशक मौजूदा तेजी का फायदा उठाने की फिराक में हैं और निवेश के लिए वैल्यू शेयरों की तलाश कर रहे हैं। कुछ महीने पहले तक निवेशक बाजार की हलचल पर नजर डालना भी गवारा नहीं कर रहे थे, लेकिन अब वे इस पर पैनी नजर रख रहे हैं। इस बीच वैश्विक बाजारों पर नकारात्मक खबरों का भी बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा। इन खबरों के आने के बाद दुनिया के बाजारों में मामूली गिरावट आई, लेकिन उसके बाद फिर से तेजी का दौर शुरू हो गया।

जानकारों का कहना है कि बहुत से बड़े फंड हाउस भी मौजूदा तेजी का फायदा नहीं उठा पाए हैं, वहीं कई छोटे निवेशक इस बार भी मुनाफा बटोरने से चूक गए। ये लोग हर गिरावट के बाद खरीदारी कर रहे हैं, इससे निचले स्तरों पर बाजार को समर्थन मिल रहा है। हालांकि, मौजूदा स्तरों पर छोटे निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। अक्सर वे उन शेयरों में पैसा लगाते हैं, जो पहले ही काफी ऊपर चढ़ चुके होते हैं। इस तरह से छोटे निवेशक कई बार फंस जाते हैं। ऐसे में संयम बरतना बेहतर होगा। छोटे निवेशकों को मजबूत फंडामेंटल वाले कुछ शेयरों को चुनना चाहिए, उसके बाद उन पर लगातार नजर बनाए रखनी चाहिए। जब भी बाजार में गिरावट आती है, तब निवेशक उन शेयरों को खरीद सकते हैं।

अगर छोटे निवेशक इस रणनीति पर चलें तो वे इस तेजी का फायदा उठा सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों की पहचान कैसे की जा सकती है..

रेशियो
शेयर महंगे हैं या सस्ते, इसकी पहचान के लिए रेशियो का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में सबसे ज्यादा प्राइस टू अर्निंग (पी/ई) और प्राइस टू बुक वैल्यू (पी/बीवी) रेशियो की चर्चा होती है। ये रेशियो जितने कम होते हैं, शेयर को उतना ही सस्ता माना जाता है। किसी शेयर के इन रेशियो की तुलना उसी सेक्टर की दूसरी कंपनी से की जा सकती है। इससे आपको यह पता चल सकता है कि कौन सा शेयर सस्ता है और कौन सा महंगा। हालांकि, सिर्फ रेशियो के आधार पर ही वैल्यूएशन को नहीं मापा जा सकता। इसके साथ आपको कंपनी का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड, मैनेजमेंट की सोच और कंपनी के साइज (लार्जकैप, मिडकैप या स्मॉलकैप) का ख्याल भी रखना पड़ता है। कंपनी का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड देखते वक्त आमदनी और मुनाफे पर खास नजर डालनी चाहिए।

कारोबार को लेकर आगे का नजरिया
आपके निवेश का नतीजा बहुत हद तक इस पर भी निर्भर करता है, जिस सेक्टर की कंपनी के शेयर आप खरीदने जा रहे हैं, वह आगे कैसा कारोबारी प्रदर्शन करेगा। कंपनी के अगले साल के कारोबारी लक्ष्य को समझने के लिए आप उसके सालाना नतीजे को देख सकते हैं। कई बार कंपनियां एनुअल रिपोर्ट में आगे के कारोबारी माहौल की तस्वीर खींचती हैं। बाजार के जानकार भी कई सेक्टरों के भविष्य की कारोबारी रूपरेखा रिपोर्ट के जरिए सार्वजनिक करते हैं। इस तरह से आप उन शेयरों को तलाश सकते हैं, जिनका आने वाला कल शानदार है। पिटे हुए शेयरपिछले साल मंदी के दौर में कई सेक्टर और कंपनियों पर जबरदस्त मार पड़ी। मौजूदा तेजी के दौरान इनमें से कइयों की वापसी हुई है। इस तरह के कई दूसरे शेयर अब भी अपनी किस्मत संवरने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे जिन शेयरों पर अभी तक बाजार की नजर नहीं पड़ी है, निवेशक उनके फंडामेंटल की पड़ताल के बाद उसमें पैसा लगा सकते हैं। छोटे निवेशकों को स्मॉलकैप या पेनी स्टॉक से बचना चाहिए।
-विकास अग्रवाल

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