Sunday, November 30, 2008

आइए जानते हैं बायबैक का फंडा

किसी कंपनी के अपने शेयर दोबारा खरीदने के कदम को बायबैक कहा जाता है। ऐसा कर कंपनी खुले बाजार में उपलब्ध अपने शेयरों की संख्या घटाती है। इस कदम से आय प्रति शेयर (ईपीएस) में इजाफा होने के अलावा कंपनी की संपत्ति पर मिलने वाला रिटर्न भी बढ़ता है। इनके असर से कंपनी की बैलेंस शीट भी बेहतर होती है। निवेशक के लिए बायबैक का मतलब है, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी बढ़ना। शेयर बायबैक करने को कभी-कभार शेयर खरीदना कहा जाता है और आम तौर पर इसे शेयर की कीमत में उछाल का संकेत माना जाता है।
कैसा होता है बायबैक?
कंपनी टेंडर ऑफर या खुले बाजार में बायबैक से अपने शेयर वापस खरीद सकती है। पहले तरीके में कंपनी शेयरों की उन संख्या से जुड़े ब्योरे के साथ टेंडर ऑफर जारी करती है जिन्हें खरीदने की उसकी योजना है और प्राइस रेंज का संकेत देती है। ऑफर को स्वीकार करने में दिलचस्पी रखने वाले निवेशक को एक आवेदन भरकर जमा कराना होता है, जिसमें इसकी जानकारी होती है कि वह कितने शेयर टेंडर करना चाहता है और वांछित कीमत क्या है। इस फॉर्म को कंपनी के पास वापस भेजना होता है। ज्यादातर मामलों में टेंडर ऑफर बायबैक की कीमत ओपन माकेर्ट में शेयर के दाम से ज्यादा होती है। सेबी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर कंपनी आपके शेयरों को स्वीकार करती है तो उसे आपको ऑफर क्लोज होने के 15 दिन के भीतर जानकारी देनी होगी। कंपनी के समक्ष दूसरा रूट यह होगा कि वह सीधे बाजार से धीरे-धीरे शेयरों को खरीदे।
कहां से मिली जानकारी?
बायबैक से जुड़ी तमाम जानकारी स्टॉक एक्सचेंज से मिल सकती है क्योंकि कंपनियों को ऐसे प्रस्तावों के बारे में सूचित करने की जरूरत होती है।
कंपनियां क्यों चुन रही है बायबैक का रास्ता?
इसकी कई वजह हो सकती हैं। कभी-कभी कंपनियां तब बायबैक में शामिल होती हैं जब उन्हें लगता है कि बाजार में शेयरों की कीमत काफी टूट रही है। दूसरे हालात में ज्यादा नकदी का इस्तेमाल कर ऐसा किया जा सकता है। हालांकि ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता कि कंपनी के टेकओवर से बचने के लिए ऐसा किया गया हो।

कर बचाने वाली योजनाओं में अभी निवेश बेहतर

जीवन में दो चीजें निश्चित होती हैं- मृत्यु और कर। लेकिन हम इन दोनों ही विषयों पर बात करने से बचना चाहते हैं। वर्ष के अंत में निवेश करने के वार्षिक कार्यक्रम में अभी चार महीने से ज्यादा का समय बचा है। लेकिन अगर आप कर बचाने के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) या यूनिट लिंक्ड सेविंग स्कीम (यूलिप) में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस समय आपके लिए आकर्षक अवसर उपलब्ध हैं। शेयर बाजारों में गिरावट का दौर चल रहा है और शेयरों के दाम काफी घट गए हैं। पिछले तीन महीनों में म्यूचुअल फंडों के एनएवी में भी काफी गिरावट आई है और कुछ तो 50 फीसदी तक नीचे चले गए हैं। मौजूदा निवेशकों के लिए निश्चित तौर पर यह अच्छी खबर नहीं है लेकिन अगर आप आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत निवेश के विकल्पों की तलाश में हैं तो आपके लिए मौजूदा स्तरों पर निवेश का यह बेहतरीन मौका है। शेयर बाजारों में गिरावट का दौर दिसंबर के समाप्त होने की उम्मीद की जा रही है। विश्व के कई देशों में यह महीना वित्त वर्ष की समाप्ति का भी होता है। भारत में भी वित्तीय स्थितियां सुधारने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बहुत से कदम उठाए हैं। नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में कटौती की गई है। देश में तरलता की स्थिति दो से तीन महीनों में सामान्य हो सकती है। केन्द्रीय बैंक दरों में और कटौती कर सकता है जिससे कॉरपोरेट सेक्टर को कर्ज जुटाने में आसानी होगी। इससे घरेलू मांग को भी बढ़ावा मिलेगा। अगर आप ईएलएसएस में अगले दो महीनों में तीन से चार भाग में निवेश की योजना बना रहे हैं तो बाजार के चढ़ने की स्थिति में आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर आप मौजूदा स्तरों पर निवेश करते हैं तो इस समय आप कम दाम पर इक्विटी में धन लगाने के साथ ही कर भी बचा सकते हैं। मार्च तक इंतजार करने से आपको अगले तीन से चार महीने में बाजार में तेजी आने पर नुकसान हो सकता है। ईएलएसएस फंड विशेष ओपन एंडेड इक्विटी फंड होते हैं जिनमें धारा 80 सी के तहत कर लाभ मिलता है। अन्य इक्विटी फंडों में धारा 80 सी के तहत कर लाभ नहीं मिलता। आप ईएलएसएस में वर्ष के किसी भी समय निवेश कर सकते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि निवेश उस दिन से शुरू होती है जब आप निवेश करते हैं। अगर आपके पास अभी नकदी मौजूद है तो इसे आप ईएलएसएस में निवेश कर लाभ ले सकते हैं। इससे आप मार्च में कर बचाने के लिए निवेश की चिंता से भी मुक्त हो जाएंगे।

Wednesday, November 26, 2008

बाजार को मत देखिए, कंपनी के प्रदर्शन पर गौर कीजिए

बेंजामिन ग्राहम ने साल 1930 में चले भयंकर संकट के दौर के वक्त कहा था कि निवेशकों को बाजार को देखने की बजाय वैल्यू इनवेस्टिंग की ओर गौर करना चाहिए। इनवेस्टरों को वास्तव में यह देखना चाहिए कि कंपनी की क्या स्थिति है यह कितनी मजबूत है और बुरे वक्त में कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहा है। किसी भी निवेशक को कंपनी में निवेश करने से पहले इसके एसेट्स , कर्जों और नकदी जुटाने की क्षमता के बारे में जानकारी जुटानी चाहिए। अगर किसी कंपनी इतनी सस्ती मिल रही हो कि इसकी वैल्यू में इसके कारोबार से निकलने के बाद बेहद कम गिरावट आए तो ऐसी कंपनी को मार्जिन ऑफ सेफ्टी के दायरे में रखना चाहिए। ऐसे में अगर कोई कंपनी इसके बारे में किए गए दावों के बावजूद सस्ती दिखाई दे तो संकट के दौर में निवेशक इस पर दांव लगा सकता है। साथ ही अगर बाजार कंपनी के शेयरों के आकलन में चूक रहा है तो निवेशक इसमें निवेश से काफी मुनाफा कमा सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक हालिया आर्टिकल में वारेन बफेट ने कहा है कि शेयरों में खरीद का यही मौका है और आगे आने वाला वक्त अनिश्चित हो सकता है। साल 1932 की गर्मियां के बारे में उनका कहना है कि शेयरों ने उस दौर में अर्थव्यवस्था में तेजी आने से पहले ही ऊपर चढ़ना शुरू कर दिया था। इस तरह की समानताएं इस वक्त भी दिख रही हैं। हमें इस बात को खंगालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि बाजार कब तक तेजी की ओर लौटेगा। या कि कब यह बॉटम पर पहुंच जाएगा। निवेशकों को यह समझ लेना चाहिए कि इस बारे में सोचना बेकार है। निवेशकों को देखना चाहिए कि कंपनी की बैलेंस शीट कैसी है। साथ ही बैलेंस शीट प्रक्रिया से यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि कंपनी के शेयरों की क्या कीमत है और सबसे बुरी स्थिति में भी इसके शेयरों की क्या स्थिति हो सकती है। अगर हमारे आकलन इस बारे में इंगित करते हैं कि कंपनी मार्जिन ऑफ सेफ्टी के लिहाज से ठीक है तो हम इसके शेयरों को खरीद सकते हैं। एक आदमी जिसने साल 1933 में जर्मन इंडेक्स फंड में निवेश किया था (इसी साल हिटलर सत्ता में आया था) उसने उसी वक्त बॉन्ड में निवेश में करने वाले एक निवेशक के मुकाबले साल 1955 में काफी बेहतर रिटर्न हासिल किया।
यह रिटर्न ऐसे वक्त में मिले जबकि साल 1939 से लेकर 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध का दौर चला। इक्विटी में दैनिक आधार पर उतार-चढ़ाव पैदा होता है लेकिन इनमें लंबे वक्त में काफी अच्छे रिटर्न मिलते हैं। भारत की जीडीपी के बारे में सबसे नकारात्मक सोच रखने वाले भी मानते हैं कि अगले दो-तीन साल तक छह से सात फीसदी की वृद्धि दर रह सकती है। ऐसी स्थिति में भी देश की जीडीपी वृद्धि दर 15 फीसदी के करीब होगी। और इस स्थिति में घरेलू कॉरपोरेट जगत की बिक्री दर 15 से 20 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। यह वृद्धि दर हालांकि हाल के कुछ सालों में रही रफ्तार से कम रहेगी लेकिन इस वक्त जिस तरह के नकारात्मक अनुमान लगाए जा रहे हैं उससे कहीं बेहतर स्थिति हमें देखने को मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि निवेशकों को इस वक्त ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इस वक्त शेयरों में निवेश को लंबे वक्त के लिहाज से किए जाने की जरूरत है। जैसे ही वित्तीय संकट से फोकस हट कर आशंका किए जा रहे आर्थिक मंदी की ओर होगा इंडस्ट्री के बारे में पिछले कुछ सालों में किए गए अनुमानों की वास्तविकता पर सवाल होने शुरू हो जाएंगे। पिछले कुछ सालों में इक्विटी बाजार का फोकस केवल आमदनी पर रहा है। विश्लेषकों का पूरा ध्यान इस दौरान कंपनी के प्रोफाइल और नुकसान पर रहा है। इनका गौर कंपनी के कैश फ्लो और बैलेंस शीट पर कम ही रहा है। इसके अलावा कंपनी के शेयरों पर भी काफी फोकस रहा है और इस बारे में विश्लेषण करते वक्त कंपनी को दूसरे स्रोतों से मिल रहे वित्त और इनके शेयरों पर पड़ने वाले असर पर ज्यादा गौर नहीं किया गया है।
एसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में हाल ही में उतरे कई खिलाड़ियों को रेवेन्यू लैस कॉस्ट विश्लेषण काफी आसान और बढ़िया लगता है। तमाम हेज फंड भी इसी पर भरोसा कर चल रहे हैं। हाल के दिनों में निवेशकों ने कंपनी के कैपिटल स्ट्रक्चर और फंडिंग फंडामेंटलों पर ज्यादा गौर करना शुरू कर दिया है। यह एक अच्छी बात है।
-सुदीप बंदोपाध्याय
( लेखक रिलायंस मनी के सीईओ हैं )

डायवर्सिफाइड फंड लगाएंगे नैया पार

बाजार में मंदी के दौर का एक फायदा है कि यह बढ़िया प्रदर्शन करने वाले फंडों को दूसरों की भीड़ से अलग खड़ा कर देता है। बाजार में तेजी के वक्त निवेशकों के लिए काम ज्यादा मुश्किल नहीं होता क्योंकि सप्ताह दर सप्ताह आधार पर उनके सामने अगुवा फंड का नया समूह खड़ा होता है। लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने वाले निवेशक छोटी मियाद के विजेताओं की ओर नहीं देखते , लेकिन ऐसे कुछ ही लोग होते हैं जो निरंतरता पर रिटर्न को नजरअंदाज करने में कामयाब होते हैं। बाजार मंदी की गिरफ्त में हो तो निवेशकों के हाथ में पर्याप्त वक्त होता है और वह अपने मुताबिक उसका इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता ले सकता है क्योंकि एनएवी ( नेट एसेट वैल्यू ) कुछ ही दिनों में गायब होने वाली चीज नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि आप ऐसे वक्त एक फंड का चुनाव कैसे करें , जब सभी फंड पैसा गंवा रहे हों ? अगर आप खेल के कुछ बुनियादी सिद्धांतों पर कायम रहते हैं तो यह काम बहुत मुश्किल नहीं है। मसलन , पोर्टफोलियो के लिए फंड का चुनाव करने से पहले अपने संपत्ति आवंटन पर गौर कीजिए। हालांकि , फंड का चुनाव और संपत्ति आवंटन हमेशा एक - सा नहीं रहता , क्योंकि आपको निरंतर आधार पर निवेश प्रक्रिया की समीक्षा करने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए मौजूदा स्तरों पर इनकम फंड या लिक्विड फंड में पैसा लगाना बेहतर विकल्प साबित हो सकता है , लेकिन ज्यादा लंबे वक्त के लिए नहीं। ब्याज दरों में गिरावट और शेयर बाजारों में उथल - पुथल के इस समय में डेट के जरिए निवेश करना भी आकर्षक दिख रहा है। लंबी अवधि में हालांकि इक्विटी बाजार बेहतर रिटर्न देने का माद्दा रखता है। पोर्टफोलियो के लिए फंड के मिश्रण पर लौटें तो बढ़िया टैक रिकॉर्ड रखने वाले डायवर्सिफाइड फंड पर भरोसा कीजिए। रिटर्न के ट्रैक रेकॉर्ड के अलावा फंड के निवेश के तरीके पर भी गौर कीजिए। मसलन , वैल्यू पिकिंग एक ऐसा टर्म है जिसे अपनाते सभी फंड हाउस हैं लेकिन इसके सिद्धांत पर चलने वाले फंड हाउस कम ही हैं।
इस साल की शुरुआत में वैल्यू इनवेस्टमेंट रणनीति रखने वाले फंड हाउस 50 से ज्यादा पीई रखने वाले रियल्टी स्टॉक या पावर सेक्टर के शेयरों के पीछे भागते देखे गए थे। एक बढ़िया म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में निवेश की जोखिम सहन करने की क्षमता का अक्स नजर आना चाहिए इसलिए इसका कोई एक फॉर्मूला नहीं हो सकता। हालांकि बाजार की मौजूदा स्थिति में निवेशक लार्ज कैप आवंटन को लेकर जेब का दरवाजा खोल सकते है। डायवर्सिफाइड फंड लार्ज कैप शेयरों पर स्वाभाविक फोकस रखते हैं , इसलिए इन फंड में ज्यादा पैसा लगाना जरूरी हो जाता है। फंड चुनते वक्त पोर्टफोलियो को मिश्रित रूप से तैयार करने पर विचार कीजिए। एक जैसा स्टॉक पोर्टफोलियो रखने वाले कई सारे फंड भी डायवर्सफिकेशन का उद्देश्य पूरा नहीं करते। यहां , निवेशकों को विश्लेषण संबंधी कौशल का इस्तेमाल करना चाहिए और अगर आवश्यकता पड़े तो प्रोफेशनल की मदद लेने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए। बाजार की कमजोरी ने मिड कैप शेयरों की चमक पर चोट की है लेकिन अपनी रकम का 10-15 फीसदी हिस्सा इन फंड में लगाना लंबी अवधि में बढ़िया रणनीति साबित हो सकता है। हालांकि आपको मिड कैप फंड चुनते वक्त काफी सतर्कता बरतने की जरूरत होती है क्योंकि उनका प्रदर्शन अलग - अलग फंड में अलग - अलग होता है। बीते 12-24 सालों में कई फंड हाउस ने मिड कैप स्टॉक पर फोकस करने वाले फंड लॉन्च किए हैं लेकिन इनमें से कुछ ही कामयाब ही हुए।
-श्रीकला भाष्यम

वैल्यू इनवेस्टिंग है आज के दौर का मंत्र

इक्विटी में पैसा लगाने वाले लोग पहली बार इस तरह के हालात का सामना कर रहे हैं। इस बात पर गौर कीजिए कि अतीत में क्या कहा गया था और किस तरह 2008 की मुश्किल घड़ी ने उस वक्त दी गई सलाह के पीछे के सिद्धांत को एक बार फिर सही ठहराया है। पेश है ऐसे कुछ सिद्धांत जो कभी नहीं बदलते। जिस किसी निवेशक ने इस सलाह पर अमल किया था, वह आज के हालात में भी बढ़िया स्थिति में है। आपके निवेश की मार्केट वैल्यू भले आज नीचे हो, लेकिन अगर आपको इस रकम की जरूरत आने वाले वर्षों में नहीं पड़ने वाली तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फिलहाल आपको इस पैसे की जरूरत नहीं है, इसलिए निवेश बढ़ाने का यह एक और मौका हो सकता है। हम जो कह रहे हैं, उस पर ज्यादातर निवेशकों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है कि गिरावट में उन्होंने पैसा खोया है। वे कह रहे हैं, 'भविष्य में रिटर्न मिल सकता है, लेकिन उस नुकसान का क्या जो हम आज उठा रहे हैं।' जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वे अंकगणित में सही हो सकते हैं, लेकिन भविष्य को लेकर उनकी आशंका सही नहीं है। निवेश के जिस नजरिए की वकालत हम कर रहे हैं, वह भविष्य की ओर देखने की बात कहता है।
इतिहास ने किया साबित
अगर आपने 1997 की शुरुआत में सेंसेक्स आधारित इंडेक्स फंड में हर महीने 20,000 रुपए निवेश करना शुरू किया था और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद इसे जारी रखा तो आज आपको सालाना 14 फीसदी रिटर्न हासिल हुआ होता। 1997 से लेकर अब तक इस हिसाब से आपने 28.6 लाख रुपए निवेश किए और आज आपकी यह रकम 66 लाख रुपए हो गई होती। इक्विटी से यह रिटर्न बाजार की मौजूदा तबाही के बावजूद आपको हासिल हुआ होता। इस दौरान कई म्यूचुअल फंड ने सेंसेक्स को भी पीछे छोड़ा है। इस हिसाब से अगर आपने मीडियम फंड में हर महीने 20,000 रुपए निवेश किया होता तो 10 साल में आपकी कुल रकम 1.04 करोड़ रुपए हो गई होती। यह बात और है कि इस दौरान शेयर बाजार ने दो बड़ी गिरावट देखी है। इसमें मौजूदा गिरावट भी शामिल है। आज बाजार लंबी अवधि के निचले स्तर पर है। बाजार जब वापसी करेगा तो आपको बेहतर रिटर्न मिलेंगे। लंबी मियाद में निवेश के तथाकथित 'सुरक्षित' फिक्स्ड इनकम माध्यमों ने 'असुरक्षित' समझे जाने वाले इक्विटी से भी बदतर प्रदर्शन किया। इसलिए इन दोनों के बीच कहीं कोई मुकाबला नहीं है। 1997 से अब तक अगर आपने फिक्स्ड इनकम विकल्पों में पैसा लगाया होता तो आपको सालाना आठ फीसदी से ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता। यानी 10 साल तक हर महीने 20,000 रुपए का इन विकल्पों में निवेश करने पर आज आपकी कुल रकम करीब 44 लाख रुपए होती।
गिरावट आपका दोस्त
आप गिरावट के बावजूद कैसे पैसा बनाने में कामयाब हो सकते हैं? इसका जवाब उन लोगों के लिए आसान है जो इस बात से वाकिफ हैं कि यहां चल रही गतिविधियों का गणित वास्तव में क्या है। बाजार में गिरावट से आपको सस्ते स्तरों पर खरीदारी का मौका मिलता है और आपका कुल रिटर्न बढ़ता है। अगर आप धीमी रफ्तार से लंबी मियाद में पैसा लगा रहे हैं तो बीच में आने वाली गिरावटों से आपको ज्यादा मुनाफा कमाने में मदद मिलती है न कि कम। इसी तरह 2008 की गिरावट से भी आखिरकार मुनाफा ही होगा। शेयर अब सस्ते हैं और संभवत: और सस्ते हो सकते हैं। यह गिरावट जितनी गहरी और लंबी होगी, आप उतना ज्यादा फायदा इससे कमा सकते हैं। अगर आप यह जानते हैं कि आपके लिए सही क्या है तो आपको सेंसेक्स के 6,000 या 7,000 तक लुढ़कने और कुछ महीनों या साल तक मंदी के बने रहने की दुआ करनी चाहिए। इक्विटी इनवेस्टिंग का सीक्रेट भी यही है और कहानी का असल निचोड़ भी।
- धीरेन्द्र कुमार

Saturday, November 22, 2008

क्या निवेश सम्राट वारेन बफे का जादू खत्म हुआ



न्यूयॉर्क: अमेरिका के सबसे रईस और शेयर मार्केट में पैसा कमाने के सबसे बड़े जादूगर माने जाने वाले वारेन बफे को क्या हो गया है? क्या अब शेयर बा
जार की चाल पहचानने में वो चूक करने लगे हैं! दुनिया भर और खासकर अमेरिकी इनवेस्टर और आम लोगों के जहन में ये सवाल अब उठने लगे हैं। Tech बबल के समय भी बफे के कुछ इनवेस्टमेंट फैसले गलत साबित हुए थे। लेकिन अब तक कुल मिलाकर बफे को सही समय पर बाजार में घुसने और निकलने की कला के कारण जाना जाता है। वारेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे की हालत अब खराब हो चली है। इस तरह के भी सवाल पूछे जाने लगे हैं कि शेयर बाजार का ये बाजीगर क्या अपनी कंपनी के कर्ज चुका पाएगा। हैथवे के शेयर दिसंबर के ऊंचे लेवल से 50 परसेंट गिर चुके हैं। हैथवे पर सबसे बुरी मार इंश्योरेंस सेक्टर से आ रहे कम रिटर्न की वजह से पड़ी है। इस बीच कंपनी की क्रेडिट रेटिंग AAA से घटकर BBB हो चुकी है। बर्कशायर हैथवे सुनहरे रिटर्न देने वाली कंपनी मानी जाती है। इसके लगभग 80 बिजनेस हैं, जिनमें कार इंश्योरेंस, क्लोदिंग, फूड, किचन के सामान, और कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। इसके अलावा बर्कशायर के पास कई कंपनियों के अरबों डॉलर के स्टाक्स हैं। दरअसल, बर्कशायर की पूंजी इतने क्षेत्रों में लगी है कि किसी एक सेक्टर में आई गिरावट से उसे खास फर्क नहीं आएगा। लेकिन इस समय तो लगभग हर सेक्टर में मंदी है और बर्कशायर पर उसका असर दिख रहा है। बफे की कंपनी का स्टॉक मार्केट में 76 अरब डॉलर का इनवेस्टमेंट हैं। जिन कंपनियों में बफे का पैसा लगा है, उनमें अमेरिकन एक्सप्रेस, कोका कोला, प्रॉक्टर एंड गैंबल और वेल्स फार्गे शामिल हैं। बफे ने पिछले कुछ महीनों में जनरल इलेक्ट्रिक और गोल्डमैन सैक्स में 8 अरब डॉलर के प्रेफर्ड शेयर खरीदे थे। निवेशक अब बफे के उस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि दोनों कंपनियों के शेयर अब काफी नीचे चल रहे हैं। बर्कशायर क्लास ए के शेयर इस समय 2003 के बाद के लोएस्ट लेवल पर हैं। इस साल दिसंबर 11 को ये स्टॉक 1,51,650 डॉलर के लेवल पर था। अब ये 74,100 डॉलर पर पहुंच गया है। ये न्यूयॉर्क स्टॉक्स एक्सचेंज का सबसे महंगा शेयर है। बर्कशायर ने 7 नवंबर को कहा था कि तीसरी तिमाही में उसका प्रॉफिट 77 परसेंट कम हो गया है। कंपनी ने लगातार चौथी तिमाही में गिरावट दिखाई है। अगर अमेरिकी शेयर बाजार नहीं सुधरता है तो 2019 से लेकर 2027 के बीच बर्कशायर को 37.4 अरब डॉलर चुकाने पड़ सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बफे ने कुछ डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट ऊंचे रेट पर किए थे। लेकिन बफे को लेकर हर कोई निराश नहीं है। लोगों को उम्मीद है कि बफे सही समय पर सही कारोबारी फैसले कर फिर से चांदी काटेंगे। कई इंश्योरेंस कंपनियां बैंकिंग कंपनी बनने की फिराक में हैं ताकि उन्हें यूएस सरकार के 700 अरब डॉलर के बेलआउट प्लान का फायदा मिल सके। इन कंपनियों में लगा बफे का पैसा फिर जादू कर सकता है।

बाजार में रहेगा आशावादी रुझान - सुदीप बंदोपाध्याय

हाल में बीजिंग में हुई एशिया-यूरोप बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, 'ग्लोबलाइजेशन के इस युग में हमारी अर्थव्यवस्था ग्लोबल है लेकिन इसके प्रभावी गवर्नेंस के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की व्यवस्था नहीं है।' वास्तव में प्रधानमंत्री इस तथ्य की ओर सबका ध्यान आकर्षित कराना चाहते थे कि दुर्भाग्य से पूरी दुनिया के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का वित्तीय नियामक नहीं है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं की नियति को एक-दूसरे से जोड़ दिया है। आर्थिक मसलों पर बहुपक्षीय रवैये का फायदा साफ हो गया है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन से परस्पर नुकसान की भी संभावना रहती है। इस बार का संकट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के लिए एक सही अवसर है कि वह अपनी राह बना सके। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए व्यापक अधिकारों वाले एक मजबूत बहुपक्षीय संस्थान समय की जरूरत है। इस भूमिका में आने के लिए आईएमएफ को अपने स्वरूप में क्रांतिकारी बदलाव लाना होगा। अभी आईएमएफ को दो बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहला, अंतरराष्ट्रीय पूंजी प्रवाह के आकार की तुलना में आईएमएम का पूंजी आधार बहुत छोटा है जिससे इसकी प्रभावशीलता घटती जा रही है। ऐसी दुनिया में जहां 700 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया जा रहा हो और विभिन्न देशों में कई लाख करोड़ डॉलर की पूंजी का आवागमन हो रहा हो, आईएमएफ की 250 अरब डॉलर की कर्ज देने की क्षमता कोई खास मायने नहीं रखती। डांवाडोल अंतरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था को आगे संभालने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय बैंक की जरूरत है। इस बैंक को कई तरह के महत्चपूर्ण काम सौंपे जा सकते हैं। यह सभी ऐसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं का शीर्ष रेगुलेटर हो सकता है, जिनकी गतिविधियां कई देशों में होती हैं। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैदा होने वाली किसी भी तरह की जोखिम पर नजर रख सकता है और तत्काल चेतावनी जारी करने की व्यवस्था कर सकता है जिससे बैंकों और राष्ट्रीय नियामकों को इस बात का आभास हो जाए कि संकट आने वाला है। इससे नियामक सचेत होकर अपनी नीतियों में फेरबदल कर सकेंगे ताकि उनका देश संकट से कम से कम प्रभावित हो। पिछले हफ्ते के शुरुआती दिनों में शेयर बाजारों में तेजी देखी गई, इसकी खास तौर से वजह यह रही कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के संतोषजनक परिणाम देखकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से सकारात्मक संकेत मिले। इसमें उत्साह बढ़ाने वाली और बात यह रही कि दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें घटाई हैं। भारतीय बाजारों में पीएसयू और निजी दोनों तरह के बैंकों ने ब्याज दरों में 50 से 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने की घोषणा की है। ब्याज दरें घटाने का कदम स्वागत योग्य है क्योंकि इससे निश्चित रूप से मनोदशा सुधरेगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा। देश में महंगाई की दर थोड़ी बढ़कर 10.52 फीसदी तक हो गई है। लेकिन यह कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी और तेल की कीमतों में लगातार गिरावट हो रही है जिससे अगले हफ्तों में महंगाई के नीचे की ओर जाने की ही उम्मीद है। इस हफ्ते में बाजार में खरीद-फरोख्त बढ़ेगी और कई तरह की गतिविधियां देखी जाएंगी। भारतीय बाजार की मजबूती इस बात से ही प्रकट होती है कि देश का आर्थिक प्रशासन सामने आने वाली समस्याओं का तत्परता से समाधान करता है और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। वित्तीय प्रणाली में तरलता की बहाली के लिए जो उपाय किये गए हैं उनसे कर्ज लेनदेन की गतिविधियां बढ़ेंगी और बाजार को सकारात्मक संकेत मिलेगा। ( लेखक रिलायंस मनी के सीईओ हैं)

लालच नहीं, संयम और अनुशासन के साथ करें निवेश

निवेशकों की रिटर्न की उम्मीदें और निवेश की अवधि बाजार की मौजूदा स्थिति के अनुरूप होनी चाहिए। फंडामेंटल के आधार पर धन लगाने वाले सफल निवेशक कारोबारी सहयोगियों की तरह निवेश करते हैं और वे आपात या अप्रत्याशित स्थितियां आने पर ही बिकवाली पर विचार करते हैं। व्यावहारिक बात की जाए तो छोटे निवेशक निश्चित समय अवधि के लिए धन लगाना अधिक पसंद करते हैं जो आमतौर पर तीन से पांच वर्ष की होती है। भारत में इक्विटी से लंबी अवधि का रिटर्न लगभग 18-20 फीसदी प्रतिवर्ष रहने का अनुमान है। भारतीय अर्थव्यवस्था मध्यम से लंबी अवधि में वास्तविक स्थितियों में 7-8 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। ज्यादातर लिस्टेड कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टरों की हैं और ये सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) की तुलना में तेज गति से विकास करेंगे जिससे कृषि में धीमे विकास की भरपाई हो जाएगी। ये सेक्टर लगभग 18-20 फीसदी की दर से बढ़ सकते हैं और अगर आप इन सेक्टरों की ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करते हैं तो लंबी अवधि में आप अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। कुछ लोग यह दलील दे सकते हैं कि वैश्विक मंदी , नकदी की कमी और निवेश के कम होने से विकास दर में गिरावट आ सकती है। ये लोग भले ही लघु अवधि में सही साबित हों , लेकिन अगर आशावादियों के नजरिए से देखा जाए तो अगली दो तिमाहियों में सुधार आना शुरू हो जाएगा। अगर अगले वर्ष विकास दर में 1-2 फीसदी की कमी होती है तो भी भारत निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प होगा। तीस वर्ष पहले जीडीपी में कृषि का सबसे अधिक योगदान होता है लेकिन लंबी अवधि में इस क्षेत्र में कभी भी औसतन 2.5- 3 फीसदी से अधिक का विकास नहीं देखा गया। इस समय जीडीपी में सर्विसेज सेक्टर को 60 फीसदी से अधिक योगदान है और सामान्य स्थितियों में यह 10 फीसदी सालाना की दर से बढ़ सकता है। शेयर बाजार को लेकर इस वर्ष की शुरुआत में जहां आशाओं की कोई सीमा नहीं थी , वहीं अब निराशा के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा। जनवरी , 2008 में इक्विटी में निवेश करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी , लेकिन अक्टूबर में ये संख्या लगातार घट रही है। शेयर बाजारों में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है और यह निवेश का एक अच्छा समय है।
लेकिन निवेशकों को अस्थिरता का भी सामना करना सीखना होगा क्योंकि बाजार यहां से 10-20 फीसदी और गिर सकते हैं। निवेशक अभी अपने अतिरिक्त धन का निवेश कर रिटर्न का इंतजार कर सकते हैं। अगर मौजूदा स्तरों से और गिरावट की प्रतीक्षा करेंगे तो आप आकर्षक मूल्यांकन पर निवेश का मौका चूक सकते हैं। वैश्विक आर्थिक स्थितियों और उनके भारत पर असर को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बाजार अपने निम्नतम स्तर के करीब हैं। इसके लिए कुछ कारण इस प्रकार हैं : कच्चे तेल के दामों में काफी कमी आई है जो कि भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण कारण है। भारत एक इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था है कि अगर आप इसे बाकी दुनिया से पूरी तरह अलग - थलग कर दें तो भी यह अपने दम पर खड़ा रहकर आगे बढ़ सकता है ( आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को छोड़कर ) । बड़े पेंशन फंड और निवेशकों को आगे जाकर यह पता चलेगा कि विकास के लिहाज से भारत से अधिक आकर्षक कोई भी देश नहीं है। मौद्रिक नीतियों में ढील देने और ब्याज दरों में कटौती से धीरे - धीरे विश्वास और निवेश की गति लौटेगी। बाजार जब 21,000 अंकों के स्तर पर था तो कच्चे तेल के महंगे दामों के अलावा कुछ भी नकारात्मक नजर नहीं आ रहा था। बाजार अब 9,000 अंकों के आसपास है और इस समय कच्चे तेल के दामों में कमी को छोड़कर कुछ भी सकारात्मक नहीं दिख रहा। बाजार के उच्चतम स्तर पर पहुंचने पर कोई भी अपना निवेश बेचना नहीं चाहता था और इस समय कोई भी निवेश करने वाले नजर नहीं आ रहे। उस समय समय प्रत्येक व्यक्ति उधार लेना चाहता , अब हर कोई नकदी अपने पास रखने की फिराक में है। इस बात को लेकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अगर अगले कुछ महीनों में ब्याज दरें गिरने और इक्विटी के चढ़ने के बावजूद कॉरपोरेट , बड़े निवेशक और म्यूचुअल फंड नकदी अपनी पास रखने में ज्यादा रूचि लें। इस समय हम नकदी को लेकर जुनून के दौर से गुजर रहे हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति नकदी रखने की सलाह दे रहा है। अगर आपके पास नकदी मौजूद है तो अभी निवेश करें। अगर आप डेट में निवेश करते हैं और आज की रिटर्न पर अधिक से अधिक धन लगाएं क्योंकि आगामी महीनों में यह गिर सकता है। आप गिल्ट म्यूचुअल फंडों के जरिए सरकारी प्रतिभूतियों में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आप जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं तो इक्विटी में या अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले म्यूचुअल फंडों में धन लगाना शुरू करें। इक्विटी में निवेश करने वालों को कम से कम तीन से पांच वर्ष के लिए धन लगाना होगा। इस समय इक्विटी बाजार वर्ष 2007 में लालच पर आधारित नहीं हैं , जब कम समय में ही बहुत अधिक रिटर्न मिल जाया करता था। आज बाजार में डर का माहौल है और अच्छी कंपनियों के शेयर आकर्षक दामों पर उपलब्ध हैं लेकिन अच्छा रिटर्न तभी मिलेगा जब सही जोखिम लेने के साथ संयम और अनुशासन से आप शेयर बाजार में निवेश करेंगे।

निवेश सलाहकारों को इनकम फंडों में नजर आ रहा है वेल्थ

मुंबई : म्यूचुअल फंड कंपनियों के इनकम फंडों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं होने के बावजूद वेल्थ मैनेजर और म्यूचुअल फंडों के डिस्ट्रिब्यूटर्स अपने ग्राहकों को इन फंडों पर दांव लगाने की सलाह दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि शेयर बाजार की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए निवेश की अन्य योजनाओं के मुकाबले अब भी इनकम फंड बेहतर विकल्प है। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और महंगाई दर में कमी के रुख को देखते हुए जानकारों का मानना है कि ब्याज दरों में जल्द कमी आएगी। ब्याज दरों और बॉन्ड की कीमतों में विपरीत संबंध होता है। इसलिए जब ब्याज दरों में गिरावट आती है, बॉन्ड की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, जिससे रिटर्न बढ़ जाता है। पिछले महीने बाजार में आई गिरावट से सबक लेते हुए इनवेस्टमेंट एडवाइजर म्यूचुअल फंड कंपनियों के चुनाव में भी सावधानी बरतने लगे हैं। वे बड़े निवेशकों को निवेश के बारे में राय देने से पहले पोर्टफोलियो की जांच कर रहे हैं। इनकम फंड कंपनियों के डिबेंचर और सरकारी सिक्योरिटी में निवेश करते हैं। अगर पोर्टफोलियो की परिपक्वता की औसत अवधि 4-5 साल की होती है तो इसे लंबी अवधि का इनकम फंड कहा जाता है। परिपक्वता की औसत अवधि 2 साल से कम होने पर उसे छोटी अवधि का इनकम फंड कहा जाता है। एएसके वेल्थ मैनेजर्स के सीईओ राजेश सलूजा ने बताया, 'ब्याज दरों के नीचे जाने की संभावना के मद्देनजर हम अपने ग्राहकों को एक साल की अवधि के नजरिए से निवेश करने की सलाह दे रहे हैं।' उन्होंने कहा कि हम पोर्टफोलियो की गुणवत्ता और फंड के आकार को देखते हुए अपने ग्राहकों को निवेश की सलाह दे रहे हैं। एएसके वेल्थ मैनेजर्स का मानना है कि कर के बाद एक साल की अवधि में इनकम फंडों का रिटर्न फिक्स्ड डिपॉजिट के रिटर्न के मुकाबले बेहतर रहेगा। अक्सर लंबी अवधि के इनकम फंडों की परिपक्वता अवधि 4-5 साल होती है। ब्याज दरों में गिरावट की स्थिति में ये अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। पिछले एक महीने में आईडीएफसी डायनेमिक बॉन्ड फंड ने जहां 3.59 फीसदी रिटर्न दिया है वही आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इनकम फंड ने 3.25 फीसदी का रिटर्न दिया है। आईडीएफसी डायनेमिक ने 3 महीने की अवधि में 5.64 फीसदी का और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इनकम फंड ने 7.28 फीसदी का रिटर्न दिया है। उधर, सेंट्रम वेल्थ मैनेजर्स ने निवेशकों को छोटी अवधि के इनकम फंडों में निवेश की सलाह दी है।
- प्रशांत महेश

Thursday, November 20, 2008

नियमित निवेश के लिए एसआईपी बेहतर

सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) निवेश का एक ऐसा विकल्प है जिसमें एक निश्चित अवधि में व्यवस्थित निवेश किया जाता है। एसआईपी के तहत निवेशक किसी विशेष म्यूचुअल फंड या जमा योजना में नियमित निवेश करता है। इस रास्ते से म्यूचुअल फंडों में निवेश काफी आसान है और इससे समय बीतने के साथ आपके निवेश में भी अच्छी वृद्धि की संभावनाएं रहती हैं। एसआईपी में निवेश से आप प्रत्येक माह एक निश्चित रकम बचाकर उसका निवेश करते हैं। इसके अलावा आप रुपए की औसत लागत के सिद्धांत का लाभ भी उठा सकते हैं क्योंकि आप बाजार में तेजी और मंदी दोनों दौर में निवेश करते हैं। आपके निवेश की राशि समान रहती है और आप गिरते बाजार में अधिक यूनिट खरीदते हैं और चढ़ते बाजार में कम। नियमित अंतराल पर समान राशि के निवेश से प्रति यूनिट आपकी औसत लागत बाजार के औसत दाम से कम होती है। एसआईपी का विकल्प इक्विटी, इनकम या गिल्ट जैसे सभी फंडों में उपलब्ध होता है। यह लंबी अवधि की एक निवेश योजना है, जिसमें आप प्रत्येक माह डायवर्सिफाइड या बैलेंस्ड फंड जैसे म्यूचुअल फंड में समान राशि का निवेश करते हैं। आपको इसके लिए फंड हाउस के पास पोस्ट डेटेड चेक जमा कराने होते हैं। आप एसआईपी की राशि के गुणकों में इसमें निवेश की राशि में बदलाव भी कर सकते हैं। अगर आप एक ही फंड की दो योजनाओं में धन लगा रहे हैं तो इसके लिए एक ही फॉर्म भरा जा सकता है। एसआईपी में निवेश काफी सुविधाजनक होता है और इसमें आपको ऐसे फंड की पहचान करने में मदद मिलती है जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर ठीक बैठें। इसमें निवेशक की जोखिम-रिटर्न की इच्छा के अनुसार ही संपत्ति के आवंटन में भी बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर आप अपने निवेश को कभी भी भुना सकते हैं। जिन लोगों के पास निवेश के लिए एकमुश्त रकम नहीं है और वे निवेश को लेकर ज्यादा जोखिम नहीं चाहते तो उन्हें एसआईपी को चुनना चाहिए। इससे वे नियमित तौर पर निवेश कर पाएंगे। एसआईपी आपकी कम और लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मददगार होता है।
- आशीष गुप्ता

इक्विटी में निवेश कर उठाएं गिरावट का फायदा

शेयर बाजार को लेकर इस समय काफी निराशा का माहौल है। निवेशकों का सामना रोज किसी न किसी बुरी खबर से हो रहा है। कंपनियों के पास नकदी की कमी है , म्यूचुअल फंडों में निवेश को भुनाया जा रहा है और नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है। बहुत से देशों में बैंकों और बीमा कंपनियों को राहत पैकेज दिए गए हैं। हालांकि , इन पैकेजों का भी ज्यादा असर नजर नहीं आ रहा। बहुत से देशों के केन्द्रीय बैंकों ने आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कदम उठाएं हैं , लेकिन इसके बावजूद शेयर बाजारों में अस्थिरता और मंदी समाप्त नहीं हो रही। प्रत्येक दिशा में निराशा ही नजर आ रही है। आर्थिक तस्वीर पहले से ही काफी खराब है और ऐसे में और नकारात्मक समाचारों का आना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि आने वाला समय और मुश्किल हो सकता है।
बदलाव को समझें
बहुत से लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि इतने कम समय में स्थितियों में इतना बड़ा बदलाव कैसे आ गया। इस वर्ष की शुरुआत तक सभी कुछ अच्छा चल रहा था। बाजार रिकॉर्ड ऊंचाइयां छू रहे थे। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में हम केवल चीन से ही पीछे थे। विदेश में भारत की छवि बहुत अच्छी थी और घरेलू कंपनियों का आत्मविश्वास भी काफी मजबूत था। इसके बाद अचानक से बाजारों में गिरावट का दौर शुरू हो गया जिसकी वजह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली बताई गई। निवेशकों ने स्थितियां सुधरने का कुछ महीनों तक इंतजार किया और अपने निवेश में बने रहे , लेकिन उन्हें बाजार में सुधार आने के आसार नजर नहीं आए। केवल 10 महीने में ही सूचकांक 21,000 से नीचे गिरता हुआ 8,000 अंक के पास पहुंच गया है। अगर कुछ समय पहले के बाजार पर नजर डाली जाए तो उस समय बाजार बहुत महंगे थे। कुछ सेक्टर की कंपनियों का पी/ई 35 तक पहुंच चुका था। अब यह बात समझ सकते हैं कि बाजार के दौर से ऊपर कुछ नहीं है फिर चाहे अर्थव्यवस्था कितनी भी मजबूत या तेजी से बढ़ रही हो। शेयर बाजारों में भी तेजी और मंदी का दौर आता-जाता रहता है। एक दौर से दूसरे दौर में बदलाव के कारण अलग हो सकते हैं लेकिन तेजी और मंदी का आना-जाना लगा रहता है। इस समय मंदी का एक बड़ा कारण अमेरिका में सब-प्राइम संकट के बाद सामने आया बड़ा आर्थिक संकट और विश्व भर के वित्तीय संस्थानों द्वारा उधारी का बहुत अधिक इस्तेमाल है। इसी से जुड़े कारणों की वजह से बहुत से सेक्टरों में मंदी आई और संपत्ति के सभी वर्गों में दाम गिर गए। इसका सबसे बड़ा असर शेयर बाजारों पर पड़ा और वे लंबे समय तक तेजी के दौर में रहने के बाद मंदी की गिरफ्त में चले गए। गिरावट का यह दौर कब समाप्त होगा। इसके बारे में अभी कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
क्या बाजार निम्नतम स्तर पर पहुंच गए हैं ?
क्या हम मंदी के दौर की समाप्ति पर पहुंच गए हैं। इस बारे में कोई अंदाज लगाना मुश्किल है और इसका पता समय बीतने के साथ ही लगेगा। लेकिन इक्विटी में अभी तक काफी नुकसान हो चुका है। नकारात्मक समाचारों का आना अभी भी जारी है। विश्व बैंक ने विकासशील देशों में आर्थिक विकास दर में हाल ही में कटौती की है। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास के अगले वर्ष के अनुमान को घटाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह अनुमान 6.4 फीसदी का था। वित्तीय संकट , निर्यात में कमी और कमोडिटी के दाम गिरने की वजह से विश्व बैंक को अनुमान में संशोधन करना पड़ा है। ऐसा कहा जा रहा है कि वैश्विक आर्थिक विकास में 2009 में केवल एक फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। दूसरी ओर तेल के दाम और मुद्रास्फीति में गिरावट देखी जा रही है। अर्थव्यवस्था से मिलने वाले संकेतों से इस समय कोई साफ तस्वीर नजर नहीं आ रही। यह भ्रम बना हुआ है कि विश्व बैंक के विकास के अनुमान पर भरोसा किया जाए या फिर गिरते दामों की वजह से अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद लगाई जाए।
ऐसे समय में निवेशक क्या करें ?
बाजार इस समय बहुत ज्यादा गिर चुके हैं। इनमें और गिरावट आएगी या नहीं यह कहना मुश्किल है लेकिन बहुत सी मजबूत कंपनियों के ऐसे शेयर काफी कम दाम पर उपलब्ध हैं , जो कुछ समय पहले तक बहुत महंगे थे। वैल्यू इनवेस्टिंग के जनक बेंजामिन ग्राहम लिक्विडेशन वैल्यू पर शेयर खरीदने में विश्वास रखते थे। लिक्विडेशन वैल्यू वह दाम होता है जो आप कारोबार बंद कर चुकी कंपनी के लिए चुकाते हैं। इस दाम पर निवेश करने के बाद निवेशक बाजार में सुधार आने और शेयर के दाम चढ़ने की संयम के साथ प्रतीक्षा करते हैं। बाजार में तेजी का दौर लौटने पर ऐसे निवेशक अच्छा मुनाफा बनाते हैं। ग्राहम को महामंदी के समय निवेश करने के बहुत से ऐसे मौके मिले थे। देश के शेयर बाजारों में भारी गिरावट के बावजूद शेयरों के दाम अभी भी उनकी लिक्विडेशन वैल्यू से काफी अधिक हैं लेकिन अपने वास्तविक दाम से ये कहीं नीचे हैं। इस समय बहुत से अच्छे शेयर इतने आकर्षक दामों पर उपलब्ध हैं जो शायद आपको फिर इन कीमतों पर न मिलें। ऐसा हो सकता है कि बाजार और नीचे गिरें लेकिन बाजार के निम्नतम स्तर छूने का इंतजार कर इस मौके को गंवाना ठीक नहीं होगा। छोटे निवेशकों के पास इस समय धन लगाने के अच्छे मौके मौजूद हैं। संस्थागत निवेशकों के साथ ऐसा नहीं है और वे काफी दबाव में हैं। इसे देखते हुए छोटे निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो के लिए ऐसे शेयरों की खोज करनी चाहिए जो आने वाले वर्षों में उन्होंने अच्छा मुनाफा देने की क्षमता रखते हों।
- शुभा गणेश

Monday, November 17, 2008

Life insurance planning

YOU heard enough about why you should buy insurance. So you wake up one morning and decide to buy yours that day. And then, you realise, you have no clue where to begin. Well, how about here for a start.

Step 1 – Evaluate your life insurance needs
An extremely popular product, life insurance offers a lot more than just tax planning and investment returns. You are afforded the ability to plan for unforeseen events that could adversely affect your family's financial profile.

Factors to consider
Your financial profile and needs are different from your neighbour’s. The same holds true for your insurance needs. Your decision when going for insurance must revolve around the number of dependants and their financial needs.

Factors you should consider
§ Wealth, income and expense levels of your dependants
§ Significant foreseeable expenses
§ Inheritance you would leave them
§ Lifestyle you want to provide for them

How much insurance?
Obviously the above factors don’t mean much unless they are quantified. A time-tested approach used by insurance and financial planners globally is the capital needs analysis method.

When should I re-evaluate?
Whenever any of the factors discussed above change.

Step 2 – Understand the key concepts

Risk cover v/s investment returns
Insurance options range – from low premium policies with that offer almost no returns, to high premium ones that offer returns depending on the fund option you choose.

We recommend you buy policies skewed towards investment returns only if you are in the high-tax bracket, prefer to invest in low-risk, fixed-income options and have exhausted all the other such investment options available.

Whole life v/s limited period
As you grow older, the number of dependants may decrease (since children would be independent). Also, your wealth may reach a level where it can support your dependents’ financial needs in the event of your death.

You should therefore consider whether if you need to insure yourself for whole life or for a limited term. Obviously, the cost of insurance for the latter is lower.

We recommend you go for whole life only if you do not expect your wealth to ever reach a level where it can support the financial needs of your dependents.

ULIP vs traditional
Today ULIPs are more popular than any other option. But your life insurance agent may be the only one recommending you the ULIP. Before you sign the cheque decide which is best for you: ULIP or Traditional endowment .

Tax Planning
The premium paid for an insurance policy also qualifies for tax deduction under Section 80C of the Income Tax Act. But don't buy insurance only to save tax. Read why insurance + investment + tax = a bad combo!

Step 3 - Selecting a policy

Calculate the insurance you need
Consider the current expense profile of your dependents and the current wealth level of your family. Consider also the risk tolerance level of your dependants.

Selecting your Premium Paying Term (PPT)

How long do you want to pay your insurance premium for? This decision depend on the following factors:
§ How many years of regular income you expect
§ Level of your regular savings
§ How much insurance premium you can firmly commit to
§ How long you want to be insured versus how long you expect to pay a premium for

Other important questions
§ Do you want to participate in bonus/ profit share?
§ What is the primary objective - risk cover or investment returns?
§ Do you want accident cover?

Buying insurance can be as easy as buying a cell phone. Find out how and get ready to face those life insurance agents.

Disclaimer: While we have made efforts to ensure the accuracy of our content (consisting of articles and information), neither this website nor the author shall be held responsible for any losses/ incidents suffered by people accessing, using or is supplied with the content.

Get rich with SIP

In a rising market, most people get confused when investment advisers ask them to go for a disciplined approach towards investment -- through systematic investments plans. The reason: A lump-sum investment of Rs 60,000 can become Rs 1,20,000 in two or three months. On the other hand, Rs 20,000 invested over three months might just become Rs 90,000 or Rs 1,00,000.

However, the importance of investing through SIPs can only be appreciated when we consider volatility. A comprehensive look at the situation can help investors understand this approach. Under an SIP, a regular sum of money is invested each month. It means that units are purchased in a staggered manner. This ensures that there is no break in the investment process and a corpus is built over time.

Compare this with lump-sum investment and the dynamics are completely different. You invest an X amount of sum at one point in time and, over a period of time, the money can double or treble.

Of course, there is the element of risk. If the market were to fall sharply, like it has since January, the lump-sum investment takes a bigger hit. The reduction, in case of a mutual fund, is equivalent to the fall in the net asset value of the scheme.

On the other hand, if there is an ongoing SIP, investors actually end up gaining as only a part of their investment is eroding -- the part that has been purchased when the NAVs were quite high. In spite of a falling market, investors buy units of the fund when the NAV is falling. So, they gather more units of the same scheme. The best part is that when the market turns around a little, the investor in SIPs stands to make money much more quickly than a lump-sum investor because he has acquired more units over time.

Let's understand with an example. Consider two investors, who want to invest Rs 60,000 each in a particular scheme. Whereas, one does it in a lump-sum fashion, the other does it over a year.

Investor A (lump-sum investment) gets 3,000 units of the scheme for Rs 60,000 (NAV = Rs 20). Investor B (SIP investment) puts in Rs 5,000 each for six months.

Now, if the market rises for the first three months, then corrects for seven months and again recovers, this is a kind of situation both investors could find themselves in.

Investor A's money will rise in the first three months from Rs 60,000 to Rs 88,800. In the following correction, his corpus goes down sharply to Rs 32,100 in the next seven months. That is, when the NAV in the tenth month stands at Rs 10.7.

Investor B, who is investing Rs 5,000 a month, gets only 250 units in the first month. After that, when the NAV starts rising, he gets 168.92 units at Rs 29.6 per unit, resulting in a total of 624.68 units. This will be valued at Rs 18,491 against the invested amount of Rs 15,000. The gain: A mere Rs 3,491. Investor A, on the other hand, is sitting on handsome returns of Rs 28,000 by now.

After this, when the NAVs start falling for the next six months, Investor B starts gaining in terms of units added. By the tenth month, when the NAVs are languishing at Rs 10.7, his investments are worth Rs 30,325 whereas he has only invested Rs 50,000. Investor A's Rs 60,000 has become Rs 32,100.

However, as soon as the NAVs start improving from Rs 10.7 to Rs 17.6 in the last two months, Investor B is in the positive zone. His corpus is now worth Rs 60,908, a good Rs 8,000 more than Investor A's. All this is simply because of more units. That is, Investor B has accumulated 3,460.69 units in one year, whereas Investor A is still stuck with 3,000 units initially purchased.

The lesson: SIPs may look slower in the short term and, especially, in a rising market. But over time, they give better return

Tough times don't last but tough investors do!

Someone has said, “Success is going from failure to failure without losing courage.” Similarly, you can translate these words in the world of investment markets, “Success is going from one market cycle to another without losing your capital.”

How do you ensure that you survive financial turmoil? What can be done? In such markets, it’s important to review your financial situation. Ensure you are in a comfortable financial situation for the next few months. How many months should you consider for such a scenario? That is entirely a function of your view on the stability of your job or profession.

Assume that your financial situation is comfortable and you have surplus to invest. This means, you have a regular income and are generating surplus month after month after meeting your regular household expenses. For such investors, the current stock markets offer good investment opportunities. A bear market (when stock prices are low) is good when you have money to invest.

But if your finances are stretched, what should you do? Such a situation may arise when your future income may become uncertain – especially the bonuses or incentives that you are likely to earn. Or the same may have already been reduced. Well, it is time to look at the other side of the equation – the expenses. There are two types of expenses, discretionary and non-discretionary. Some expenses can be avoided some cannot be. There are expenses like electricity bill, telephone bill, house rent or home loan EMI, kids’ education expenses, and some others, which cannot be avoided. On the other hand, there are some expenses that can be reduced.

At such times, remember what Benjamin Franklin said, “Beware of little expenses. A small leak will sink a great ship.” If you are going to a restaurant for dinner once a week, you can reduce it to twice a month. For a family of four, a dinner outing may cost Rs 1,000 to Rs 2,000 at a decent place. If you go for such dining twice instead of four times, the savings could be as much as Rs 2,000 per month to Rs 4,000 per month. If you go to a multiplex for a movie, the tickets cost in 3-digits per head. If you go with small kids, add Rs 100 for each of the popcorn baskets that the kids ask for. Stay at home and enjoy a nice movie on the home theatre and save roughly Rs 1,000. Many such expenses can be avoided and it is possible for a middle class family to add to the savings by a reasonable amount.

Such savings can be then added to investments or can be kept in liquid accessible form depending on your needs and ability to put the money at risk.

Someone has very nicely said, “Your lifestyle could be your biggest asset or your biggest liability.” How apt! Incidentally, lifestyle expenses are a function of the prosperity or the level of earnings at the prevailing time. However, changes in lifestyle expenses happen slowly if you do not take deliberate and planned action. Expenses increase like the story of the frog in the frying pan. If you put a frog in a hot frying pan, it will immediately jump out. But, if you put a frog in a frying pan at room temperature and slowly increase the temperature, the frog does not feel the change and may even die if the temperature goes up very high. Lifestyle expenses creep up at a slow pace and one does not feel the increase.

On the lighter side, it is only when the reported inflation figures are high that most of us start complaining. Reported inflation figures make a good conversation starter at get-togethers.

Once again, it is important to remember the savings equation. Saving is nothing but income minus expenses. It is possible to exercise control over both the income and the expenses to some extent. The decision is in our hands.

I would once again quote Benjamin Franklin, “In short, the way to wealth, if you desire it, is as plain as the way to market. It depends chiefly on two words, industry and frugality; that is, waste neither time nor money, but make the best use of both.”
- Amit Trivedi

Saturday, November 15, 2008

Make money when the markets fall

The stock market is an ideal avenue to make money in the long run, provided the money is invested in appropriate equities. At the same time, the markets can be destroyers of wealth in the short run, as many people would have experienced by now. There are few stories on how people have created wealth and held onto it through stock market investments. However, there are an equal number (or more) of stories about how people have lost their shirts and even had to go to the extent of committing suicide. This is not how equity investing is meant to be.

Most people only think of equity when the going is good and tend to ditch equity as fast as Ranbir Kapoor’s character dumps his girlfriends in the movie “Bachna Ae Haseeno”. This problem is witnessed more across the so called sophisticated Institutional and Ultra High Networth investors. However, just as solid relationships are the foundation of a good life, so are good quality stocks the foundation of an investment portfolio. And sticking around and building the portfolio when the markets fall delivers stellar returns over the long term. Equity returns are a function of the price that you pay for investments. Your investment returns are determined by the price that you have paid on a particular date.

Just like it’s easy to time the real estate market, it’s extremely difficult to time the equity markets, with the daily swings. In just 7 trading sessions the markets have the potential to go up or down by 40 per cent. So, buying at the lowest point might not be possible, however buying lower certainly is.

Instead of looking at this as a wonderful opportunity to buy, the same investors who were confident of making 15-20 per cent in just 2-3 weeks from equities have suddenly developed cold feet now. The logic is - I will jump in when the market bounces back. The market, however, is in no mood to tell anyone when the reversal will actually happen. Investors who sell out in bear markets tend to make their losses permanent. However, in reality all you have done is 'Sell Low and then Buy High' later, which is the exact opposite of what should be actually done.

Hanging on to fundamentally sound equity investments and infact buying more when the markets stink may sound stupid when lots of sophisticated investors are packing off and investment gurus are sounding off bearish tones. But these are precisely the times to make the best returns and in bearish times, even history has been on the side of bullish investors. Markets could take a few years to recover and there might not be anything to write home about in your equity portfolio as of now but the cheap prices that you will pay for good equity investments will compound tremendously in the next 10,15 and 20 years.

Most people buy gold and real estate and do not check the prices every day. A similar strategy of not looking at the prices or 'Buy it, Shut It and Forget It' can also go a long way for stocks. However, you should certainly review your asset allocation and every investment regularly to see whether the fundamentals of the investment still hold. But there is no point in checking the prices every day and then worrying about what it will do in the next 2 weeks.

Investors who resisted the urge to sell back in 1992, 2000, 2004 and 2006 have made stellar returns on their investments after the markets have bounced back. However, people might not like to wait for 2 years, but when you actually sell in this market, you never recover.

Just as an example, in 2006 when the index was at 9300 levels, Bharti was quoting at Rs 325. Today, even though Sensex is at 9700 levels, Bharti is still trading at Rs 600 plus. This shows that though index levels are the same, you would have still made money if you had held on to that stock. Returns are not a function of index levels but a function of valuations and the price that one pays for an investment. The strategy to adopt in such markets is to regularly invest and make one time contributions when markets overreact and correct sharply on the downside.

The cardinal rule to learn from this example and from several seasoned investors who have made money in equity markets is that “Emotions should not drive or should not be your investment strategy”.
- Amar Pandit

Wednesday, November 12, 2008

एसआईपी अगर अच्छा, तो निवेश जारी रखें

मुंबई : बाजारों की गिरावट ने निवेशकों की नाक में दम कर रखा है। हालात कितने बिगड़ चुके हैं , इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान ( एसआईपी ) के जरिए पैसा लगाने वाले लोगों ने नया निवेश बंद कर दिया है। उन्होंने यूनिटें भुनानी शुरू कर दी हैं। निवेशक इस बात को लेकर पसोपेश में हैं कि क्या यह निवेश का सुनहरा मौका है या पैसा बर्बाद करने वाली गिरावट। मुंबई के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर अमर पंडित ने कहा , ' निवेश रिटर्न की कीमत पर निर्भर करता है और यह आपको मिलने वाली सर्वश्रेष्ठ कीमत हो सकती है। कोई भी एसआईपी तब सबसे बढ़िया प्रदर्शन करता है , जब बाजार नीचे जा रहे होते हैं। इसलिए अगर आपके पास बढ़िया स्कीम है तो एसआईपी जारी रखिए। ' हालांकि इन दिनों ज्यादातर निवेशक और नुकसान होने के डर से कांप रहे हैं , लेकिन ऐसे हालात में यूनिट को भुनाना गलत रणनीति है। ऐसे समय में आपको निचले स्तरों पर खरीदारी करनी चाहिए ताकि आपको ज्यादा यूनिटें मिलें और एवरेज कॉस्ट कम हो। बाजार का रुख पलटने पर आपको मिलने वाला रिटर्न निश्चित रूप से बढ़िया होगा। पंडित के मुताबिक जो दौर हम देख रहे हैं , यह निचले स्तरों पर खरीदारी का सुनहरा मौका है क्योंकि कीमतों के इस स्तर पर होने की आप उम्मीद हर वक्त नहीं लगा सकते। अगर आप एसआईपी बरकरार रखते हैं या उससे बाहर निकलते हैं तो क्या होगा ? इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश कीजिए। मान लीजिए कि अक्टूबर 2007 से सितंबर 2008 के बीच आपने 2,000 प्रतिमाह का एसआईपी किया। इस अवधि के दौरान आपने 24,000 रुपए इस एसआईपी में डाले। इस निवेश का बाजार भाव अब 15,000 रुपए होगा।
इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप इन यूनिट को अभी भुनाते हैं तो आपको 24,000 के बजाए सिर्फ 15,000 रुपए मिलेंगे। साफ है कि इस एसआईपी पर 9,000 रुपए का नुकसान उठाना होगा। पार्क फाइनेंशियल एडवाइजर्स के स्वप्निल पवार ने कहा , ' अगर आप एसआईपी बंद कर देते हैं और यूनिटें भुनाते नहीं हैं तो अब से 20 फीसदी के फायदे पर एक साल बाद वह 18,000 रुपए हो जाएगा। इसके बजाए अगर आप एक और साल के लिए निवेश जारी रखते हैं तो एक साल के बाद निवेश 48,000 रुपए होगा , जबकि उसकी मार्केट वैल्यू 50,000 रुपए। इसलिए 6,000 रुपए का नुकसान उठाने के बजाए आप कहीं बेहतर स्थिति में होंगे। ' अगर आपने मासिक आधार पर किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 1,000 रुपए डालने का फैसला किया था और आज उसी कीमत पर आपको ज्यादा यूनिट मिल रहे हैं तो आप उसे क्यों रोकेंगे ? आने वाले दिनों में बाजार और निचले स्तरों तक जा सकते हैं। हालांकि हमें ऐसे मुश्किल वक्त में भी खरीदारी जारी रखनी चाहिए। ऐसे वक्त में खरीदे जाने वाले उत्पाद बेहतरीन फायदा देते हैं। वास्तव में यह निवेश का दायरा बढ़ाने का वक्त है। अगर आप पहली बार निवेश करने जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपके वित्तीय उद्देश्य क्या हैं , निवेश की अवधि क्या है , आपको कितने रिटर्न की जरूरत है और जोखिम कितना उठा सकते हैं ?
-विद्यालक्ष्मी

भारतीय ग्राहकों के कॉन्फिडेंस का जवाब नहीं!

दुबई : मौजूदा आर्थिक मंदी को लेकर भारतीयों को लगता है कि यह जल्द ही दूर हो जाएगी। इस मामले में भारतीयों का नजरिया सबसे आशावादी देशों की लिस्ट में नंबर दो पर है। पहले नंबर पर नार्वे है। ग्लोबल लेवल पर हुए ' कंज्यूमर कॉंफिडेंस सर्वे ' के नतीजों से यह बात सामने आई है। सर्वे के मुताबिक, हर दो में से एक भारतीय का मानना है कि मंदी एक साल तक ही चलेगी और इसके बाद स्थितियां सुधरेंगीं। 45 परसेंट वियतनामी और एक तिहाई रशियन और चीनी लोगों की भी यही राय है। सर्वे में भारतीयों को सेकेंड मोस्ट कॉन्फिडेंट कंज्यूमर्स बताया गया है। सर्वे के अनुसार, भारत में एंलॉयमेंट रेट बढे़गे और इसकी एक वजह होगी यहां की वर्कफोर्स का आशावादी होना। सर्वे करवाने वाली कंपनी नीलसन के नॉर्थ अफ्रीका, मिडिल ईस्ट एंड पाकिस्तान के रीजनल मैनेजिंग डाइरेक्टर पीयूष माथुर का कहना है कि UAE को पांचवे नंबर पर आंका गया है। UAE में कंज्यूमर्स का मानना है कि मीडियम और लॉन्ग टर्म संभावनाएं समाप्त नहीं हुई हैं। कॉन्फिडेंट कंज्यूमर्स इंडेक्स में कई देशों ने पहले के मुकाबले गोते खाए। अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, सिंगापुर और मलेशिया में डबल डिजिट फॉल देखा गया।

मंदी में भी फायदेमंद हो सकता है म्यूचुअल फंड में निवेश

शेयर बाजारों में पिछले कुछ समय से मंदी का दौर जारी है और बहुत से निवेशक अब अपने म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की ओर देखना भी पसंद नहीं कर रहे। शायद यही समय इस पोर्टफोलियो में बदलाव कर इसे बेहतर बनाने का है। अगर बाजार ने अपने निवेश का मूल्य घटाया है तो साथ ही निवेश के नए मौके भी दिए हैं। आप गिरावट में निम्न तरीकों से म्यूचुअल फंड में निवेश कर फायदा उठा सकते हैं:
एमएफ योजनाओं की सूची बनाएं
पोर्टफोलियो में से किन योजनाओं को हटाया जाए और कौन सी नई योजनाओं में धन लगाया जाए , इसका फैसला करने से पहले आपको अपने पोर्टफोलियो में मौजूद इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं की सूची बनानी चाहिए। इससे आपको यह पता चल सकेगा कि इन योजनाओं मे आपने कितना निवेश किया है और इस समय उसका क्या मूल्य है। आप यह भी पता लगा पाएंगे कि जब आपने निवेश किया था तो आपके पोर्टफोलियो में इसका कितना हिस्सा (फीसदी में) था।
आपके निवेश का आधार क्या था
यह जानने की कोशिश करें कि आपने कोई विशेष फंड क्यों खरीदा था। ऐसा हो सकता है कि आपने कोई कमोडिटी आधारित थीमेटिक फंड यह सोचकर खरीदा हो कि कमोडिटी के दाम बढ़ने वाले हैं। हो सकता है कि आज आपको अपने इस फैसले पर हैरानी हो रही हो। निवेश के पीछे कारणों को खोजने का उद्देश्य आपकी गलतियों को खंगालना नहीं बल्कि उनसे सीख लेना है। इसके साथ ही आपको खुद से एक प्रश्न भी पूछना चाहिए कि अगर आपके पास यह फंड नहीं होता और कुछ नकदी मौजूद होती तो क्या आप इस फंड में निवेश करते ? अगर आपका जवाब ' नहीं ' है तो शायद यह फंड आपके पोर्टफोलियो में नहीं होना चाहिए। हालांकि , किसी निवेश से बाहर निकलने का फैसला करने से पहले आपको कुछ और बातों पर ध्यान देना होगा।

आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता
जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आकलन करें। अगर आपने अपने वित्तीय लक्ष्य और उन तक पहुंचने के रास्ते तलाश लिए हैं तो आप बाजार में मौजूद बहुत से विकल्पों में से कुछ में निवेश कर सकते हैं। अगर आप कुछ ऐसे भाग्यशाली लोगों में शामिल हैं , जिनके पास धन की कमी नहीं है और उन्हें अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन के लिए मुदास्फीति को मात देनी है तो आपको अपनी संपत्ति का 90 फीसदी इक्विटी में लगाने की जरूरत नहीं है। इंडेक्स फंड या लार्ज कैप फंड के जरिए 10 फीसदी का निवेश आपके लिए काफी रहेगा। दूसरी ओर अगर आप करियर की शुरुआत कर रहे हैं और अभी आपके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां नहीं हैं तो इक्विटी में अधिक निवेश करें। आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि यह निवेश लंबी अवधि में ही अधिक फायदा देगा।
किन फंडों को भुनाएं
बहुत से ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो में खराब प्रदर्शन करने वाली योजनाओं की पहचान कर ली है। अगर आप इस बात को लेकर निश्चित हैं कि कोई विशेष फंड आपके उद्देश्यों को पूरा नहीं करेगा तो इसे अलविदा कहना ही बेहतर होगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास एक से अधिक इंडेक्स फंड हैं तो उस फंड को रखें जिसका खर्च कम हो और जिसमें ट्रैकिंग एरर भी न्यूनतम हो। बाकी के फंड से बाहर निकल जाएं। जिन फंडों में निवेश का उद्देश्य समान होता है उनका रिटर्न भी एक जैसा ही रहता है। इसलिए ऐसे फंड में निवेश बरकरार रखें जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो और बाकी से बाहर निकल जाएं। फंड की सूची बनाते समय आपको कुछ ऐसे फंड भी मिल सकते हैं जिनकी आपके पोर्टफोलियो में हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम होगी। इनसे पोर्टफोलियो में ज्यादा असर नहीं पड़ता और इन्हें भुनाया जा सकता है।

कर बाध्यता और एग्जिट लोड:
कर बाध्यता और एग्जिट लोड दो ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें निवेश को भुनाते समय ध्यान रखना चाहिए। इन पर ध्यान देकर आप न्यूनतम नुकसान के साथ पोर्टफोलियो में फेरबदल कर सकते हैं। मान लीजिए आपने किसी इक्विटी फंड में 11 महीने की अवधि में 10 फीसदी का रिटर्न हासिल किया है और कर से बचने के लिए आप इसे लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ में बदलने के लिए एक महीना और रखने का फैसला करते हैं। अगर इस एक महीने में फंड में 15 फीसदी का नुकसान हो जाता है तो आपका मुनाफा भी कम हो जाएगा। इसे भुनाना ही आपके लिए बेहतर होगा। यही बात एग्जिट लोड के साथ भी लागू होती है। अगर आप एक फीसदी का एग्जिट लोड बचाने का प्रयास करते हैं तो हो सकता है कि आपको इससे कहीं अधिक का नुकसान उठाना पड़े। इसलिए निवेश से बाहर निकलने से पहले कर बाध्यता और एग्जिट लोड पर जरूर ध्यान दें।

Tuesday, November 11, 2008

10 truths of getting rich through stocks

You will truly profit from investing only when you have a clear appreciation of its principles and realities.
Once you understand these, you will be better able to keep a cool mind during the inevitable ups and downs -- and reap riches by investing with controlled risks.

1. Investment rewards can only be increased by the assumption of greater risk
This fundamental law of finance is supported by centuries of historical data. US stocks have provided a compounded rate of return of 11 per cent per year since 1926, but this return came only at substantial risk to investors: total returns were negative in three out of ten years. Higher risk is the price one pays for more generous returns.

2. Your actual risk in stock and bond investing depends on the length of time you hold your investment
Holders of a diversified stock portfolio in the US, from 1950 to 2000, were treated to a range of annual total returns, which varied from +52% to -26%. There was no dependability of earning an adequate return in any single year. But if you held your portfolio for 25 years in the same period, your overall return would have been close to 11% -- whichever 25 years you were invested.
In other words, by holding stocks for relatively long periods of time, you can be reasonably sure of earning the generous rates of return available from common stocks.

3. Decide how much risk you are willing to take to get high returns
JP Morgan once had a friend who was so worried about his stock holdings that he could not sleep at night. Morgan advised him to 'sell down to his sleeping point'. He wasn't kidding.
Every investor must decide the trade-off he or she is willing to make between eating well and sleeping well. Your tolerance for risk informs the types of investment -- stocks, bonds, money-market accounts, property -- that you make. So what's your sleeping point?

4. Dollar-cost averaging can reduce the risk of investing in stocks and bonds
Dollar-cost averaging simply means investing the same fixed amount of money in, for example, the shares of a mutual fund at regular intervals -- say, every month or quarter -- over a long period.
It can reduce (but not avoid) the risks of equity investment by ensuring that the entire portfolio of stocks will not be purchased at temporarily inflated prices.

5. Stock prices are anchored to 'fundamentals' but the anchor is easily pulled up and then dropped in another place
The most important fundamental influence on prices is the level and duration of the future growth of corporate earnings and dividends. But earnings growth is not easily estimated, even by market professionals.
In times of optimism, it is easy to convince yourself that your favorite company will enjoy substantial and persistent growth over an extended period. In times of pessimism, many security analysts will not project any growth that is not 'visible' and hence will estimate only modest growth rates for the corporations they follow.
Given that expected growth rates and the price the market is willing to pay for growth can both change rapidly on the basis of market psychology, the concept of a firm intrinsic value for shares must be an elusive will-o-the-wisp.

6. If you buy stocks directly, confine your purchases to companies that appear able to sustain above-average earnings growth for at least five years and which can be bought at reasonable price-earnings multiples
As difficult as it may be, picking stocks whose earnings grow is the name of the game. Consistent growth not only increases the earnings and dividends of the company but may also increase the multiple (P/E) that the market is willing to pay for those earnings.
The purchaser of a stock whose earnings begin to grow rapidly has a potential double benefit: both the earnings and the multiple may increase.

7. Never pay more for a stock than can reasonably be justified by a firm foundation of value
Although I am convinced that you can never judge the exact intrinsic value of a stock, I do feel that you can roughly gauge when a stock seems to be reasonably priced. The market price earnings multiple (P/E) is a good place to start: you should buy stocks selling at multiples in line with, or not very much above, this ratio.
Note that, although similar, this is not simply another endorsement of the 'buy low P/E stocks' strategy. Under my rule it is perfectly alright to buy a stock with a P/E multiple slightly above the market average -- as long as the company's growth prospects are substantially above average.

8. Buy stocks with the kinds of stories of anticipated growth on which investors can build castle in the air
Stocks are like people -- some have more attractive personalities than others, and the improvement in a stock's P/E multiple may be smaller and slower to be realized if its story never catches on. The key to success is being where other investors will be, several months before they get there. Ask yourself whether the story about your stock is one that is likely to catch the fancy of the crowd.

9. Trade as little as possible
Frequent switching between stocks accomplishes nothing but subsidizing your broker and increasing your tax burden when you do realize gains. My own philosophy leads me to minimize trading as much as possible. I am merciless with the losers, however.
With few exceptions, I sell before the end of each calendar year any stocks on which I have a loss. The reason for this is that losses are deductible (up to certain amounts) for tax purposes, or can offset gains you may already have taken. Thus, taking losses can actually reduce the amount of loss by lowering your tax bill.

10. Give serious thought to index funds
Most investors will be better off buying index funds (funds that buy and hold all the stocks in a broad stock market index) rather than buying individual stocks.
Index funds provide broad diversification, low expenses and are tax efficient. Index funds regularly beat two-thirds of the actively managed funds with which they compete.
- Burton Malkiel

लॉन्ग टर्म को ध्यान में रखकर करें खरीददारी

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक ने इस सप्ताह 1.8 फीसदी यानी 176.23 अंकों की मजबूती दर्ज की। हफ्ते में इंडेक्स ने ऊपर और नीचे, दोनों ओर का सफर किया। निफ्टी में 3.03 फीसदी की मजबूती देखी गई जबकि CNX मिडकैप इंडेक्स 6.08 फीसदी चढ़ा। इंडेक्स शेयरों में 28.9 फीसदी की बढ़त के साथ रैनबैक्सी लैब्स सबसे आगे रहा। जो दूसरे इंडेक्स स्टॉक चढ़े, उनमें डीएलएफ, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, जयप्रकाश एसोसिएट्स और आईटीसी शामिल रहे। इन शेयरों में 27.5 फीसदी से 13.6 फीसदी तक की ताकत आई। इंडेक्स में शामिल शेयरों में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 12.8 फीसदी के नुकसान के साथ सबसे पीछा रहा। पिटने वाले दूसरे इंडेक्स शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज और इंफोसिस टेक्नोलॉजी शामिल रहे जिन्होंने 8.6 से 11.2 फीसदी का घाटा खाया। सबसे ज्यादा ट्रेडिंग देखने वाले गैर-इंडेक्स स्टॉक में जीवीके पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर अव्वल रहा। इसे 64.4 फीसदी का फायदा हुआ। चढ़ने वाले दूसरे गैर-इंडेक्स शेयरों में IVRCL इंफ्रास्ट्रक्चर्स एंड प्रोजेक्ट्स, सूजलॉन एनर्जी, लैंको इंफ्राटेक, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शंस, जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज और इंडियाबुल्स रियल एस्टेट शुमार रहे। जिनमें 31.3 से 64.2 फीसदी की मजबूती देखी गई। नुकसान उठाने वाले जिन गैर-इंडेक्स शेयरों में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग हुई उनमें बजाज ऑटो प्रमुख रहा जिसने 24.5 फीसदी का नुकसान उठाया। लुढ़कने वाले गैर-इंडेक्स शेयरों में HDIL कोर प्रोजेक्ट्स एंड टेक्नोलॉजीज, युनाइटेड स्पिरिट्स, रोल्टा इंडिया, टाइटल इंडस्ट्रीज, अम्बुजा सीमेंट्स और जी एंटरटेनमेंट है। इन स्टॉक ने 7.2 फीसदी से 18.9 फीसदी का घाटा खाया।
मध्यम अवधि का रुझान:
8 सितंबर को शुरू होने वाला गिरावट का मध्यम अवधि का रुझान अब भी कायम है। कुछ इंडेक्स ने बुधवार को तेजी के ट्रिगर स्तर पार किए लेकिन ऐसा कुछ ही मिनटों के लिए हुआ जिसके बाद भारी गिरावट देखी गई। इंडेक्स के 10,945 का स्तर पार करने के बाद ही तेजी का मध्यम अवधि का स्तर कायम हो सकता है। निफ्टी के लिए यह स्तर 3,255 और CNX मिडकैप इंडेक्स के लिए 3,993 है। वैश्विक बाजारों में मिश्रित प्रकृति का मध्यम अवधि का रुझान देखने को मिल रहा है। सभी वैश्विक बाजारों ने हाल में गिरावट के नए स्तर बनाए हैं। इनमें से कुछ बीते 4-5 साल के निम्नतम स्तर तक लुढ़के। हमारे इंडेक्स तीन साल का निचला स्तर देखने के बाद वापसी करने में कामयाब रहे। संवेदी सूचकांक के लिए पांच साल का निम्नतम स्तर 2,900 से थोड़ा ही ऊपर है।
लंबी अवधि का रुझान:
बाजारों का लंबी अवधि का रुझान गिरावट का बना हुआ है। संवेदी सूचकांक 27 अक्टूबर को 63.7 फीसदी नीचे था जिससे इंडेक्स के लॉन्च होने से आज तक मंदी का यह सबसे खौफनाक दौर बन गया है। बेहतर रहेगा कि बाजार के तेजी का स्तर पार करने का इंतजार किया जाए क्योंकि मध्यम अवधि का तेजी का अंतिम स्तर 12 अगस्त को 15,580 पर बना था। ऐसा इसलिए है क्योंकि 15,107 का मध्यम अवधि का शीर्ष स्तर (8 सितंबर) इससे केवल 3 फीसदी नीचे है। निफ्टी के लिए यह स्तर 4,650 और CNX मिडकैप के लिए 6,016 है। इस बात की संभावना कम ही है कि मध्यम अवधि में अगली तेजी इस स्तर तक पहुंच पाएगी और रैली जिस शीर्ष स्तर तक जाएगी वही नया ट्रिगर बन जाएगा।
कारोबार और निवेश की रणनीति:
गिरावट में खरीदारी की रणनीति लंबी अवधि का पोर्टफोलियो रखने वाले निवेशकों के लिए फायदेमंद होनी चाहिए। खरीदारी छोटे लॉट में की जानी चाहिए जिससे गिरावट का जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है। पोर्टफोलियो बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का सुझाव इसलिए नहीं दिया जा रहा है क्योंकि मंदी के जल्द खत्म होने की संभावना है, बल्कि ऐसा इसलिए सुझाया जा रहा है क्योंकि इंडेक्स तेजी के दौर के अत्यंत ऊंचे स्तरों से काफी नीचे आ चुके हैं जिस वजह से गिरावट का जोखिम काफी कम हो गया है। बैंक, FMCG कुछ फार्मास्युटिकल शेयर और पेट्रोलियम कंपनियों के स्टॉक सुरक्षित दिख रहे हैं। टेक्नोलॉजी क्षेत्र के शेयरों में भी स्थिरता देखने को मिल रही है। रियल एस्टेट, स्टील और मेटल, फाइनेंस और ब्रोकिंग के शेयरों को तब तक नजरअंदाज किया जाना चाहिए जब तक मंदी का दौर खत्म होने की पुष्टि नहीं होती।
वैश्विक परिदृश्य:
वैश्विक बाजारों ने भी सप्ताह की शुरुआत मजबूत रुख के साथ की थी लेकिन तेजी से उनमें गिरावट आती चली गई। शुरुआती रैलियां डाओ समेत कुछ बाजारों के लिए मध्यम अवधि की तेजी में बदलती दिखी थीं। लेकिन उसके बाद आई गिरावट ने इनमें से ज्यादातर को एक बार फिर पिछले निचले स्तरों पर लाकर खड़ा कर दिया। अगर डाओ जोंस 8,085 का स्तर तोड़ता है तो फिर मध्यम अवधि की गिरावट में फंस सकता है। तेजडि़यों की पकड़ मजबूत बनाने के लिए उसे 12,000 के स्तर को पार करना होगा। बीएसई संवेदी सूचकांक में गुरुवार को खत्म 12 महीने के दौरान 49.5 फीसदी का नुकसान दर्ज किया गया है। अध्ययन के लिए शामिल दुनिया के 35 प्रमुख इंडेक्स में पांच पायदान चढ़कर वह 25वें स्थान पर पहुंच गया है। स्लोवाकिया सूची के शीर्ष पर बना हुआ है लेकिन 18 फीसदी नुकसान उठाने के साथ। इनके बाद स्पेन, चिली, बेल्जियम और श्रीलंका का नम्बर आता है।
- दीपक मोहोनी

अब ले लें निवेश के फैसले

नई दिल्ली : शेयर बाजारों में चल रही गिरावट की मार से कई कंपनियों के शेयर अपने उच्चतम स्तर से आधे की कीमत पर आ गए हैं। नवंबर के पहले हफ्ते तक सेंसेक्स जनवरी के अपने 21,206.8 अंक के स्तर से 52.3 फीसदी नीचे चला गया है। इसी अवधि में निफ्टी में तकरीबन 53 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इस वक्त ज्यादातर निवेशक बाजार में चल रही मंदी की मार से चिंतित दिखाई दे रहे हैं, लेकिन निवेशक एक अहम तथ्य की उपेक्षा कर रहे हैं। बाजार में गिरावट की वजह से तमाम कंपनियों के शेयरों की कीमत उनकी बुक वैल्यू से भी नीचे चली गई है। किसी भी कंपनी की बुक वैल्यू से उस कंपनी की परिसंपत्तियों और देनदारियों के बीच के अंतर का पता चलता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बुक वैल्यू से यह पता चलता है कि अगर कंपनी बंद होने की स्थिति में आ गई तो उसकी देनदारियों को चुकाने के बाद और संपत्तियों को बेचने के बाद आपको क्या मिलेगा। ऐसे में अगर कोई कंपनी बेहतर मुनाफे वाले कारोबार में लगी हो तो अमूमन उसकी वैल्यू बुक वैल्यू से कहीं ज्यादा होती है। क्योंकि कंपनी की मुनाफा कमाने की क्षमता ज्यादा होती है। ऐसे में इन कंपनियों के शेयरों की इनकी बुक वैल्यू से कम दाम पर खरीद निवेशक निवेश के जोखिम को कम कर सकते हैं। बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 500 कंपनियों के शेयरों के विश्लेषण से पता चलता है कि इस वक्त इनमें से हर तीन में से एक कंपनी के शेयर अपनी बुक वैल्यू से नीचे की कीमत पर चल रहे हैं। बीएसई 500 की कंपनियों में से 479 कंपनियों के शेयरों के सैंपल को अध्ययन में शामिल किया गया। इन कंपनियों के हाल में जारी किए गए वुक वैल्यू की जानकारियों का अध्ययन किया गया। इन कंपनियों के शेयरों की बाजार कीमत को इनकी बुक वैल्यू से भाग दिया गया। इससे इनकी प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात (प्राइस/बुक वैल्यू) का पता चला। इस अध्ययन के मुताबिक कम से कम 170 कंपनियों के शेयरों के भाव इस वक्त इनकी बुक वैल्यू से कम पर चल रहे हैं। आश्चर्यजनक तौर पर 21 जनवरी को जबकि शेयर बाजार में भारी नुकसान होने की वजह से कारोबार को कुछ वक्त के लिए रोकना पड़ा था उस वक्त केवल 26 कंपनियों के शेयर अपनी बुक वैल्यू से कम पर चल रहे थे। स्टडी से यह भी पता चला कि 3 नवंबर को 10 में से नौ कंपनियों के शेयरों में कारोबार प्राइस/बुक वैल्यू उनकी 21 जनवरी की वैल्यू से कम पर चल रही थी। इस लिस्ट में सबसे ऊपर रियल एस्टेट कंपनियां हैं। रियल्टी कंपनियों की बुक वैल्यू में इस अवधि के दौरान भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस लिस्ट में शामिल टॉप 10 कंपनियों में से पांच रियल्टी सेक्टर की कंपनियां हैं। प्राइस/बुक वैल्यू में कमी आने की दो अहम वजहें हैं। इस दौरान न केवल कंपनियों के शेयरों की कीमतों में काफी गिरावट रही बल्कि ज्यादातर मामलों में बुक वैल्यू में भी इजाफा देखा गया। हर पांच में से चार कंपनियों की बुक वैल्यू में जनवरी से नवंबर के दौरान उछाल देखा गया है। निवेशक प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात को निवेश के फैसले के लिए एक आधार के तौर पर ले सकते हैं। प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात का एक से कम पर होना निवेशकों के लिए कम जोखिम भरा सौदा होने की ओर इंगित करता है। ईटीआईजी के अध्ययन से निकल कर सामने आया है कि जनवरी के बाद से कई कंपनियों के प्राइस और बुक वैल्यू के अनुपात में काफी गिरावट आई है।
-रंजीत शिंदे

Monday, November 10, 2008

आपके लिए कैसा रहेगा महालक्ष्मी वर्ष 2008-09


दीपावली के बाद क्या होगी सितारों की चाल , किसे मिलेगा कितना माल या फिर नौकरी आदि में कैसा रहेगा योग ? ग्रह - नक्षत्रों के आधार पर इसका विश्लेषण कर रहे हैं सुप्रसिद्ध ज्योतिषी पं . केवल आनंद जोशी - यह महालक्ष्मी वर्ष मंगलवार दिनांक 28 अक्टूबर को आरंभ हो रहा है। सायंकाल वृष लग्न की कुंडली में लग्नेश शुक्र सप्तम भाव में विराजमान है। धनेश बुध चंद्रमा के साथ चौथे भाव में विराजमान हैं। केतु तृतीय भाव में , शनि पंचम भाव में , सूर्य और मंगल छटे भाव में गुरु अष्टम भाव में , राहु और नेपचून नवम भाव में विराजमान हैं। महालक्ष्मी वर्ष के समय महानिशीथकाल में स्वाति नक्षत्र का उदय हो रहा है। धन कारक बुध पराक्रम भाव के चंद्रमा के साथ पंचम भाव में बैठे हैं। कुल मिलाकर चंद्रमा राहु का त्रिकोण है। कालसर्प योग है। नीच राशि के सूर्य को शत्रु राशि का शनि देख रहा है। शनि , शुक्र ओर हर्षल ग्रह का केंद्र योग है। सभी ग्रहों में अधिकांश ग्रहों पर सूर्य और चंद्रमा अस्तगामी प्रभाव हैं। चर राशियां उदित हैं। स्थिर राशियां सुप्त हैं। इस बार महालक्ष्मी कारोबारी और नौकरी पेशा लोगों को अच्छा लाभ देकर जा रही है। लेकिन ठीक एक साल बाद पुन : 17 अक्टूबर 2009 को पुन : महालक्ष्मी अवतरित होगी। तब मजदूर और खेतिहर वर्ग से लेकर छोटे किसान , बड़े किसान , आयात - निर्यातकर्ता फैक्ट्री और उद्योग के मालिक एवं महाधनपति कुबेर के समान धनी लोगों को भी महालक्ष्मी और ज्यादा धन देकर संभ्रांत कर जाएगी।

आप अपनी चंद्र राशि के अनुसार उपरोक्त आय और व्यय की संख्या को जोड़ दें फिर उसमें से एक घटा दें। जो शेष बचे उसे 7 से भाग दें। भाग देने के उपरांत यदि 1 शेष बचे तो उस वर्ष धन लाभ अच्छा होता है। जमीन जायदाद और नए काम करने से फायदा होता है। यदि 2 शेष बचे , तो परिवार की धन वृद्धि होती है। 3 शेष बचे तो रोग बीमारी और झगड़े के कारण आमदनी में वृद्धि नहीं हो पाती। अगर 4 शेष बचे तो व्यापार या नौकरी में लाभ नहीं के बराबर होता है और खर्च बढ़ - चढ़कर होते हैं। 5 शेष बचे तो धन की तंगी के बावजूद मन में संतोष रहता है और बीच - बीच में कभी - कभार अच्छा फायदा हो जाता है। यदि 6 शेष बचे तो दिनरात धन कमाने की चिंता लगी रहती है। आंशिक रूप से धन लाभ भी होता रहता है , परंतु खर्च भी बेहिसाब हो जाता है। यदि 7 या 0 शेष बचे तो अच्छे लाभ के बावजूद बचत कम होती है। उदाहरण : रमेश कुमार की तुला राशि है। इस महालक्ष्मी वर्ष में उसकी आय और व्यय का आंकड़ा 7 जमा 12 है। इसका जोड़ 19 हुआ इसमें से 1 घटा दिया। शेष बचा 18 । इसमें 7 का भाग दिया तो बचा 4 शेष तो इसका फल दिया है कि व्यापार और नौकरी में लाभ नहीं के बराबर होता है और खर्च बढ़ - चढ़कर होते हैं।


मेषःशुरुआती अड़चनों के बाद लाभ ( चे चो ला ली लू ले लो अ )

युवा और प्रौढ़ जातकों के लिए यह साल दिसंबर से मार्च तक अत्यंत सरल और सरलता से लाभ देने वाला होगा। कोई भी अपारंपरिक उद्यम और कार्य जल्दी ही अर्थ लाभ का साधन बन सकता है। अप्रैल से अगस्त तक पिछला विनियोग समय की जरूरत को पूरा करता रहेगा और सितंबर से अक्टूबर तक किसी नए रोजगार की शुरुआत के कारण बजट असंतुलित होगा परंतु उसके बाद भविष्य का अर्थ द्वार अधिक सुगम और त्वरित लाभ दे सकता है। युवा, स्टूडंट और महिलाओं को धन जुटाने के लिए कठोर परिश्रम करना होगा। जो महानुभाव तकनीकी कला कौशल के ज्ञान से संपन्न हैं, उनको भी परिश्रम के अनुसार वांछित अर्थ प्राप्ति नहीं हो पाएगी। 2009 का पूर्वार्द्ध कार्यकुशल और संपन्न व्यवसायियों के लिए एक सुनहरे अवसर लेकर आ रहा है। जमीन-जायदाद, खनन, स्टील और लोहे के व्यापार में मेष राशि की शक्ति अद्वितीय मानी गई है, जो कि 2009 के निर्माण युग में लक्ष्मी की बरसात करने में सक्षम रहेगा। वैसे तो धन कमाने में पुरुषों की अपेक्षा मेष महिलाएं अधिक कामयाब और सफल मानी जाती हैं, लेकिन यह भी सत्य है कि अगर वह अकेले ही किसी परियोजना या प्रोजेक्ट को हाथ में लेती हैं तो जल्दी ही धोखेबाजी का शिकार हो सकती हैं, ऐसी नुकसानदायक परियोजनाओं से बचने के लिए उन्हें यही सलाह दी जाती है कि किसी न किसी प्रकार का आश्रय या संरक्षण लेकर ही अपना कारोबार करना चाहिए। व्यापार की अपेक्षा नौकरी में उन्हें अधिक आर्थिक सफलता मिल सकती है। धन की तंगी या आर्थिक परेशानी उनके आगे वर्ष 2009 में नहीं टिक सकती। जिन महानुभावों का समय का दौर अभी नाजुक चल रहा है, उन्हें सलाह दी जाती है कि वह इस महालक्ष्मी पर्व में दीपावली की दिन के समय कुंभ लग्न में लक्ष्मी-गणेश और कुबेर आदि यंत्रों की स्थापना करके महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करें। साथ ही सिंह लग्न के दौरान रात्रि काल में लक्ष्मी तंत्र का आह्वान करें। माणिक्य, नीलम और पुखराज से युक्त एक त्रिधातु पैंडल भी गले में धारण करना चाहिए। चूंकि शनि ग्रह इस साल अपनी शत्रु राशि में है। अत: महामृत्यंजय और शनि मंत्र का जाप भी करवाना चाहिए । इन सब उपायों से उनके आर्थिक कष्ट तत्काल दूर हो सकते हैं।


वृषभ: खास तरकीब और लगन से मिलेगा धन ( उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो)

यद्यपि सूर्य का गोचर सारे साल आपके लिए अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार करता रहेगा, परंतु चौथी राशि पर चल रहा शनि और अष्टम बृहस्पति का गोचर मात्र जनवरी से मार्च-अप्रैल तक ही वेधमुक्त होकर योजनाओं को फलीभूत करेगा। इस साल जहां घर-परिवार के सदस्यों से धन की अच्छी आमद होगी वहीं मित्रों के आश्रय से भी अनेक जातक यथाशीघ्र धन कमाने में तत्पर रहेंगे। अधिकांश जातकों के लिए व्यवसाय धन कमाने में सहायक होगा। बौद्धिक और कलात्मक कार्यों से भी वृषभ राशि के जातक धन कमा सकेंगे। जो जातक आधुनिक व्यावसायिक शिक्षा से युक्त हैं, उच्च स्तर की डिग्रियां और कारोबारी अनुभव से युक्त हैं, उन्हें कॉर्परट सेक्टर में लाखों के पैकिज मिलने की संभावना है। जमीन-जायदाद, बैंकिंग, इन्शुअरन्स तथा शेयर बाजार के कारोबार से जुड़े वृष जातक इस साल पर्याप्त धन कमा पाएंगे। काफी समय से रुकी हुई पदोन्नतियां कार्यक्षेत्र में बदलाव और मनपसंद स्थान परिवर्तन एवं विदेश यात्रा से भी अनेक वृष जातकों को अच्छा लाभ होगा। अनेक युवा वृष जातक जो नौकरी की अपेक्षा व्यापार करने में अधिक लाभ कमाने पर विश्वास रखते हैं उनके लिए भी यह वर्ष काफी उत्साहवर्द्धक साबित होगा। चाहे वह पंडित हों या पुजारी, डॉक्टर हों या एन्जीनियर, सलाहकार हों या संपादक। वह जो भी रचनात्मक काम करेंगे, उनका पर्याप्त पारिश्रमिक बतौर लक्ष्मी की कृपा के रूप में इस महालक्ष्मी वर्ष की शुरुआत से ही मिलने लग जाएगा। वृष राशि के व्यापारी खानपान और होटल आदि के कारोबार से भी धन कमा सकते हैं। वृष महिलाओं को भी इस महालक्ष्मी वर्ष में अनेक प्रकार की सफलताएं और पदोन्नतियां नवंबर-दिसंबर के दरम्यान मिल सकती हैं। साल के उत्तरार्द्ध में उन्हें मनपसंद कार्यक्षेत्र के अलावा ऐसा कार्यभार भी सौंपा जा सकता है, जो उनके लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य हो। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जहां औरों को कई वर्ष बीत जाते हैं, वहां वृष जातकों को यह पद वर्ष 2009 में कभी भी मिल सकता है। वर्ष के अंत तक चल और अचल संपत्ति का लाभ भी उनकी आर्थिक संपन्नता का संकेत होगा। राहु-केतु के रत्न को एक साथ गले में पैडल बनाकर धारण करें। साथ ही हाथ में मूंगा और पुखराज रत्न की अंगूठी भी महालक्ष्मी पर्व के दौरान वृष लग्न में पूजा के उपरांत धारण करें। समय-समय पर शनि की शांति के लिए तेल और अन्न आदि का दान करते रहें।

मिथुनः धन और सिद्धियां हासिल करने का योग (की, कु, घ, छ, के, को, ह)

इस महालक्ष्मी वर्ष
में सबसे अधिक अर्थ लाभ कमाने वाली मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध इस महीने के अंत तक चौथे स्थान में चंद्रमा के साथ विचरण करेगा। चंद्रमा आपके लिए धन प्रदायक ग्रह है। वर्ष 2009 जातकों के परिश्रमपूर्ण इरादों से ओतप्रोत है और कोई बाधा न हो, तो अच्छे स्वास्थ्य और अच्छे खानपान के जरिए श्रेष्ठ सिद्धियां भी प्राप्त होंगी। व्यापारी वर्ग के लिए यह साल काफी फायदेमंद साबित होगा। कार्यक्षेत्र में तनाव कम होंगे। यदि मशीनरी, किराना या अनाज आदि का कारोबार होगा, तो साल के उत्तरार्द्ध में अच्छे लाभ मिलेंगे। तकनीकी तथा जोखिम भरे कामों से भी मिथुन राशि के जातक लाभान्वित होते हैं। सेवा कार्य, रखरखाव और एजंसी कार्यों से भी अच्छा लाभ मिलने के संकेत हैं। सर्राफा, खाद्यान्न, खानपान, फैशन, कपड़ा और यातायात, पर्यटन के कारोबार में लगे हुए मिथुन जातक इस वर्ष अप्रैल-जून के दौरान अच्छी कमाई करेंगे। महिला मिथुन जातकों के लिए इस साल का पूर्वार्द्ध बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम देगा। नवंबर-दिसंबर से लेकर मार्च-अप्रैल तक रोजगारपरक अवसर प्राप्त होंगे। संसाधनों के व्यवस्था संबंधी कार्य में आपकी सूझबूझ अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी। यात्रा आदि के अवसर मिलेंगे। यदि आप अविवाहित हैं, तो वर्ष के उत्तरार्द्ध में विवाह संबंधी परिचर्चा में आपको सफलता मिलेगी। कार्यों से जुड़े रहने की इच्छा होगी। कला, संगीत और आर्ट, कल्चर, मनोरंजन एवं फैशन से जुड़ी महिला जातकों के लिए भी पूरा साल फायदेमंद रहेगा। उपाय के तौर पर आप अपने आर्थिक भविष्य को सुधारने के लिए दीपावली के अवसर पर घर में श्रीयंत्र और मंगल यंत्र को एक साथ स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा मूंगा और मोती रत्न को चांदी या सोने में धारण कर सकते हैं। यदि निवेश या बचत करना चाहें, तो सरकारी एवं उच्च स्तर के कॉर्परट शेयर बाजार एवं म्यूचुअल फंड आदि में भी धन लगाकर लाभ अर्जित कर सकते हैं। जमीन जायदाद या जूलरी आदि के क्षेत्र में भी निवेश करने से युवा मिथुन जातकों को विशेष लाभ हो सकता है। आपके लिए शुभ महीने हैं नवंबर, दिसंबर, फरवरी, मार्च, मई, जून, जुलाई, सितंबर।


कर्कः शुरुआती महीने रहेंगे उतार-चढ़ाव भरे ( हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

राशि स्वामी
चंद्रमा महालक्ष्मी वर्ष के आरंभ के दिन चौथे भाव में बैठा है। कर्क राशि को नवंबर-दिसंबर से मार्च-अप्रैल 2009 तक अच्छा खासा लाभ अपने ही कार्यक्रम और उपक्रम के माध्यमों से हो जाएगा। युवा और प्रौढ़, कर्क जातक इस साल के अंत तक यानी सितंबर-अक्टूबर 2009 में जहां अच्छा खासा धनकोष प्राप्त करेंगे, वहीं मकान, वाहन और सुखद यात्राओं पर धन का निवेश करेंगे। वर्ष 2009 में जातकों को अपने चुने हुए कार्यक्षेत्र में अपार सफलता पाने के अवसर मिलेंगे। कर्क राशि के व्यापारी जातकों के लिए यह साल शुरुआत में कुछ उतार-चढ़ाव से भरा रहेगा। नवंबर से जनवरी तक फायदा और नुकसान बराबर का रहेगा। यदि आप कोई पैतृक और पुश्तैनी कारोबार कर रहे हैं, तो आपको अपने बिज़नस में साल के आखिर में बदलाव लाने के लिए कुछ खर्च करना पड़ेगा। वैसे महालक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव ही रहती है, अत: यही सोचकर चलें कि साल के अंत में जाकर कुछ ऐसा दौर आ सकता है कि आपका पूरा घाटा एकसाथ रिकवर हो जाए। महिलाओं के लिए यह पूरा साल विशेष लाभकारी सिद्ध होगा। नवंबर से दिसंबर के दौरान वस्त्र आभूषणों की प्राप्ति होगी। जुलाई-अगस्त 2009 के बाद जहां विशेष प्रकार की आजीविका मिलेगी वहीं कुछ अच्छे काम करने के नतीजे भी फायदेमंद साबित होंगे। कुछ जातकों को इस साल विशेष प्रयासों के बावजूद मनोवांछित लाभ की प्राप्ति होने में अड़चन आ सकती है। उन्हें यही सलाह दी जाती है कि वह अपनी व्यक्तिगत जन्मकुंडली या ग्रहदशा को सुधारने के लिए लक्ष्मी व्रत करें। इसके साथ ही चतुर्दशी और एकादशी के व्रत ऐसे जातकों के लिए लाभप्रद साबित होंगे। मंगल रत्न मूंगा और पुखराज धारण करने से भी मनोवांछित की प्राप्ति होगी। नए कारोबार आदि का जोखिम लेने की जरूरत नहीं है। लंबी अवधि के निवेश में भी पैसा लगाना हितकर नहीं होगा। जो कुछ भी काम आपको मिल रहा है उसे तन्मयता और ईमानदारी से करने से लाभ मार्ग की जल्दी ही शुरुआत हो जाएगी। इसके बावजूद अनेक जातक ऐसे भी होंगे, जिनका समय पूरी तरह साथ नहीं दे रहा होगा। उनको श्रीयंत्र, मंगल यंत्र का पूजन करना चाहिए और मोती तथा मूंगा धारण करना होगा।


सिंहः लटके प्रोजेक्ट पकड़ सकते हैं रफ्तार ( मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 की कुंडली में आपकी राशि का स्वामी सूर्य तीसरे भाव से आकाशमंडल में विचरण कर रहा है और सायंकाल पूजा के समय चंद्रमा का योग भी पराक्रम यानी तीसरे भाव से हो रहा है। आपके लिए पिछले काफी समय से पड़े हुए कार्य गति पकड़ेंगे। नया वातावरण दिन-प्रतिदिन अनुकूल होता जाएगा। पुराने व्यापार के अलावा अनेक सिंह जातकों को नये उपक्रमों से भी सीधा लाभ होगा। आगामी वर्ष में नवंबर से दिसंबर तक सभी युवा प्रौढ़ कर्मठ सिंह जातकों पर धन की आवक का अच्छा दौर व्याप्त होगा। सभी प्रकार के स्थायी और अस्थायी उद्यम बिना किसी प्रतिरोध के लाभ देते रहेंगे। नौकर-चाकर और विश्वासी मित्रों के जरिए भी धन कमाने में मदद मिलेगी। यद्यपि संतान पक्ष के कारण अथवा दांपत्य जीवन के उतार-चढ़ाव के कारण जनवरी-फरवरी में कुछ अनावश्यक व्यय भी सामने आएंगे, परंतु कुल मिलाकर मार्च से अगस्त तक लगातार धन का स्त्रोत स्थायी कोष को मजबूत करता रहेगा। सितंबर से अक्टूबर तक अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त के कारण व्यय भार बढ़ेगा या फिर घर में किसी सदस्य के मांगलिक कार्य, विदेश यात्रा के चलते मामूली खर्च भी वहन करना होगा। जो सिंह जातक अभी अध्ययनरत हैं या फिर आजीविका की तलाश में हैं, उनके लिए वर्ष का उत्तरार्द्ध यानी अप्रैल-मई 2009 के बाद अवसर काफी अनुकूल और नियोजन कारक है। अनेक जातकों को अपने प्रभाव प्रतिष्ठा से राजनैतिक संपर्कों से या फिर जोखिम के जरिए भी धनलाभ के अवसर मिलेंगे। महिलाओं के लिए यह वर्ष बहुत ही उत्साहवर्धक और प्रेरणादायक रहेगा। जनवरी से अप्रैल के बीच में आपको पदोन्नति या प्रमोशन आदि मिलने का भी अवसर प्राप्त होगा। जो महिलाएं अपना ही निजी उद्यम कर रही हैं, उनके लिए भी यह साल फायदेमंद साबित होगा। कुछ सिंह जातकों को, जिनका समय अभी ठीक नहीं चल रहा है। उनको यही सलाह दी जाती है कि इस महालक्ष्मी पर्व के दौरान प्रदोषकाल में अपने कारोबार या घर पर श्रीयंत्र तथा महालक्ष्मी यंत्र और गणेश यंत्र की स्थापना करें। एक नवग्रह ताबीज को गले में धारण करें और संभव हो तो हर रविवार को खाने-पीने की सामग्री आदि का थोड़ा बहुत दान पुण्य करें । पन्ना या नीलम धारण करना भी उन जातकों को लाभप्रद रहेगा, जिनको बुध या शनि ग्रह की महादशा चल रही है।

कन्याः सोच-समझ कर खर्च करें पैसा ( पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

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या राशि के लिए यह महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 एक अच्छा खासा आर्थिक पैकिज लेकर आ रहा है। आकाशीय चक्र में राशि स्वामी बुध पहले स्थान पर चंद्रमा के साथ बैठा है। यह वर्ष आपके लिए अक्टूबर शेष से नवंबर तक अनेक प्रकार के स्त्रोतों से विपुल लाभ का प्रतीक बनेगा। यदि आप किसी नए व्यापार से जुड़े होंगे तो इस दीपावली के बाद धन की चतुर्दिक आवक बढ़ेगी। यही नहीं जो कन्या जातक अपने कला-कौशल अथवा तकनीकी ज्ञान का सहारा लेकर धन कमाना चाहते हैं, उनको भी बेहतर अवसर नवंबर से दिसंबर के मध्य आ रहे हैं। प्रौढ़ और वरिष्ठ कन्या जातकों के लिए यह साल अपनी जमा पूंजी को सही तरीके से उपयोग में लाने के लिए सावधानी की चेतावनी देता है। इसलिए ऐसे संदर्भ या घटनाक्रम नहीं उलझें, जिसमें आपका अनुभव और ज्ञान अपरिपक्व हो। कुछ वरिष्ठ कन्या जातकों के लिए यह महालक्ष्मी वर्ष कुछ आर्थिक परेशानियों से भरा हुआ हो सकता है। इसका मुख्य कारण जहां शनि की साढ़े साती का असर है वहीं पारिवारिक उत्तरदायित्व और संतान पक्ष की जिम्मेदारी भी आपके ऊपर आ सकती है। कन्या राशि की महिलाओं के लिए यह वर्ष स्वरोजगार के क्षेत्र में बहुत ही कामयाबी देने वाला होगा। पार्टनरशिप या फिर सहायक उद्योग व्यापार में पांव जमाने में आपको ज्यादा समय नहीं लगेगा। आप एक अच्छी बिज़नसमैन साबित हो सकती हैं।यदि आपके पास कोई हुनर कला या प्रफेशनल डिग्री है, तो आप अपने बलबूते पर ही धन कमाने में सफल हो सकती हैं। कुछ कन्या जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती के कारण समय का दौर बहुत ज्यादा लाभप्रद नहीं चल रहा है। इसके लिए उन्हें शनि और राहु-केतु की मुकम्मल शांति करवानी चाहिए। इसके लिए गोमेद, लहसुनिया और नीलम आदि रत्न भी जांच परख कर धारण किए जा सकते हैं। शनि यंत्र और मंगल यंत्र की पूजा करना और अर्द्धरात्रि के समय दीपावली के दिन महालक्ष्मी मंत्र का जाप करना भी आपके लिए मनोकामना पूरक हो सकता है।

तुला: क्रेडिट कार्ड के सहारे न दिखाएं शान (री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

महालक्ष्मी वर्ष के दौरान आपकी राशि का स्वामी शुक्र आपके दूसरे भाव में वृश्चिक राशि में ही चल रहे हैं। सूर्य और मंगल आपकी राशि में योग कर रहे हैं। बुध और चन्द्रमा बारहवें भाव में तथा शनि ग्यारहवें भाव में और गुरू तीसरे भाव, राहु चौथे भाव तथा केतु की स्थिति दशम भाव में है । धन सम्पदा के भाव में शुक्र बैठा है, जबकि रोज़गार और करोबार का स्वामी चंद्रमा भाग्येश बुध के साथ बारहवें भाव में बैठा है।
आपकी राशि वर्ष 2008 और 2009 उतना सहज और आसान नहीं रहेगा, जितना आपको प्रतीत हो रहा है। कई बातें आपके प्रतिकूल जा रही हैं। एक तो राशि पर चल रहा सूर्य और मंगल का योग आपको सरकार तथा नियम कानून के खतरे और प्रतिबंध से आगाह कर रहा है। यदि आप खुलकर काम करना चाह रहे हैं या व्यापार करने की इच्छा है तो उस दौरान भी आपके लिए रास्ते बहुत ही कठिन हैं।
एक तरफ जहां आर्थिक पक्ष की चौकन्नी नज़र आपको बांधे हुए रहेगी। दूसरी तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ व्यापार आपके धैर्य की परीक्षा ले रहा है। यदि आपने कहीं पर भी कोई गलती या चूक कर दी तो आपको इसका भारी दण्ड चुकाना पड़ सकता है। किसी दूसरे क्षेत्र से क्षतिपूर्ति की गुंजाइश इस साल तुला राशि को नहीं हो पाएगी। कहने का अभिप्राय यह है कि अगर उन्होंने साग-सब्जी बेचकर अपना गुजारा चलाया है तो अभी भी उन्हें उसी अनुपात से साग-सब्जी का ही कारोबार करना पड़ेगा।
युवा वर्ग में एक समुदाय ऐसा भी है, जो बहुत ही मूल्यवान सौदे में धन लगाकर अपना कारोबार कर रहा है। आने वाले महीने आपको यथेष्ट धन धान्य से परिपूर्ण करने में सक्षम हो रहे हैं। व्यय स्थान का बुध, जहां कुछ विवादग्रस्त मामलों को निबटा सकता है, वहीं गुप्त लाभ के तरीके से भी आपको मालामाल करने में सक्षम है। किसी कारण कोई मामला आर्थिक दंड की प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ सकता है। परंतु सभी तुला जातकों के मामले में यह विचारणीय नहीं है।
तुला राशि व्यापार जगत की नायक राशि है। या तो उच्चस्तरीय बौद्धिक कार्य या फिर अच्छे स्तर का व्यापार करना इस राशि का परम धर्म है। कोई भी तुला जातक, चाहे वह नौकरी आजीविका करे या फिर व्यापार, कभी धन के अभाव में विपन्नता का शिकार नहीं हुआ है। यदि कुछ भी कर सकने की क्षमता उसमें है, तो अवश्य ही लक्ष्मी का वरदहस्त उसके सिर पर सदैव रहता है। यही स्थिति इस साल नवंबर से दिसंबर तक व्यापार विशेषकर गल्ला, किराना, दलहन या फिर सोना-चांदी या धातु, शेयर बाजार आदि से जुड़े तुला जातकों पर लागू होती है। जनवरी से मार्च 2009 तक अनेक जातकों को व्यापार या अन्य व्यापरिक गतिविधियों से अपार लाभ हो रहा है।
युवा और प्रौढ़ तुला जातकों के लिए यह साल आजीविका में बहुत ही कठिन परिश्रम और उतार चढ़ाव से भरा हो सकता है। जो कुछ भी आपको अपने भरण पोषण और वेतन आदि के रूप में मिल रहा है, उसको सही तरीके से उपयोग में लाने की जरूरत होगी। रिस्क और जोखिम से भरा हुआ कोई कदम उठाना आपको महंगा पड़ सकता है। यही स्थिति तुला राशि के व्यापारियों के लिए भी लागू होती है। बार-बार व्यापार को बदलना या उसमें काट छांट करना आपके लिए फायदेमंद नहीं है।
जो तुला राशि के जातक प्रबंधन विपणन एवं कमीशन आदि के कारोबार में जुड़े हैं या फिर डॉक्टरी वकालत और मीडिया के क्षेत्र में कारोबार कर रहे हैं, उनके लिए अच्छी खबर यह है कि वर्ष 2009 के उत्तरार्ध में विशेष अवसर और उपलब्धियां मिल सकती हैं। सर्राफा सोना-चांदी, धातु, पदार्थ निर्माण कार्य लोहा, सीमेंट अथवा खाद्यान एवं कृषि कार्यों से जुड़े हुए तुला राशि के जातकों को सारा साल नफे नुकसान का प्रभाव दे सकता है। ऐसे समय में यही जरूरी है कि आप धैर्य रखें तथा अपने सम्पर्क सूत्रों को खराब नहीं करें।
अधिक कर्ज या लोन ब्याज के चक्कर में नहीं पड़ें। यदि आपकी कारोबार की स्थिति कुछ मंदी का सामना कर भी रही हो तो यह भरोसा रखें कि नवंबर उत्तरार्ध , दिसंबर, फरवरी, मार्च तथा जुलाई अगस्त 2009 के महीने आपके लिए नुकसान की भरपाई करने में समर्थ होंगे।
तुला महिलाओं के लिए वर्ष 2009 का महालक्ष्मी वर्ष काफी खर्चीला और आर्थिक उतार चढ़ाव से भरा रहेगा। आपकी आर्थिक सोच के जो भी साधन हैं, उनकी समीक्षा बहुत जरूरी है। यदि आप नौकरीपेशा हैं तो अपनी ज़रूरत से ज्यादा खर्च करना आपके लिए नुकसानदेह साबित होगा। अधिक धन के लालच में कोई निवेश करना या जायदाद प्रॉपर्टी की खरीद करना अथवा उधार देकर ब्याज आदि की प्राप्ति की आशा रखना भी आपके लिए फायदेमंद नहीं रहेगी।
हो सकता है इस दौर में अगर आप किफायत और संकोच के साथ अपने हाथ को आगे बढाएंगे तो वर्ष के उत्तरार्ध में आपकी आर्थिक समस्या अपने आप ही हल हो जाएगी। वैसे तो आपको अपने परिजनों का पूरा सहयोग मिलेगा, लेकिन कभी-कभी ऐसा भी लगेगा कि जिनके लिए आप अपना तन मन धन न्योछावर कर रही हैं वही आपके लिए आर्थिक समस्या का कारण बन रहे हैं। इन सब मामलों में शनि की भूमिका भी बहुत ही गंभीरता से विचारनी होगी। यदि आप ग्रहों की चाल पर आस्था रखती हैं तो शनिवार के दिन दान-पुण्य की कोशिश करें।
जिन महानुभाव के लिए यह आर्थिक वर्ष अधिक संतोषप्रद नहीं है, उन्हें उतावली और जल्दबाजी से बचना चाहिए। ताव में आकर कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे कर्ज और ऋण का बोझ बढ़ जाए । शान शौकत या बाहरी दिखावे से बचना होगा। शनि की शान्ति के लिए माणिक और गोमेद को अलग-अलग धातुओं में डाल कर धारण करें। गणेश चतुर्थी और अमावस्या का व्रत रखना भी आपके लिए संकटमोचक हो सकता है।

वृश्चिक: खूब कमाएंगे और खूब ही खर्च करेंगे ( ना , नी , नू , ने , नो , या , यी , यू )

इस वर्ष महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 के दौरान आपकी राशि का स्वामी मंगल बारहवें भाव से विचरण कर रहा है। इसके साथ ही व्यय भाव में सूर्य, मंगल और लाभ भाव में बुध और चंद्रमा की स्थिति आपके इर्द-गिर्द के जंजाल को भी उजागर कर रही है, जहां पर विशेष प्रयास करने और अपने पीछे के झंझटों को दूर करने के लिए उन आर्थिक कार्यक्रमों को हाथ में लेने को तैयार है। आपका जीवन एक नए संपदा क्षेत्र की ओर अग्रसर होगा, शनि आपके कर्म स्थान में बृहस्पति धन भाव में तथा राहु तीसरे और नवें भाव में रहने से यह साल आपको खूब कमाओ और खूब खर्च करो की नसीहत दे रहा है।
पिछले काफी समय से अनेक जातकों को जहां अस्तित्व की लड़ाई लड़ना मजबूरी हो रहा है, वहां प्रयास करने पर आय के स्रोत धारा-प्रवाह नहीं हो पा रहे हैं। परंतु इस महालक्ष्मी वर्ष के दौरान एक नए संकल्प के साथ आप अपनी क्षमता और शक्ति के अनुकूल कार्य करते हुए काफी हद तक सफल होने की आशा रख सकते हैं। मंगल ग्रह चूंकि साहस और आशा का प्रतीक ग्रह है, अतः हार जाने के बाद भी खेल को जारी रखना आपकी फितरत है। यही अप्रतिम साहस आपके जीवन में अपनी वांछित जरूरतों को पूरा करा देने में सहायक भी होता है।
इस महालक्ष्मी वर्ष का आगाज़ चाहे जितना कठोर हो, परंतु अंजाम काफी हद तक अच्छा ही होगा। कुछ ऐसे कार्य भी आप कर सकते हैं, जो आपके व्यवहार और बुद्धि से एकदम विपरीत हो। अनुभवहीन और अकुशल होते हुए भी आप कुछ न कुछ करने को उतारू रहेंगे, जिसके चलते नवंबर दिसंबर में दौड़भाग बढ़ेगी और कुछ ऋण या उधार भी लेना वाजिब हो जाएगा। बृहस्पति आपके धन स्थान और बुध लाभ स्थान का प्रतीक ग्रह है।
इन दोनों का संचार आपकी राशि पर वर्ष 2009 पर होगा। कुछ अच्छे लोगों के प्रयास से मित्रों से बंधुजनों या सखा मित्रों के सहयोग से आपको सारे साल धन कमाने का मौका मिलता रहेगा। राहुकेतु आपके अनुकूल रहेंगे, भाग्य स्थान यानी नवम भाव शनि रूकावट डाल सकता है। लोहा मशीनरी और शनिकारक वस्तुओं से हानि हो सकती है। लेकिन, जमीन-जायदाद , प्रॉपर्टी तथा कमीशन एवं अन्य एजंसी कार्य आपके भाग्य को खोलने में सहायक सिद्ध होंगे।
प्रौढ़ और वरिष्ठ वृश्चिक जातकों के लिए यह साल अपनी जमापूंजी को सही तरीके से उपयोग में लाने के लिए सावधानी की चेतावनी देता है। इसलिए, ऐसे संदर्भ या घटनाक्रम में नहीं उलझें, जिसमें आपका अनुभव और ज्ञान अपरिपक्व हो। आप पर सामाजिक और पारिवारिक उत्तरदायित्व भी बने रहेंगे। बच्चों की शादी-विवाह, आवास, वाहन आदि में खर्च हो सकता है। यदि आप जोड़-तोड़ और युक्ति से काम लेंगे तो कई नाजायज़ खर्चे आपके लिए धन संचय का कारण बन सकते हैं।
यदि आप कोई छोटा-मोटा रोज़गार या कारोबार करने की सोच रहे हैं, तो उसमें भी आप अपने आपको भागीदार अवश्य बनाएं, लेकिन यह भी समझें कि ऐसा कार्यक्षेत्र या व्यापार आपके लिए आगे चलकर बोझ न बन जाए। आपको यह भी ध्यान रखना है कि वर्ष 2008 और 2009 विश्वव्यापी मंदी की चपेट में है। यदि आपने कोई भी कदम गलत उठा लिया या कोई भी कार्य बिना परिणाम जांच ही शुरू कर दिए, तो निश्चित समझें कि आपकी वही गति होगी, जो एक तपते रेगिस्तान में आसमान से गिरे पक्षी की होती है।
आपको यह समझ रहती है कि जो भी जमापूंजी है आपके पास, वह प्यास बुझाने का एक अक्षय जल स्रोत है। अतः यह महालक्ष्मी वर्ष आपको इस बात से आगाह कर रहा है कि जिस धंधे में औरों को फायदा होता है, उसी धंधे में आपको भी फायदा हो यह जरूरी नहीं है। यदि आपको छोटे से काम में फायदा हो रहा है, तो आप उसी काम पर टिके रहें और अपनी लाइन नहीं बदलें।
महिला वृश्चिक जातकों के लिए यह साल उनके एजुकेशन और करियर को चमकाने में विशेष योगदान देगा। शनि की साढ़ेसाती उनके लिए जहां रोजगार प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगी, वहीं उनकी कर्मठता और जाग्रत बौद्धिक क्षमता उन्हें जल्द ही आगे बढ़ाने में मदद करेगी। उन्हें सरकारी या गैरसरकारी क्षेत्र से आकर्षक पैकिज या ऑफर भी मिल सकते हैं। यद्यपि अपने काम को पूरी तरह निभाने में कभी-कभी कुछ कठिनाइयां भी आएंगी, लेकिन उन्हें यही सोच कर धैर्य रखना होगा कि हमेशा ही ऐसा तनावपूर्ण दौर नहीं रहेगा।
अपने परिजनों और परिवार के लोगों पर उन्हें विशेष खर्च करने का साहस रखना होगा और यही सोचकर अपना सहयोग देना होगा कि परिवार की भलाई में ही उनकी भलाई भी है। अनेक युवा वृश्चिक जातकों को इस वर्ष मांगलिक और शुभकार्यों में भी सफलता मिल सकती है और वातावरण का बदलाव उन्हें नए आर्थिक परिवेश में ले जा सकता है।
ऐसे भी अनेक वृश्चिक जातक होंगे, जिन्हें या तो नौकरी मिलने में कठिनाई हो रही हो या फिर अपना व्यापार या कारोबार जमाने में दिक्कतें आ रही हैं। कुछ ऐसे महानुभाव भी होंगे जो पिछले कई वर्षों से आर्थिक लाभ के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यदि उन्हें अभी भी समय प्रतिकूल नजर आ रहा हो, तो उन्हें तत्काल ही एक अच्छे स्तर का पन्ना, रत्न धारण करना चाहिए । उन्हें यह भी देखना होगा कि अपने कार्यक्षेत्र या व्यापार में तत्पर होकर दिनरात मेहनत करें ।
मौज-मस्ती या लापरवाही उन्हें और भी नुकसान की ओर ले जा सकती है। अपने क्षमता और शक्ति के बीच संतुलन बनाते हुए यदि वे सोमवार या शनिवार को उपवास रखेंगे तो उनका धन लाभ का रास्ता स्वतः ही खुल जाएगा। सभी दिन एक समान नहीं रहते हैं, अतः इस शुरुआती दौर में जो कुछ भी घट रहा है इससे घबराना नहीं चाहिए । शनि के उपचार के लिए शनि का जपदान, शनि यंत्र की पूजा और दीपावली के दिन लक्ष्मी गणेश यंत्र की स्थापना करना लाभप्रद रहेगा।

मकर:कारोबार से अच्छा-खासा लाभ ( जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

इस महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 में गोचर का राहु , लग्न भाव से विचरण कर रहा है। सूर्य और मंगल दशम भाव से विचरण कर रहा है और साथ में बुध और चंद्रमा भी नवमभाव से आपके भाग्य योग को प्रबल कर रहा है। फिलहाल गुरू बाहरवें भाव में बैठे हैं, लेकिन ठीक एक-डेढ़ महीने के बाद वह आपकी राशि में प्रवेश करेंगे। शुक्र एकादश में और शनि अष्टम भाव में सारे साल आपके लिए धन कमाने के अच्छे-अच्छे तौर तरीके पेश करेगा। केतु सप्तम भाव में रहेगा। कुल मिलाकर राहु इस साल अच्छी अर्थव्यवस्था को सूचित कर रहा है, जबकि दशम का सूर्य मंगल आपके नेक कार्यों को आगे बढ़ाने में तत्पर रहेगा। मंगल की वजह से ही आपके अंदर साहस, शौर्य और हिम्मत का संचार होगा। आपकी आधी ताकत मंगल है। जिस बदौलत आप चारों तरफ चैकन्ने और मैदान में बहादुर सिपाही की तरह डटे रहेंगे। चंद्रमा और बुध जब भाग्य स्थान में रहते हैं, तो किस्मत के चमकने में देर नहीं लगती। लेकिन, यह किस्मत बहुत लंबे दौर तक चमकती नहीं रहेगी। चंद्रमा और बुध कुछ ऐसे काम करा जाते हैं, जब आपकी ख्याति और सम्मान में वृद्धि होने लगेगी। साथ ही आपके चहेते मित्र भाई-बहन और निकट संबंधी भी आपके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहेंगे। द्वादश का शुक्र और भाग्य स्थान का मंगल भी एक नहीं, बल्कि अनेक स्रोतों से धन-लाभ का पर्याय बन रहा है। जिन जातकों को शनि और बृहस्पति योग कारक है, उनको विशेष तौर पर आजीविका के जरिए अच्छा धन लाभ मिलता है। अनेक जातकों के अपने स्वजनों और परिजनों के जरिए भी पारिवारिक अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का अवसर मिलेगा। अपने साथ-साथ पत्नी और संतान के भाग्योदय के माध्यम से भी इस राशि का आर्थिक स्तर उन्नत होगा। मकर राशि वाले धन कमाने के मामले में काफी कर्मठ और किफायत से चलने वाले होते हैं। अपने मूलभूत जरूरतों के अलावा फिजूलखर्ची से सदैव दूर ही रहते हैं, परंतु अनेक मकर जातकों को युवावस्था में कुछ अवांछित व्यसन होते हैं, जो कि धन के अपव्यय का स्रोत बनते हैं। ऐसा ही कुयोग अनेक जातकों को खर्च के बावजूद संतोषजनक आजीविका और आर्थिक लाभ का सूचक तो बनेगा ही, कुछ अप्रत्याशित लाभ और धनागमन भी जोखिम सट्टे लॉटरी अथवा विनियोग के माध्यम से होना संभव है। आप वर्ष 2009 में रोजगार और व्यापार से अच्छा धन कमाएंगे, क्योंकि राशि स्वामी सप्तम भाव में रहेगा। अनेक जातकों को, जिनके पास अच्छी व्यवसायिक शिक्षा है, उन्हें आज के कॉर्पोरेट तथा बीपीओ सेक्टर में प्रवेश मिलेगा और वे विदेश की नौकरी भी सहज रूप में प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, यह भी एक सत्य है कि जिन देशों में आर्थिक मंदी चल रही है वहां पर बसे हुए मकर जातकों को कड़ी बेरोजगारी का सामना भी कुछ समय के लिए करना पड़ सकता है। जो मकर जातक नौकरी छोड़कर व्यापार में उतर आते हैं या फिर शुरू से ही व्यापार के क्षेत्र में भाग्य आजमा रहे हैं, उनके लिए भी यह साल भाग्यशाली साबित हो रहा है। यदि उनके पास आर्थिक उद्योग से जुड़े हुए अनुबंध कारोबार या एजंसी आदि हैं या किसी उपभोक्ता पदार्थ के वितरण विपणन का कार्य है, तो यह समझें कि उनके लिए पूरा साल ही फायदे का स्रोत रहेगा। जहां तक मेहनत और परिश्रम का सवाल है, उसमें मकर जातक बहुत अधिक सक्रिय और सजग नहीं माने जाते हैं। कभी- कभी वे मौज-मस्ती और मनमानी के चलते अपने कर्तव्य से परे हट जाते हैं। ऐसा भी होता है कि जब किसी कारोबार में फायदे का अवसर आता है तो उनके प्रतिद्वंदी उन्हें कुछ ऐसा भ्रमित कर देते हैं कि वे अपना मूल काम छोड़कर इधर-उधर की बातों में भटक जाते हैं। इसका सीधा असर यही होता है कि वे अवसर के अनुसार मिलने वाले लाभ से वंचित हो जाते हैं। वर्ष के पूर्वार्ध में कुछ ऐसी ही घटनाएं नवंबर से लेकर मार्च-अप्रैल के महीने में हो सकती है, जब मकर जातकों को अपने कारोबार और व्यापार पर पूरी तरह केंद्रित होना आवश्यक होगा। प्रौढ़ और वरिष्ठ जातकों के लिए यह साल बेहतरीन साबित होगा। मानवश्रम और अपने कार्यकर्ताओं को संगठित करने की कुशल रणनीति उनके पास रहती है। समय के आखिरी पड़ाव तक कुछ न कुछ करने की और धन कमाने की कामना मकर जातकों में रहती है। सामाजिक कार्य , एनजीओ या कोई प्राइवट प्रैक्टिस आदि के जरिए भी मकर जातकों को वांछित धन लाभ होता रहता है। अनेक जातक कमीशन प्रॉपर्टी और रिअल एस्टेट या फिर ठेकेदारी आदि से भी धन कमाने में समर्थ रहेंगे। मकर महिलाएं अपने व्यवहार और व्यक्तित्व से हर जगह छाई रहती हैं। नौकरीपेशा हों या कारोबारी, प्राइवट सेक्टर में हों या सरकारी या फिर कला संगीत और मीडिया क्षेत्र में, सब जगह मकर महिलाओं का प्रभुत्व जमा रहता है। आज के समय में अभिनय , मॉडलिंग , सशस्त्र सेना या पुलिस या फिर कम्प्यूटर आईटी या मार्केटिंग से जुड़े कार्य, सब जगह मकर महिलाओं का बोलबाला बना रहता है। इस महालक्ष्मी वर्ष में सभी सक्षम महिलाएं अपने बलबूते पर अच्छा धन कमाने में कामयाब रहेंगी। अपने छोटे से छोटे व्यापार या कारोबार से भी उनको अच्छा-खासा लाभ मिल जाएगा। जिन महानुभावों का खराब समय चल रहा है और कोशिश के बावजूद भी कामयाबी नहीं मिल रही है उनको मंगल यंत्र और श्रीयंत्र की संयुक्त रूप से स्थापना करके दीपावली की रात्रि को कुबेर और गणेश जी की स्तुति करनी चाहिए। साथ ही दस कैरेट का मूंगा और पांच कैरेट का पुखराज भी सोना या चांदी में डालना चाहिए। इन सब उपायों से मकर जातकों को आर्थिक संघर्ष से जूझने में मदद मिलेगी और संकट का दौर जल्द ही खत्म हो जाएगा ।

धनु:पदोन्नति का लाभ होगा ( यो , भा , भी , भू , धा , फा , ढा , भे )

इस महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 के दौरान शुक्र आपकी राशि से बारहवें भाव में सीधी चाल से संक्रमण कर रहा है। राशि स्वामी बृहस्पति आपकी ही राशि में चलता हुआ मकर राशि की ओर अग्रसर हो रहा है। अगले एक डेढ़ महीने के दौरान यह मकर राशि में एक साल के लिए अपनी गोचर यात्रा जारी रखेगा। मंगल ग्रह एकादश भाव में सूर्य के साथ योग कर रहा है। शनि आपके धन भाव का स्वामी है, जो पूरे वर्ष आपके नवम भाव में ही रहेगा। चंद्रमा और बुध आपके कर्म भाव से विचरण कर रहे हैं।
राहु दूसरे तथा केतु अष्टम भाव में बैठा है। इस बात की चिंता नहीं करें कि गोचर का बृहस्पति लाभ भाव से कितनी धन प्राप्ति कराएगा, बल्कि यही समझें कि बृहस्पति आपके कई प्रकार लंबित पड़े हुए मामलों को पूरा करेगा। वहां शरीर और स्वास्थ्य की अड़चनों को भी समाप्त करता रहेगा। महालक्ष्मी वर्ष के आरंभ के दिनों में आप किसी न किसी धार्मिक अनुष्ठान को पूरा करने में तत्पर रहेंगे और निकट दूर की यात्रा भी आपको करनी होगी। उसके बाद नवंबर से दिसंबर तक घर परिवार के सदस्यों का भाग्योदय होगा और किसी न किसी सदस्य को आजीविका अथवा व्यापार आदि के सुचारू रूप से चलने से आर्थिक लाभ भी होने लग जाएगा।
वर्ष 2009 में जनवरी फरवरी में कुछ खर्च बढ़ेगा, परंतु आमदनी भी बढ़ेगी। यही समझ कर आप किसी प्रकार का मांगलिक या संतान पक्ष से जुड़ा वैवाहिक कार्य भी आयोजित करेंगे। जिन जातकों की अभी युवा अवस्था है, उनको या तो दाम्पत्य सुख होगा या फिर पुत्र संतान की उपलब्धि भी मार्च से अप्रैल के मध्य तक होगी। अनेक जातक जो बौद्धिक और सलाहाकार सेवा या अन्य स्तर की नौकरी से जुडे हैं, उनके लिए मई और जून के महीनों में पदोन्नति आदि का लाभ होगा ।
जुलाई से अगस्त के मध्य अनेक धनु जातकों को जहां अचल सम्पत्ति, मकान, जायदाद का लाभ होगा वहां वाहन आदि के सुख से भी अभिभूत होंगे। कुल मिलाकर महालक्ष्मी वर्ष के अंतिम दो महीने यानी सितम्बर और अक्टूबर भी अत्यंत उत्साहवर्धक और सुख संपदाकारक साबित होंगे। कुछ जातकों को अपना कमाया हुआ धन स्वास्थ्य रक्षा अथवा निर्माण कार्यों में व्यय करना होगा। परंतु यह व्यय भी एक अनिवार्य निवेश है, जो कि आगे चलकर आपकी परिसम्पत्ति को बढ़ाता रहेगा।
व्यापार का क्षेत्र धनु राशि के लिए सबसे बड़ा धन कमाने का क्षेत्र रहा है। अपनी नौकरी या आजीविका के दौरान वे चाहे कितना ही धन कमा लें, लेकिन उनकी आंतरिक अभिलाषा सदैव व्यापार की ओर उन्मुख रहती है। आज के समय में रीटेल हो या होलसेल, खाद्यान हो या फूड प्रॉसेसिंग, वकालत हो या मनोरंजन, फार्मेसी या फिर होटल बिज़नेस, शेयर बाजार , धातु बाजार , फर्नीचर , फैशन , कपडा़ रेडीमेड से लेकर जूलरी सर्राफा और आर्थिक विषयों से जुड़े तमाम व्यापार क्षेत्र तुला राशि की पहली पसंद होते हैं।
इस महालक्ष्मी वर्ष में आपके लिए विश्वव्यापी व्यापार, ट्रेडिंग, आयात-निर्यात के सुनहरे अवसर सदैव आपका रास्ता देख रहे होंगे। धन कमाने की जितनी क्षमता आपके अंदर होगी आप उससे भी अधिक अपने व्यापार से प्राप्त करने में कामयाब हो सकेंगे।
धनु राशि की महिलाएं भी नौकरी पेशा हों या अपने निजी व्यपार से जुड़ी हुई, कहीं पर आर्थिक स्वतंत्रता अर्जित करने में पीछे नहीं रहती हैं। उनकी आकर्षक और कलात्मक कार्यक्षमता व्यक्तित्व और व्यवहार शैली हमेशा एक सफल कार्यकर्ता और व्यापारी के रूप में उभरकर आती हैं। आज के आधुनिक दौर में धनु महिलाएं बड़ी-बड़ी कंपनियों की सीईओ महाप्रबंधक या मुख्य संचालक से लेकर मार्केटिंग और फाइनैंस की मुख्य संचालक होती हैं।
इस वर्ष भी धनु महिलाओं के लिए ये सभी क्षेत्र धन कमाने के लिए आकर्षक क्षेत्र होंगे। जो भी महिलाएं आज के दौर में अच्छी क्वालिफाइड हैं, उनके लिए वर्ष 2009 का उत्तरार्ध आर्थिक लाभ के लिए बेहतरीन वर्ष साबित होगा। संघर्ष और परेशानी का दौर धनु राशि के अनेक जातकों के लिए इस साल भी रहेगा। ऐसे में उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपने प्रयास को धीमा नहीं छोडें, जो भी काम मिलता है और जिस स्तर पर भी वे अपना परिश्रम कर सकते हैं अवश्य करें।
कुछ महीनों के बाद ही उनके परेशानी से भरे दिन खत्म हो सकते हैं। उपाय के तौर पर उन्हें प्रदोष व्रत करना चाहिए। साथ ही पूर्णिमा के दिन भी चंद्रमा की आराधना अवश्य करनी चाहिए। धन की वृद्धि के लिए माणिक्य तथा मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए। जो जातक हीरा और नीलम धारण कर सकते हैं। जैसे कि लक्ष्मी यंत्र और श्रीयंत्र की घर में स्थापना करना, अगर व्यापार करते हों तो व्यापार वृद्धि यंत्र और कार्यसिद्धि यंत्र की स्थापना करना या फिर वास्तुनियमों के अनुसार घर या व्यापार स्थल की समीक्षा करना। ये सभी उपाय उन्हें संकट के दौर से बाहर निकालकर अर्थ संपन्न बना सकते हैं ।


कुंभ: इस वर्ष अवसरों की भरमार रहेगी (गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

इस महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 के दौरान आपकी राशि का स्वामी शनि सप्तम भाव से विचरण कर रहा है। सूर्य मंगल के साथ नवम भाव में , शुक्र दशम भाव में , गुरू एकादश भाव में तथा राहु द्वादश भाव में विचरण कर रहा है। इसी ग्रहयोग के साथ चंद्रमा और बुध भी अष्टम भाव में बैठे हैं। केन्द्र भाव में शुक्र की स्थिति बेहतर आर्थिक समन्वय को सूचित करती है।
केतु अष्टम में किसी प्रकार अप्रत्याशित लाभ का कारक बन रहा है। परंतु मुख्यतः तकनीकी, गैर तकनीकी आजीवका से व्यापार व्यवसाय और अन्य जोखिम भरे स्रोतों से कुंभ राशि को धन कमाने में प्रवीण होना पड़ेगा, क्योंकि इस वर्ष अवसरों की भरमार रहेगी। कार्य, पूंजी और व्यापार आदि में लगाने योग्य धन की प्राप्ति भी हो जाएगी। अलबत्ता जो जातक परंपरागत कारोबार से जुड़े हैं, उनको कभी-कभी आर्थिक अभाव से अभी भी जूझना पड़ सकता है और लाभ कमाने के नए तरीकों पर विचार करना पड़ सकता है।
गैर-जिम्मेदार परंतु कर्मठ कुंभ जातक भी इस साल अच्छी आय प्राप्त करेंगे। लक्ष्मी अगर मेहरबान रहेगी तो उनकी भी चांदी है, जो हमेशा पैसे कमाने के लिए दूसरों के आसरे पर लटके हुए रहते हैं। छोटे स्तर के तकनीकी कार्यों की भरमार रहेगी। ग्रामीण और शहरी परिवेश में हर स्तर पर नौकरी और रोजगार का अच्छा तालमेल रहने से कुंभ राशि के चतुर जातक बिना कुछ काम किए भी अच्छा धन कमा सकते हैं, बशर्ते उनमें संगठन करने की शक्ति हो।
इस राशि के जातक बहुमुखी प्रतिभा से युक्त होते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में उनका दखल रहता है। अतः यह कहना गलत होगा कि किसी विशेष क्षेत्र से ही कुंभ राशि के महानुभाव धन कमा सकेंगे। जो, जातक खतरनाक और जोखिम भरे रास्तों से धन कमाने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी जमापूंजी अन्य जातकों के मुकाबले वर्ष के अंत तक कई गुना बढ़ सकती है। आमातौर पर युवा और प्रौढ़ जातक अपने कारोबार और कामकाज तथा अनुभव से परिपक्व हैं।
अनेक कुंभ जातक अपने पैतृक व्यवसाय से भी जुड़े रहते हैं। कुछ ऐसे भी स्वाभिमानी और खुद्दार जातक हैं, जो नौकरी की बजाय अपने ही कारोबार को अधिक तवज्जो देते हैं। लेकिन, यह भी एक सत्य है कि आज के छल-कपट भरे व्यापार में कुंभ जातकों की ईमानदार छवि और छल कपट भरी रणनीति अधिक दिन कामयाबी नहीं देती है। ऐसे में अधिकांश कुंभ जातक व्यापार में असफल भी रहते हैं। इतना जरूर है कि वे व्यापारिक संगठनों में अच्छे प्रबंधक और सलाहकार साबित हो सकते हैं।
साझेदारी और पार्टनरशिप उन्हें राश आती है। ऐसे अवसरों के लिए भी यह साल कुंभ राशि के जातकों के लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होगा। कुछ उल्लेखनीय कारोबार और व्यापार की शुरूआत इस साल के नवंबर दिसंबर महीने में भी हो सकती है। इनमें मुख्यतः जमीन जायदाद, प्रॉपर्टी, शेयर बाजार, कमीशन एजंट और सलाहकार सेवाएं ठेकेदारी, सुरक्षा सेवा, एवं अन्य रक्षात्मक सम्बंधी सेवाएं हैं, जिनकी बदौलत कुंभ महिलाएं और पुरूष और महिलाएं अपनी अलग पहचान बना सकते हैं।
वर्ष के उत्तरार्ध में जहां वे आधी दुनिया की ताकत बनकर बाहर आएंगे वहां कुछ नए और आधुनिक क्षेत्र में दबदबा भी कायम करेंगे। कुंभ महिलाएं भी अपने ज्ञान और बुद्धि तत्व से हमेशा ही नौकरी में सम्मानित पदों पर सुशोभित रहती हैं। आमतौर पर मेडिकल , वकालत , अध्ययन अध्यापन और शिक्षण-प्रशिक्षण का क्षेत्र उन्हें अधिक रास आता है। इसके अलावा खानपान होटल बैंकिंग तथा आर्थिक उपक्रम भी उनके लिए अनुकूल साबित होंगे।
जो महिलाएं प्रबंधन और शिक्षण प्रशिक्षण के क्षेत्र से जुड़ी हैं, उनके लिए वर्ष का पूर्वार्ध विशेष लाभकारी सिद्ध होगा। घर और परिवार की समृद्धि भी इस महालक्ष्मी वर्ष में इनकी विशेष उपलब्धि होगी। कुंभ महिलाओं को हमेशा ही लक्ष्मी का वरदान रहता है, फिर भी वह अपने आध्यात्मिक स्तर पर जो भी उपक्रम करती हैं उसका शीघ्र प्रभाव उनकी जीवन शैली में दिखाई पड़ता है।
ऐसा भी होता है कि अनेक कुंभ जातकों का बृहस्पति उनके लिए हमेशा ही अनुकूल नहीं रहता। ऐसी परिस्थिति में यह भी संभव है कि उन्हें अपने आर्थिक उपार्जन के लिए संघर्ष करना पड़े। यह बात बड़ी विचित्र है, कि जो कुंभ जातक जीवन के हर क्षेत्र में अग्रणीय रहते हैं वही लोग कभी-कभी ग्रह दशा के बुरे फेर में पड़कर अर्थहीन हो जाते हैं।
उन्हें यही सलाह दी जाती है कि इस महालक्ष्मी वर्ष में वे स्थिर लग्न में लक्ष्मी और कुबेर यंत्र की स्थापना घर पर करें। पीले वस्त्र धारण करके अर्द्धरात्रि के समय लक्ष्मी और गणेश का ध्यान करें। साथ ही पुखराज और नीलमणी जैसे रत्न भी सोने या चांदी में पहनें, उन्हें जल्द से जल्द अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता मिलेगी। साथ ही आने वाले समय में आर्थिक दुष्चक्र भी खत्म होगा।


मीन: नए क्षेत्रों में लाभ कमाएंगे (दू, थ, झ, दे, दो, च, ची)

महालक्ष्मी वर्ष 2008-09 में इस राशि का स्वामी बृहस्पति अपनी बेहतरीन स्थिति से दशम भाव में चल रहा है। एकादश और द्वादश भाव के शनि के साथ बृहस्पति का त्रिकोण योग है, जबकि चंद्रमा और बुध के साथ केंद्र योग है। अगले एक डेढ़ महीने के अंदर ही बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में प्रवेश कर जाएंगे और राहु के साथ वर्ष 2009 में अधिकांश गोचर का समय व्यतीत करेंगे।
शुक्र पंचम भाव से विचरण कर रहा है। सूर्य और मंगल अष्टम भाव में, बुध और चंद्रमा छठे भाव में, राहु एकादश और केतु पंचम भाव में चलते हुए मीन राशि को पूरे साल एक अद्भुत गति और संचार दे रहे हैं। इ सके माध्यम से यह राशि अपने श्रेष्ठ कार्य को पूरा करके आगे बढ़ेगी। बृहस्पति और शनि आगामी 2009 के उत्तरार्ध से एकादश तथा पंचम भाव से विचरण करेंगे। मीन की जीवन के आरंभ में कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है। परंतु, अवस्था के अनुसार जब यह राशि प्रौढ़ता और वृद्धावस्था को प्राप्त करती है, तो इसके आगे भी अस्तित्व का संकट खड़ा हो जाता है।
इसके साथ ही अनेक मीन जातक अभी तक पिछले वर्षों के दौरान समाप्त हुई साढ़ेसाती से भी बाहर नहीं निकल पाए हैं। ऐसे जातकों के लिए यह साल काफी आशाएं और सफलताएं लेकर आ रहा है। बस जरूरत है एक ईमानदार चेष्टा की। मीन राशि का आधिपत्य बृहस्पति के अलावा शनि और बुध से भी अच्छा रहता है। अनेक जातक इस साल लेखन पत्रकारिता या शिक्षण प्रशिक्षण जैसे बौद्धिक कार्यों से धन कमाने में सफल होंगे।
युवा मीन जातकों का आर्थिक पक्ष नवंबर दिसंबर से सुदृढ़ होने लगेगा। उसके उपरांत जनवरी से मार्च 2009 तक सभी क्रियाशील मीन राशि के महानुभाव नए-नए कार्यक्षेत्र के अलावा कुछ अस्थाई उद्यमों से लाभ कमाएंगे। जो जातक व्यापार व्यवसाय अथवा वाणिज्य विषयों से जुड़े हैं या आधुनिक तकनीकी के ज्ञान से युक्त हैं, उनके लिए भी सरकारी या गैरसरकारी उपक्रमों में मनपसंद आजीविका अथवा किसी दूसरे के द्वारा शुरू किए गए व्यापार में महत्वपूर्ण पदाधिकारी बनने पदवृद्धि का लाभ होगा। वहां पिछले समय से चला आ रहा आर्थिक गतिरोध भी समाप्त होगा। दूसरों के हाथों में गया हुआ धन प्राप्त होगा या फिर किसी मांगलिक कर्म के जरिए लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त होगा।
यदि आप कोई दुर्लभ खोज अनुसंधान या विशिष्ट कार्य का संपादन कर रहे हैं तो भी जुलाई अगस्त तक अपने पुरूषार्थ के जरिए लाभ के अवसर हाथ में आएंगे। मान, प्रतिष्ठा, यश प्राप्ति का अवसर भी वर्ष के अंतिम महीने यानी सितंबर अक्टूबर तक प्राप्त होगा। मीन महिलाओं के लिए यह साल शुरूआत से ही आशावादी है, परंतु उससे ज्यादा असरदार मई जून के बाद का है, जब उनकी आय एकदम द्विगुणित हो जाएगी। किसी कारण अगर ग्रहों का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है तो पुखराज मूंगा और नीलम एक साथ धारण करें।
व्यापार और कारोबार भी मीन जातकों के लिए धन कमाने का एक बेहतर और कामयाब स्रोत रहता है। आज के समय में भवन निर्माण कार्य मशीनरी, लोहा, सीमेंट, रंग-रोगन, फर्नीचर, तथा कपड़े, अनाज गल्ला और किराना वस्तुओं का होलसेल या फुटकर व्यापार अथवा कृषि डेयरी उद्योग जैसे नए-नए उद्योग और कार्यक्षेत्र मीन राशि के पसंदीदा व्यापार हैं। जनसेवा से जुड़े हुए उद्योग नगर निगम रेलवे परिवहन डाक तार और दूरसंचार जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि उद्योग मीन राशि पर धन कमाने की सही रणनीति कहे जा सकते हैं।
उनकी लगन, मेहनत और अनुशासन प्रियता तथा अपने कर्मचारियों एवं कार्यकर्ताओं की संतुष्टि उन्हें धनकुबेर बनाने में देर नहीं लगाती है। दुनिया के बड़े-बड़े अमीर उद्योगपति जमींदार और भवन निर्माता मीन राशि की देन है। व्यापार के मामले में सफलता पाना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है। इस महालक्ष्मी वर्ष में भी उनकी व्यापारिक सफलता वर्ष के उत्तरार्ध में नए कीर्तिमान स्थापित कर सकती है। इस वर्ष भी उन्हें शेयर बाजार से, कृषि कार्यों से तथा दलाली और कमीशन से भी विशेष अर्थ लाभ होता रहेगा। बड़े-बड़े काम उनके लिए आर्थिक लाभ के अच्छे स्रोत बन जाएंगे।
अनेक मीन जातकों को काफी संघर्ष भी करना पड़ सकता है। लेकिन, संघर्ष के दौर में भी उनका आर्थिक पक्ष कमजोर नहीं रहता है, क्योंकि वे छोटे से छोटा काम करना भी अपने आर्थिक नियोजन के लिए जरूरी समझते हैं। ऐसे जातकों को सलाह दी जाती है कि वे इस महालक्ष्मी वर्ष पर गणेश और लक्ष्मी की संयुक्त प्रतिमाओं के आगे श्री यंत्र और कुबेर यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें। शनि ग्रह उनके लिए भाग्य निर्माता कहलाता है।
अतः शनि मंदिर में जाकर तेल और तिल आदि का दान करने से भी उनके कष्ट दूर हो सकते हैं। अगर संभव हो तो सवा पांच रत्ती का नीलम और हीरा रत्न धारण कर सकते हैं। सभी उपाय उनके लिए संकट मोचन का काम करेंगे। हनुमान मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करना भी लाभप्रद रहेगा। शिवभक्त मीन जातकों को श्रावण के महीने में सोमवार व्रत रखना भी फायदेमंद साबित होगा। समयानुसार चलने से उनकी आर्थिक समृद्धि निश्चित रूप से बढ़ सकती है।
- पं. केवल आनंद जोशी